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Income tax : इस तरह टैक्स बचाने वालों की अब खैर नहीं, आयकर विभाग करेगा बड़ी कार्रवाई

Income tax Rules : इनकम टैक्स विभाग की ओर से खेती से होने वाली कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगाया जाता है। ऐसे में कई बार कुछ लोग खेती की कमाई बताकर इनकम टैक्स में बंपर छूट (discount in income tax) ले लेते हैं जोकि कानून की नजर में पूरी तरह से ही गलत होता है। हाल ही में इनकम टैक्स विभाग ने इन लोगों पर अपनी रड़ार बना ली है। अब विभाग द्वारा इन लोगों पर कार्रवाई की जाने वाली है। 

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Income tax : इस तरह टैक्स बचाने वालों की अब खैर नहीं, आयकर विभाग करेगा बड़ी कार्रवाई 

HR Breaking News - (agriculture income is taxable)। भारत एक कृषि प्रधान देश है। ऐसे में भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए कई शानदार योजनाओं को चलाया जाता है। यहां तक की सरकार ने किसानों के लिए टैक्स (tax on agriculture income) में भी छूट की हुई है। ऐसे में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो खेती की कमाई को बताकर टैक्स को बचाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में अब विभाग ने जानकारी दी है कि इन लोगों पर डिपार्टमेंट द्वारा सख्त कार्रवाई की जाने वाली है। आइए विस्तार से जानते हैं इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के इस अपडेट के बारे में। 

इनकम टैक्‍स विभाग ने शुरू की कार्रवाई -

इनकम टैक्‍स विभाग (income tax department) द्वारा उन मामलों की जांच की जा रही है जहां पर प्रति एकड़ 5 लाख रुपये तक की अवास्तविक कृषि आय को घोषित किया गया है। सामान्य रुझानों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा से बिल्कुल भी मेल नहीं खाता है। यह मामला कर कार्यालय (Agriculture department) द्वारा कितनी गहराई से जांचा जाता है, ये पूरी तरह से इस बात पर ही निर्भर करता है। यह जांच कुछ क्षेत्रों में हलचल भी कर सकती है। खासतौर पर जब राजनेताओं और अन्य प्रभावशाली पार्टियों की सीधी और अप्रत्यक्ष भूमि (agriculture income tax) के स्वामित्व की बात आती है तो इसमें परेशानी देखने को मिल सकती है। 

जानिये क्यों हो रही है जांच-


टैक्‍स कानून के तहत कृषि आय को इनकम टैक्‍स और वस्तु एवं सेवा कर (goods and services tax) से भी छूट दी जाती है। वर्तमान जांच का संबंध में आयकर जांच निदेशालय, जयपुर से जुड़े कुछ मामलों से मेल खाता है। इसमें उन संस्थाओं की पहचान भी की गई है जो अपने आयकर (action of ITD) रिटर्न में 50 लाख रुपये से भी ज्यादा कृषि आय होने का दावा करती थी। विभाग (income tax vibhag) को लगता है कि ऐसे दावों में घोटाले का अनुमान काफी ज्यादा है। इसकी वजह से इसकी जांच होनी भी शुरू हो गई है।

बचने के लिए करें ये काम-


विभाग द्वारा पहचाने गए इन किसानों को कृषि उद्देश्यों के लिए भूमि (lank purpose) का उपयोग करने का पर्याप्त प्रमाण भी दिया गया है। खासतौर पर जब से पहले उपग्रह छवियों का उपयोग कृषि गतिविधियों की पुष्टि के लिए किया गया है। गैर-कृषि स्रोतों से होने वाली आय, जैसे भूमि प्लॉटिंग और बिक्री से कमाई (Earning from land plotting and sale), शहरी कृषि भूमि की बिक्री, व्यावसायिक उपयोग के लिए फार्महाउस किराए पर देना, पोल्ट्री फार्मिंग (Poultry Farming) और इसी तरह की गतिविधियां टैक्‍स छूट के लिए भी किसी तरह से योग्य नहीं है। इन्हें टैक्‍स के लिए रिपोर्ट करना काफी ज्यादा जरुरी है।

एग्रीकल्‍चर इनकम पर मिलती है छूट-


एग्रीकल्‍चर इनकम में खेती के उपज की बिक्री या उन जमीनों से किराये (rent from land) को शामिल किया गया है जोकि नगरपालिका सीमा से पूरी तरह से बाहर हैं। जिन क्षेत्रों में न्यूनतम जनसंख्या कानून के तहत है। कृषि भूमि से कर-मुक्त आय भी उस कृषि भूमि (agricultural land use) की बिक्री से उत्पन्न पूंजीगत लाभ से ही हो सकती है। ये आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 2(14)(iii) में परिभाषित पूंजीगत संपत्ति की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आती है।

इस हिसाब से कृषि भूमि (rules for agricultural land) की बिक्री के मामले में भूमि का विवरण आयकर रिटर्न या टैक्‍स विभाग के रिकॉर्ड में नहीं देखा जा सकता है। इसलिए संदेह उत्पन्न हो रहा है जिसकी वजह से भूमि बिक्री (selling rule of agricultural land) के समझौतों के साथ इसे स्पष्ट किया जा रहा है। हालांकि, लेनदेन रिकॉर्ड प्रस्तुत करने पर, यह निष्कर्ष भी निकाला जा सकता है।