home page

Income tax : सालाना 17 लाख से ज्यादा है सैलरी, तो भी नहीं देना होगा कोई टैक्स, जानिए पूरी कैलकुलेशन

Income tax rules : जैसा  कि आप सभी जानते हैं हाल ही में वित्त मंत्री ने अगले वित्तीय वर्ष के लिए नया बजट पेश किया है। इसमें टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत देते हुए 12 लाख रुपये तक की सालाना कमाई को टैक्स फ्री कर दिया गया है।  इसके साथ ही अब नया इनकम टैक्स कानून (Income tax act) भी लागू होने वाला है, इसमें कई धाराओं के तहत टैक्स में राहत मिलेगी। हालांकि फिलहाल 17 लाख रुपये की सैलरी वाले व्यक्ति को भी कोई टैक्स नहीं देना होगा। यह इस विशेष कैलकुलेशन (Income tax calculation) के हिसाब से आप जान सकते हैं, जो टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स बचत में सहायक है। आइए जानते हैं 17 लाख की आय को टैक्स फ्री करने की कैलकुलेशन।

 | 
Income tax : सालाना 17 लाख से ज्यादा है सैलरी, तो भी नहीं देना होगा कोई टैक्स, जानिए पूरी कैलकुलेशन 

HR Breaking News - (IT rules)। अधिकतर लोग नहीं जानते कि अगर किसी की सालाना CTC (cost to company) सैलरी 17 लाख रुपये से अधिक है, तो भी अपनी इस इनकम को टैक्स फ्री कर सकते हैं। हम आपको एक ऐसा तरीका बताने जा रहे हैं जिसे समझने के बाद आप भी हैरान रह जाएंगे। इस प्रक्रिया में कई ऐसे उपाय शामिल हैं, जो आपको लाखों की सालाना कमाई के बावजूद टैक्स बचाने (tax saving tips) में मदद कर सकते हैं। 


ये उपाय न केवल कानूनी हैं, बल्कि आपके खर्चों को भी बेहतर तरीके से मैनेज करने में सहायक होते हैं। इसके लिए एक खास कैलकुलेशन को जानने के बाद, आपको महसूस होगा कि टैक्स बचाना (tax kaise bchayen) कोई बड़ा काम नहीं है, बल्कि कुछ सही कदम उठाने की जरूरत होती है।


सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव है सबसे अहम -

2024-25 के वित्तीय साल में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने एक नई बजट योजना पेश की है, जिसके तहत 12 लाख रुपये तक कमाई करने वालों को कोई टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन अगर किसी की आय इससे ज्यादा हो, तो उसे टैक्स (new tax pay rules) भरना पड़ेगा।

 
इसके बावजूद कुछ उपाय हैं, जैसे सैलरी संरचना में बदलाव करके कर योग्य आय को कम किया जा सकता है। कुछ लाभ, जैसे मेडिकल, हाउस रेंट, और बच्चों की पढ़ाई के भत्ते, कर योग्य आय को घटाने में मदद कर सकते हैं और टैक्स बचाने का मौका दे सकते हैं।


टैक्स कंसल्टिंग फर्म के विशेषज्ञों का है यह कहना -

एक टैक्स कंसल्टिंग फर्म (tax consulting firm) के विशेषज्ञ बताते हैं कि नए नियमों के अनुसार कुछ विशेष सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो लोगों को अपनी कमाई को फिर से व्यवस्थित करने में मदद कर सकती हैं। 
यदि कुछ जरूरी शर्तें पूरी होती हैं, तो इन सुविधाओं से होने वाली आय पर कोई कर नहीं लगेगा। इन सुविधाओं का सही उपयोग कर लोग अपनी कुल आय में कटौती कर सकते हैं और कर से बच सकते हैं।


यात्रा भत्ते की करनी होगी प्रतिपूर्ति -

आयकर अधिनियम के तहत नियोक्ता कर्मचारियों द्वारा किए गए कार्य संबंधित खर्चों की प्रतिपूर्ति कर सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर कर्मचारी यात्रा पर खर्च करता है और नियोक्ता उसे वह राशि वापस करता है, तो यह प्रतिपूर्ति कर मुक्त होती है, जब वह खर्च कार्यस्थल आने-जाने के दौरान किया गया हो। 


