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Income Tax Notice : सेविंग अकाउंट में इतना कैश जमा करते ही आ जाएगा इनकम टैक्स का नोटिस, धारा 114B के तहत IT विभाग को देनी होती है जानकारी

Saving Account Cash Limit – जब बैंक में खाता आपेन करवाने के लिए जाते हैं तो बैंक कि ओर से कई बैंक अकाउंट खुलवाने के कई ऑप्शन दिए जाते हैं। ऐसे में आप जीरो बैलेंस (zero balance account) या सेविंग अकाउंट ओपन करवा सकते हैं। हांलाकि, देश में ज्यादातर लोगों के पास सेविंग अकाउंट है। क्योंकि सेविंग अकाउंट में जमा पूंजी पर ब्याज मिलता है वैसे हर बैंक अकाउंट के अपने फायदे होते हैं। लेकिन वहीं,अगर आप सेविंग अकाउंट में लिमिट से ज्यादा कैश जमा करवाते हैं तो  इनकम टैक्स (Income Tax Notice) का नोटिस आ सकता है। मान लीजिए, अगर आपको आयकर विभाग का नोटिस मिल जाता है। ऐसे में आपको जानकारी होनी चाहिए कि इनकम टैक्स का नोटिस आने पर क्या करना चाहिए। चलिए नीचे खबर में जानते हैं- 

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HR Breaking News (ब्यूरो)। देश में ज्यादतर लोगों के पास सेविंग अकाउंट हैं। सेविंग अकाउंट के कई सारे फायदे होते हैं। अगर आप सेविंग अकाउंट (savings account cash limit) में पैसे जाम रखते हैं तो बैंक आपको ब्याज देता है। वैसे तो सेविंग अकाउंट में पैसे जाम करवाने की कोई लिमिट नहीं है। लेकिन अगर, आपके द्वारा जमा कराया गया पैसा इनकम टैक्स के दायरे में आता है तो आयकर विभाग आपको नोटिस भेज सकता है। अब लोगों के मन में कई तरह के सवाल चल रहे हैं। कि सेविंग्स अकाउंट (savings account)  में कितना पैसा जमा रख सकते हैं। एक वित्त वर्ष में आपके सेविंग्स अकाउंट में कितना पैसा होना चाहिए?

 

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‘कैश जमा’ करने का क्या है मतलब

 

कैश जमा करने का मतलब है आपके बैंक अकाउंट (bank account) में मैन्युअल रूप से या मनी ट्रांसफर या एटीएम जैसे तरीकों से पैसों का जमा होना। लोग अक्सर ट्रांजेक्शन करने या उसे सुरक्षित रखने के लिए बैंकों में पैसा जमा करते हैं। जमा हो जाने के बाद आप पैसे निकाल सकते हैं और इसे अभी भी कैश जमा के तौर पर ही जाना जाता है।

 

 

क्या कहता है नियम

 

 

आयकर विभाग (Income tax department) के अनुसार एक वित्त वर्ष के दौरान सेविंग अकाउंट में कैश जमा करने की सीमा 10 लाख रुपये है। सभी बैंकों या फाइनेंशियल संस्थानों (financial institutions) को इनकम टैक्स अधिनियम 1962 की धारा 114B के अनुसार बड़ा कैश जमा करने पर इनकम टैक्स विभाग को बताना होता है। विभाग हर एक सेविंग अकाउंट (Saving Account Cash Limit) पर नजर रखता है कि जमा किया गया पैसा तय लिमिट से अधिक है या नहीं।

 

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इनकम टैक्स विभाग कब भेजता है नोटिस- 

एक वित्त वर्ष में जमा कैश का कैलकुलेशन व्यक्ति के सभी खातों को ध्यान में रखकर किया जाता है। नियमों के मुताबिक, अगर आप अपने सेविगंस अकाउंट में तय सीमा से ज्यादा रकम रखते हैं तो इनकम टैक्स की नजर में आएंगे। तय सीमा से ऊपर कैश होने की स्थिति में आपको इनकम टैक्स (Income Tax) भरना होगा।

उदाहरण के तौर पर अगर कोई व्यक्ति की सालाना इनकम 10 लाख रुपये है और उसे ब्याज 10,000 रुपये मिलता है तो उस व्यक्ति का टोटल इनकम 10,10,000 रुपये माना जाता है। अगर कोई व्यक्ति एक वित्तयी वर्ष में 10 लाख रुपये से ज्यादा कैश रखते हैं तो आपको इसकी जानकारी आयकर विभाग को देना होगा। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आयकर विभाग आपके खिलाफ कदम उठाता सकता है। 

