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Income Tax : इनकम टैक्स विभाग इस तरीके से पकड़ता है टैक्सपेयर्स की चालाकी, फिर भेजता है नोटिस

Income Tax Rules : इनकम टैक्स विभाग की ओर से टैक्स स्लैब (tax slabs) अनुसार करदाताओं से सालाना कमाई पर टैक्स लिया जाता है। कई तरह की टैक्स छूट (tax exemption) भी आयकर कानून व विभाग की ओर से दी जाती है। यह छूट कई करदाता चालाकी करके फर्जी तरीके से पाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में विभाग उनकी चालाकी को एक खास तरीके से पकड़ लेता है और करदाता को पता भी नहीं चलता। शिकंजा कसते हुए आयकर विभाग (income tax department) नोटिस भेजकर जवाब तलब कर लेता है।
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Income Tax : इनकम टैक्स विभाग इस तरीके से पकड़ता है टैक्सपेयर्स की चालाकी, फिर भेजता है नोटिस

HR Breaking News - (IT fraud cases)। फर्जी डॉक्‍यूमेंट्स से टैक्स में छूट पाने वालों की अब कोई चालाकी नहीं चलेगी। आयकर विभाग ने अब नया सिस्टम तैयार कर लिया है, जिससे ऐसे करदाताओं की चालाकी (How to caught tax fraud) को तुरंत पकड़ लिया जाएगा और नोटिस भेजा जाएगा। कुल मिलाकर फर्जी डॉक्‍यूमेंट के सहारे टैक्‍स बचाने वालों की अब खैर नहीं है। 

इनकम टैक्‍स विभाग ने लोगों की सालाना कमाई और खर्चों को जानने के लिए भी नया तरीका इजाद कर लिया है। फर्जी तरीके से टैक्स डिडक्‍शन का लाभ लेने वाले टैक्‍सपेयर्स को अब सीधा नोटिस (income tax notice) भेजा जाएगा व पेनाल्‍टी के साथ टैक्‍स भी वसूला जाएगा। 

AI का सहारा लेता है आयकर विभाग-

अधिकतर लोगों को अब तक यह पता नहीं है कि विभाग फर्जीवाड़ा कैसे पकड़ता है। विभाग फर्जी मामलों को पकड़ने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (Artificial Intelligence) का सहारा लेता है। इससे आय, खर्च और भुगतान किए टैक्स का मिलान कर लिया जाता है। आय व खर्च के स्रोत जानने के बाद करदाता की ओर से किए गए फर्जी दावों को चुटकियों में पकड़ लिया जाता है। 


इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार टैक्स में छूट कई मामलों में मिलती है। HRA भी उनमें से एक है और रेंट स्लिप के जरिये इनकम टैक्‍स छूट का दावा करके इस पर पूरी तरह से छूट मिल जाती है। इनकम टैक्‍स विभाग ने खासतौर से फर्जी रेंट स्लिप (Fake Rent Slip ) के जरिये टैक्‍स छूट का दावा करने वाले करदाताओं (taxpayers news) की पहचान करना भी शुरू कर दिया है।

एनुअल इनकम स्‍टेटमेंट की भूमिका-

विशेषज्ञों के अनुसार इनकम टैक्‍स विभाग अब आय व खर्च का ब्योरा प्रत्यक्ष व पारदर्शी तरीके से करने लगा है। इसके लिए सालाना कमाई के आंकड़ों (Annual Information Statement) और फॉर्म-26 एएस के साथ फॉर्म-16 का मिलान किया जाता है। इससे फर्जी मामलों को पकड़ना अब  पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है। 


रेंट स्लिप के जरिये HRA पर टैक्‍स छूट का दावा (Claim tax exemption on HRA) करने वाले करदाताओं की फाइनेंशियल डिटेल का उनके मकान मालिक की फाइनेंशियल डिटेल से मिलान किया जाता है। दोनों की एनुअल इनकम स्‍टेटमेंट (AIS)को मिलाने पर फर्जीवाड़ा पकड़ में आ जाता है।

करदाताओं पर नियम पड़ते हैं भारी-

इनकम टैक्स ने कुछ ऐसे नियम (IT rules for tax exemption) बनाए हुए हैं कि करदाता फर्जीवाड़ा करते ही फंस जाएंगे। रेंट स्लिप से टैक्‍स छूट का दावा करने के लिए यह शर्त है कि कंपनी की ओर से हाउस रेंट अलाउंस (HRA) मिलना  चाहिए। नियोक्‍ता भी हर साल एम्‍प्‍लॉयी से हाउस रेंट को लेकर पूरी डिटेल व डिक्‍लेरेशन मांगता है। इसमें कर्मचारी को मकान का किराया बताना होता है। इसके बाद HRA की राशि इनकम टैक्स विभाग (income tax department) की ओर से टैक्‍स फ्री कर दी जाती है। 

ऐसे दिख जाती है किराया राशि की डिटेल -

आयकर नियमों के अनुसार कोई करदाता रेंट स्लिप के जरिये किराये पर टैक्‍स छूट पा सकता है। ऐसे में क्लेम किए जाने पर मकान मालिक के पैन कार्ड के जरिये AIS में मकान मालिक की ओर से लिए गए किराए की राशि का विवरण पता चल जाता है। 
AIS में यह किराएदार की ओर से दी गई किराए की राशि के विवरण से भी पता चल जाता है। इस तरह से बिना किराया चुकाए ही टैक्स छूट का क्‍लेम (how to claim tax exemption) करना आपको भारी पड़ सकता है और विभाग के नोटिस (IT notice rules) का सामना करना पड़ सकता है।

किराये को लेकर ऐसे पकड़ा जाता है फर्जीवाड़ा-


कई बार कुछ करदाता फर्जी दस्तावेज लगाकर इनकम टैक्स छूट (Claim for income tax exemption) पाने की कोशिश करते हैं। HRA पर भी टैक्स छूट (tax exemption on HRA) मिलती है, इसे टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है यानी एचआरए टैक्स फ्री है। अगर किराया 1 लाख से ज्यादा है तो मकान मालिक का पैन कार्ड देना जरूरी होता है। ऐसे में पैन कार्ड से फर्जीवाड़ा पकड़ा जा सकता है। 

नहीं चल सकती फर्जी किराया दिखाने की चालाकी-


कई करदाता टैक्स छूट (tax exemption rules) लेने के लिए किराये को फर्जी रूप से कम दिखाते हैं ताकि मकान मालिक का पैन कार्ड न देना पड़े और वे सोचते हैं कि उनकी चालाकी पकड़ी नहीं जाएगी। लेकिन बता दें कि 1 लाख रुपये से कम किराया है तो भी बिना मकान मालिक के पैन कार्ड के इस फर्जीवाड़े को पकड़ा जा सकता है।

HRA डिटेल में यह भी होता है शामिल-

इस बात को जान लें कि नियोक्‍ता की ओर से HRA के लिए जो डिटेल मांगी जाती है, उसमें रेंट एग्रीमेंट शुरू में ले लिया जाता है। रेंट एग्रीमेंट में ही मकान मालिक का नाम, पता और आईडी प्रूफ के साथ पैन कार्ड की भी डिटेल होती है। यह सब रेंट एग्रीमेंट (rent agreement rules) बनवाते समय ही दर्ज होती है। इस तरह से जब कोई 1 लाख रुपये से कम के किराये का दावा टैक्स छूट के लिए करता है तो फर्जीवाड़े को पकड़ लिया जाता है।

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