कर्मचारियों को खर्च की प्रतिपूर्ति (reimbursement of charges) का दावा करने के लिए बिल जमा करना पड़ता है। इसका मतलब यह है कि यदि आप ऑफिस जाने के लिए पैसे खर्च करते हैं और कंपनी आपको वापस करती है, तो उस पर टैक्स नहीं लगेगा।

परिवहन भत्ते का लाभ -

आयकर अधिनियम (income tax act) द्वारा विशेष रूप से विकलांग व्यक्तियों को परिवहन भत्ते  (Transport allowance)  की अनुमति दी जाती है, जो कार्यस्थल और घर के बीच यात्रा के लिए होता है। यह यात्रा भत्ता प्रतिपूर्ति से अलग है। 
दिव्यांग या विकलांग कर्मचारियों को 3,200 रुपये प्रति माह या 38,400 रुपये प्रति वर्ष तक का परिवहन भत्ता कर मुक्त मिलता है। यह सुविधा केवल उन कर्मचारियों के लिए है जो नेत्रहीन, बधिर, गूंगे या निचले अंगों की विकलांगता से पीड़ित हैं। इस भत्ते से टैक्स छूट (tax exemption rules) मिलती है।

इन बिलों में देनी होगी सहायता -

अगर नियोक्ता कर्मचारी के फोन और इंटरनेट बिलों (reimbursement of phone bill) की प्रतिपूर्ति करता है, तो उस पर कोई टैक्स (new income tax rules) नहीं लगता। किसी भी कर व्यवस्था में इन बिलों के लिए छूट की सीमा नहीं होती। हालांकि, एक अच्छा तरीका यह है कि कर्मचारी का पद, भूमिका और जिम्मेदारियां ध्यान में रखते हुए प्रतिपूर्ति राशि सही और उचित होनी चाहिए। इसका मतलब यह है कि कंपनी द्वारा भुगतान किए गए बिलों पर टैक्स (tax exemption tips) नहीं लगेगा, बशर्ते वह कर्मचारी के काम और पद से मेल खाते हों।

कार लीजिंग पॉलिसी से लाभ -

कर्मचारियों को उनके नियोक्ता द्वारा दी गई कार से कार लीजिंग पॉलिसी (car leasing policy) से भी लाभ हो सकते हैं, जो टैक्स को कम करने में मदद कर सकते हैं। जब नियोक्ता कार का उपयोग व्यक्तिगत और काम से संबंधित उद्देश्य के लिए करता है, तो इसे एक विशेष अनुलाभ माना जाता है। 


इस तरह के लाभ का मूल्य perquisite value टैक्स नियमों के अनुसार बहुत कम होता है, जिससे कर्मचारी के कर योग्य वेतन (taxable income) में कमी होती है। इस प्रकार, यह एक तरीका हो सकता है टैक्स को नियंत्रित करने का।

इंजन की घन क्षमता का प्रभाव -


मूल्यांकन प्रक्रिया दोनों व्यवस्थाओं में एक जैसी रहती है। जब कार के इंजन की घन क्षमता 1.6 लीटर से कम हो, तो हर महीने कर योग्य राशि 1,800 रुपये होती है। अगर इंजन का आकार 1.6 लीटर से अधिक है, तो यह राशि बढ़कर 2,400 रुपये हो जाती है। इसका मतलब है कि अगर कंपनी आपको वाहन देती है, तो उस पर लगने वाला टैक्स (Income tax saving tips) बहुत कम होता है, जिससे कर्मचारी के कर में कमी होती है और यह एक आर्थिक लाभ हो सकता है।


इतना जोड़ दिया जाता है अनुलाभ -


अगर कंपनी कार के साथ ड्राइवर भी देती है, तो हर महीने अनुलाभ की राशि में 900 रुपये और जोड़ दिए जाते हैं। कर्मचारियों को ध्यान रखना चाहिए कि वाहन के रखरखाव और संचालन का खर्च नियोक्ता द्वारा वहन किया जाता है या फिर कर्मचारी को उसकी प्रतिपूर्ति (घटौती) मिलती है। इस प्रकार, नियोक्ता द्वारा प्रदान की गई कार और ड्राइवर से संबंधित खर्च कर्मचारियों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी होते हैं और टैक्स (save tax on high income) पर भी असर डालते हैं। 