एफडी से कमाई पर टैक्स

बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट यानी FD से कमाया ब्याज इंडिविजुअल्स यानी आम लोगों के लिए पूरी तरह टैक्सेबल यानी पूरी तरह से टैक्स के दायरे में है। सीनियर सिटीजन यानी 60 वर्ष से ऊपर के लोग सेविंग्स अकाउंट (savings account) और FD से कमाए ब्याज पर 50,000 रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। डिडक्शन का फायदा लेने के लिए ब्याज को ITR में दिखाना होता है और सेक्शन 80TTB के तहत डिडक्शन लिया जा सकता है। 60 साल से कम उम्र के लोगों को 80TTB का फायदा नहीं मिलता है।

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) का ब्याज एक निश्चित सीमा से ज्यादा होने पर बैंक 10 फीसदी की दर से TDS भी काटते हैं। सीनियर सिटीजन के लिए ये लिमिट 50 हजार रुपये और गैर-सीनियर सिटीजन (Non-Senior Citizen) यानी 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए लिमिट 40,000 रुपये है। आपकी ब्याज समेत कुल कमाई बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट से कम होने पर फॉर्म-15G/15H फाइल करके टीडीएस (TDS) कटने से रोक सकते हैं।

पुरानी यानी ओल्ड टैक्स रिजीम (old tax regime) में 60 साल से कम उम्र के करदाताओं के लिए बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट ढाई लाख रुपये है। 60 साल से अधिक यानी सीनियर सिटीजन (senior citizen) के लिए ये लिमिट 3 लाख रुपये, जबकि सुपर सीनियर सिटीजन यानी 80 साल और उससे ऊपर के लिए 5 लाख रुपये है। वित्त वर्ष 2023-24 से न्यू टैक्स रिजीम में बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट 3 लाख रुपये है।

स्मॉल सेविंग स्कीम के ब्याज पर टैक्स

स्माल सेविंग्स स्कीम (Small Savings Scheme) जैसे रेकरिंग डिपॉजिट यानी RD, किसान विकास पत्र (KVP) और नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) से मिले ब्याज पर भी टैक्स लगता है। ब्याज की रकम आपकी कमाई में जुड़ेगी और आप जिस इनकम स्लैब (income slab) में आएंगे उस हिसाब से टैक्स देना होगा। इसी तरह, सीनियर सिटीजन के बीच खासी पॉपुलर सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम यानी SCSS है। इसमें निवेश करने पर उन्हें नियमित अंतराल पर ब्याज मिलता है। इस स्कीम में मिलने वाले ब्याज पर भी टैक्स लगता है। अगर ब्याज समेत कुल कमाई बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट (Basic Exemption Limit) से कम है तो टैक्स नहीं लगेगा।

पूरी तरह से टैक्स-फ्री ये स्कीम


पब्लिक प्रोविडेंड फंड (Public Provident Fund) यानी पीपीफ ऐसी चुनिंदा सेविंग्स स्कीम्स में से एक है, जो EEE यानी Exempt-Exempt-Exempt कैटेगरी में आती है। इसका मतलब है कि PPF में जमा प्रिंसिपल अमाउंट, ब्याज और मैच्योरिटी पर मिलने वाला पैसा पूरी तरह से टैक्स-फ्री है।

घर में कितना रख सकते हैं कैश- 

डिजिटल लेन-देन का चलन काफी तेजी से बढ़ा है। अब लोग ज्यादातर ट्रांजेक्शन यूपीआई और डेबिट-क्रेडिट कार्ड के जरिए ही कर रहे हैं। लेकिन अभी भी लोग कैश में ट्रांजेक्शन (transaction in cash) करना ज्यादा पसंद करते हैं। इसके लिए लोग एटीएम से एक बार में ही ज्यादा कैश निकालकर ले आते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि घर में अधिकतम कितना कैश (Cash Limit at Home) रखा जा सकता है। नियमों की जानकारी नहीं होने पर आपको जुर्माना देना पड़ सकता है। घर में कैश रखने का इनकम टैक्स का नियम क्या है। आइए आपको बताते हैं।

घर में कितना रख सकते हैं कैश

इनकम टैक्स (Income Tax) के नियम के मुताबिक, आप घर में जितना चाहे उतना कैश रख सकते हैं। लेकिन अगर आपके घर में रखी नकदी को कभी जांच एजेंसी पकड़ लेती है तो आपको इस कैश का सोर्स बताना होगा। अगर आपने पैसा गलत तरीके से नहीं कमाया है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। आपके पास इसके लिए पूरे डॉक्यूमेंट्स (Important Documents) होने चाहिए। वहीं आपने टैक्स रिटर्न भरा है तो घबराने की जरूरत नहीं है।