अगर कोई व्यक्ति खर्चों के लिए पुनः भुगतान प्राप्त करना यानी रिइंबर्समेंट (reimbursements rules in income tax) का विकल्प चुनता है, तो उसे कर में छूट मिल सकती है। इससे उसकी कुल आय पर कम टैक्स लगेगा। यह नया तरीका ऐसे खर्चों को कम करने में मदद करता है, जो कर पर प्रभाव डाल सकते हैं।


सैलरी, खर्च और टैक्सेबल इनकम की डिटेल

विवरण            CTC का 30 प्रतिशत मूल वेतन    CTC का 40 प्रतिशत मूल वेतन
ग्रोस सैलरी        16,37,424 रुपये            16,64,959 रुपये
मोबाइल खर्चे घटाएं        50,000    रुपये            50,000 रुपये
वाहन खर्चे घटाएं        2,40,000 रुपये            2,40,000 रुपये
नेट सैलरी        13,47,424 रुपये            13,74,959 रुपये
स्टेंडर्ड डिडक्शन घटाएं      75,000 रुपये            75,000 रुपये
NPS योगदान घटाएं    72,424    रुपये            99,959 रुपये
कुल कर योग्य आय          12,00,000 रुपये            12,00,000 रुपये

ऐसे समझें पूरी कैलकुलेशन -


ऊपर की टेबल में दो तरह की CTC वालों के लिए टैक्स बचत दिखाई गई है। इससे जान सकते हैं कि वेतन संरचना से कर बचत पर कैसा असर पड़ता है और कैसे 17 लाख की इनकम को टैक्स फ्री कर सकते हैं। एक व्यक्ति को अपनी कुल पैकेज का 30 प्रतिशत मूल वेतन के रूप में मिलता है, जबकि दूसरे को CTC (Cost to Company) का 40 प्रतिशत मिलता है। 


जैसे-जैसे मूल वेतन का हिस्सा बढ़ता है, उच्च वेतन वाला व्यक्ति अधिक कर बचत कर पाता है। दोनों कर्मचारियों को मोबाइल और यात्रा खर्चों का प्रतिपूर्ति मिल रही है, जो समय पर बिल जमा करने पर कर-मुक्त होगी। इसके अलावा, दोनों ने नई कर व्यवस्था के तहत 14 प्रतिशत मूल वेतन के आधार पर NPS कटौती का विकल्प भी है।

NPS खाते में नियोक्ता के योगदान का लाभ -

दोनों तरह की CTC के मामलों में, कर योग्य आय 12 लाख रुपये होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक कर्मचारी अपने वेतन को कम करने के लिए मोबाइल और यात्रा बिल समय पर जमा करता है।


 इसके अलावा, वह नई कर व्यवस्था के तहत 75,000 रुपये की सामान्य कटौती यानी स्टैंडर्ड डिडक्शन (standard deduction) का दावा करता है। साथ ही, वह आयकर अधिनियम की धारा 80CCD(2) के तहत NPS (national pention system) खाते में नियोक्ता के योगदान का लाभ उठाता है, जिससे उसकी कर योग्य आय और कम होती है। इस प्रकार, वह अपनी आय पर कर बचत करने में सक्षम होता है।

टैक्सपेयर इस बात का रखें ध्यान -


टैक्सपेयर या सैलरीड पर्सन को यह ध्यान रखना जरूरी है कि केवल एक निश्चित आय को ही इस हिसाब में शामिल किया गया है। अन्य स्रोतों से होने वाली कमाई, जैसे निवेश से मिलने वाली राशि, बैंकों में जमा से मिलने वाला फायदा, आदि, इसमें नहीं गिना गया है। अगर इन अतिरिक्त स्रोतों को जोड़ लिया जाए, तो गणना (Calculation of income tax exemption) में बदलाव होगा। 

यहां केवल वेतन की बात की जा रही है। अगर आपके पास और भी आय के स्रोत हैं, तो नतीजे अलग हो सकते हैं। यानी ग्रोस सैलरी और ग्रोस इनकम (tax on gross inocme) दोनों ही अलग-अलग मामले हैं। टैक्स की गणना इन दोनों आधारों को मिलाकर भी की जाती है।