लग सकता है जुर्माना

अगर आप घर में रखे कैश के बारे में सोर्स नहीं बता पाते हैं तो जांच एजेंसी आपके ऊपर कार्रवाई करेगी। आपकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। बता दें कि नोटबंदी के बाद इनकम टैक्स (Income Tax) की ओर से कहा गया कि अगर आपके पास अनडिस्क्लोज कैश मिलता है तो जितना कैश आपके पास से बरामद होगा उस अमाउंट का 137 फीसदी तक टैक्स लगाया जा सकता है।

एक साल में कितना निकाल सकते हैं कैश

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स के मुताबिक, अगर कोई एक बार में 50 हजार से ज्यादा कैश निकालता है तो उसे अपना पैन कार्ड (PAN card) दिखाना होगा। वहीं एक साल में 20 लाख से ज्यादा कैश जमा या निकाला जा सकता है। दो लाख से ज्यादा का कैश पेमेंट (cash payment) करने पर पैन और आधार कार्ड (Aadhar card) दिखाना होगा।
 

जानिये इनकम टैक्स विभाग कैसे करता है छापेमारी- 

कई लोग जानना चाहते हैं कि आखिर आयकर विभाग रेड (Income Tax Department Raid) या छापेमारी कैसे करता है? इसकी प्रक्रिया क्या होती है?

क्या कहते हैं जानकर?

आयकर मामलों के विशेषज्ञ और अधिवक्ता डॉ। राकेश गुप्ता (सीए) का कहना है कि सर्वे या सर्च या रेड के दौरान केवल आपत्तिजनक सामग्री की कॉपी की जा सकती है। जहां तक मोबाइल की बात है तो वो एक इलेक्ट्रिक गैजेट है। जिस पार्टी का सर्वे हो रहा है या जिस मामले में हो रहा है, अगर उसमें उसकी प्रासंगिकता नहीं है, तो उसकी कॉपी नहीं की जा सकती। इस तरह से ब्लैंकेट मैनर या ओमनिबस मैनर में इन्हें ये सब करने का अधिकार नहीं है। लेकिन ये गलती करते हैं, ज्यादती करते हैं। सर्वे में पहले उन्हें एक-एक डॉक्यूमेंट को वैरीफाई करना चाहिए। उसके बाद उसे कब्जे में लेना चाहिए। 


क्या सर्च और रेड के दौरान मोबाइल को कॉपी किया जा सकता है? इस सवाल पर डॉ। राकेश गुप्ता कहते हैं कि ऐसे में भी पूरे डिवाइस को कॉपी करने का अधिकार नहीं है। उनको पहले डिसाइड करना होगा। पहली बात तो ये है कि ये बुक्स ऑफ अकाउंट नहीं है। ये एक इलेक्ट्रिक डॉक्यूमेंट है, जो सर्वे या सब्जेक्ट से संबंधित है तो भी पूरी तरह से कॉपी नहीं होगा। ये किसी की प्राइवेसी को भंग नहीं कर सकते। किसी की निजता को भंग करने की शक्ति नहीं है।

वित्तीय और आयकर मामलों के जानकर सर्वेश कुमार बाजपेयी (सीए) का कहना है कि कोई भी सर्वे सूर्य उदय के बाद ही शुरू किया जा सकता है। सूर्यास्त होने के बाद कारोबारी चाहे तो सर्वे को बंद करा सकता है। ऐसे में आयकर विभाग की टीम सभी दस्तावेजों को सीज करके जाएगी और अगले दिन वापस आकर सर्वे की कार्रवाई को आगे बढ़ाएगी। हालांकि रेड और सर्च में ऐसा प्रावधान नहीं है। 

सर्वे के दौरान मोबाइल फोन की क्लोनिंग या कॉपी किए जाने के सवाल पर सीए बाजपेयी बताते हैं कि ऐसी कार्रवाई के दौरान कम्प्यूटर का डाटा तो लिया जा सकता है। आजकल फोन भी उसी श्रेणी में आ गया है। आज फोन भी कम्प्यूटर का ही काम कर रहा है। जो डाटा कम्प्यूटर में होता है, उससे ज्यादा डाटा फोन में होता है। सर्च के दौरान तो सभी डिवाइस का डाटा लिया जा सकता है, लेकिन सर्वे में इसे पूरी तरह नहीं किया जा सकता। अगर पार्टी या कारोबारी ये सिद्ध कर देता है कि फोन उसके कारोबारी परिसर या कारोबार से नहीं जुड़ा है और वह पर्सनल फोन है तो फिर ऐसा नहीं किया जा सकता। लेकिन अगर वो बिजनेस से संबंधित फोन है, तो आयकर विभाग ऐसा कर सकता है। 

इस एक्ट के तहत होती है कार्रवाई

आयकर विभाग किसी भी सर्वे, रेड या छापेमारी की कार्रवाई को आयकर अधिनियम 1961 (Income Tax Act 1961) की धाराओं के तहत अंजाम देता है। यह एक्ट कर योग्य आय, कर देयता, अपील, दंड और अभियोजन तय करने में मददगार साबित होता है। इसी एक्ट में आयकर विभाग के अधिकारियों की शक्ति और कर्तव्यों को भी परिभाषित किया गया है। इस एक्ट में समय-समय पर संशोधन भी किए गए हैं। 

आयकर अधिनियम 1961 की धारा 132

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आयकर अधिनियम की धारा 132 संबंधित अधिकारियों को सर्च या रेड का अधिकार प्रदान करती है। इसी के तहत विभाग के अधिकारी किसी दफ्तर, प्रतिष्ठान या परिसर में तलाशी या छापे की कार्रवाई को अंजाम देते हैं। यही धारा अधिकारियों को मामले संबंधित दस्तावेज और सबूत जब्त करने का अधिकारी भी देती है। 

आयकर अधिनियम 1961 की धारा 133

आयकर अधिनियम में धारा धारा 133 (6) मूल्यांकन अधिकारियों (Assessment officers) को जांच की शक्ति प्रदान करती है। जांच की शक्ति के तहत पूछताछ करना और नकद जमा का सत्यापन भी शामिल होता है। वहीं इस अधिनियम की धारा 133ए संबंधित अधिकारियों को सर्वेक्षण की शक्ति प्रदान करती है। जिसके तहत वह अधिकार क्षेत्र में आने वाले किसी भी स्थान या किसी भी व्यक्ति के कब्जे वाले किसी भी स्थान पर प्रवेश का अधिकार रखता है। इसी धारा के तहत सर्वे किया जाता है। 

इसलिए होती है कार्रवाई

आयकर विभाग देश के वित्त मंत्रालय के तहत काम करता है। यह विभाग उन लोगों को चिन्हित करता है, जो आयकर में घपला करते हैं। मतलब कि वो लोग जिनकी आय और कर में अंतर मिलता है। या जिन लोगों पर कर चोरी का शक होता है। या जिनके पास ब्लैक मनी होने की गुप्त सूचना मिलती है, तो ऐसे सभी तरह के मामलों में आयकर विभाग छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम देता है। 

गुप्त होती है छापे की कार्रवाई

आयकर विभाग जब किसी व्यक्ति के घर, दफ्तर या किसी संस्थान या परिसर में छापेमारी की योजना बनाता है, तो उसकी यह कोशिश होती है कि किसी को इस बात की कानो-कान खबर ना हो। जिस व्यक्ति या संस्थान में छापेमारी की जानी है, उसे इस बात का जरा भी अंदाजा ना हो। ताकि उसे संभलने का मौका ना मिले। आयकर विभाग की टीम रेड के दौरान तलाशी का वारंट भी साथ लाती है। छापेमारी की कार्रवाई सुबह सवेरे या फिर देर रात में की जाती है। इस दौरान टीम के साथ पुलिस भी होती है, ताकि कार्रवाई के दौरान कोई दिक्कत ना हो। कई बार तो छापे के दौरान भारी पुलिस बल या अर्धसैनिक बल बुलाया जाता है।

रेड के दौरान प्रतिबंध


जब आयकर विभाग की टीम किसी व्यक्ति के घर, दफ्तर या संस्थान में रेड करती है, तो सबसे पहले वो वहां मौजूद सभी लोगों के मोबाइल फोन जब्त कर लेती है। इसके बाद उस घर या परिसर के सभी दरवाजे बंद कर लिए जाते हैं। ताकि कार्रवाई के दौरान ना तो कई घर से बाहर जा सके और ना ही कोई अंदर आ सके। आयकर विभाग की टीम में महिला अधिकारी और कर्मचारी भी होती हैं। ताकि वे ज़रूरत पड़ने पर मौके पर मौजूद महिलाओं की तलाशी ले सकें। 

दस्तावेजों की जांच


जिस जगह छापेमारी की जा रही है, वहां मौजूद कैश, गहने और कीमती सामान का लेखा-जोखा और दस्तावेज की जांच की जाती है। ज़रूरत पड़ने पर आयकर विभाग की टीम उस सामान से जुड़े दस्तावेजों को अपने साथ भी ले जा सकती है। 

जब्ती का नियम

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अगर छापेमारी किसी दुकान या शोरूम में की जा रही है, तो वहां बेचने के लिए जो सामान रखा होता है, उसे आयकर अधिकारी जब्त नहीं कर सकते। लेकिन उस सामान की जानकारी कागजों पर दर्ज कर सकते हैं। साथ ही उस सामान से जुड़े दस्तावेज जब्त कर सकते हैं। अगर छापेमारी के दौरान कैश या गहने मिलते हैं और उसका लेखा-जोखा व्यक्ति के पास है तो अधिकारी उसे भी जब्त नहीं करते।

जब्त रकम पर ये होती है कार्रवाई 


अगर छापेमारी के दौरान किसी जगह से अघोषित पैसा या गहने आदि मिलते हैं, जिसका हिसाब किताब या कोई दस्तावेज संबंधित व्यक्ति या संस्थान के पास उस वक्त मौजूद नहीं है, तो आयकर विभाग की टीम उसे जब्त कर सकती है। पैसा जब्त होने के बाद सीधे बैंक में जाता है और वहां सरकारी एकाउंट में जमा किया जाता है। फिर जांच में अगर टैक्स लायबिलिटी क्रिएट होती है। तो उसका एसेसमेंट होता है। एसेसमेंट के बाद जो टैक्स डिमांड निकलती है। उसे ट्रायब्यूनल में सेटल किया जाता है। इसके बाद जो पैसा बचता है, उसे पार्टी को ब्याज समेत वापस किया जाता है। कुछ मामलों में ऐसी रकम केस की सुनवाई पूरी होने तक विभाग की टीम अपने पास रखती है। 


कोड वर्ड का इस्तेमाल


किसी भी स्थान पर छापेमारी की कार्रवाई को सफलता पूर्वक अंजाम देने के लिए आयकर विभाग के अधिकारी पूरी प्लानिंग करते हैं। इस गोपनीय कार्रवाई को इस तरह से पूरा किया जाता है कि संबंधित टीम के अलावा विभाग के लोगों को भी इसकी भनक नहीं लगती। ऐसे किसी भी ऑपरेशन के लिए सीक्रेट कोड वर्ड का इस्तेमाल किया जाता है। 

काम में बाधा नहीं डाल सकते


छापेमारी के दौरान कोई भी व्यक्ति आयकर अधिकारियों के काम में बाधा या अवरोध नहीं डाल सकता। उनका विरोध भी नहीं कर सकता। अगर कोई आयकर विभाग की टीम का विरोध करता है या उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। जहां छापेमारी की जा रही हो, वहां मौजूद सभी लोगों से अधिकारी उनके रिश्ते के बारे में पूछते हैं। सभी संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज मांगते हैं। अगर संबंधित व्यक्ति के पास लॉकर है तो उसकी चाबी भी उसे देनी होगी। 

सबूत नहीं मिटा सकते

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घर, दफ्तर या परिसर में छापेमारी के दौरान मौजूद कोई भी शख्स किसी भी दस्तावेज को मिटाने, फाड़ने या नष्ट करने की कोशिश नहीं कर सकता। उसे कार्रवाई के दौरान मौजूद अधिकारियों के सवालों का जवाब भी देना होता है। ऐसा ना करने पर उसके खिलाफ एक्शन हो सकता है।

नागरिकों के अधिकार


छापेमारी की कार्रवाई अगर घर, दफ्तर या कंपनी में की जा रही है तो, वहां रहने वाले व्यक्ति आयकर अधिकारियों से सर्च वारंट और उनके आईडी कार्ड जांच के मकसद से मांग सकते हैं। जिनके यहां छापेमारी की जा रही है, वह व्यक्ति या कंपनी गवाह के तौर पर किन्हीं दो सम्मानित लोगों को बुला सकती है। मेडिकल इमरजेंसी होने पर डॉक्टर को भी बुलाया जा सकता है। 

घर में मौजूद लोगों के अधिकार


जहां छापेमारी की जा रही है, अगर वहां बच्चें हैं और उन्हें स्कूल जाना है, तो उनके बैग की जांच कर उन्हें स्कूल भेजा जाता है। साथ ही घर या परिसर में मौजूद लोगों को नियमित और समय पर खाना खाने से भी रोका नहीं जा सकता। कार्रवाई पूरी हो जाने के बाद संबंधित व्यक्ति या कंपनी को स्टेटमेंट की एक कॉपी लेने का अधिकार है। वो स्टेटमेंट ही उसके खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। 

तोड़-फोड़ करने की छूट


छापेमारी के दौरान अगर आयकर विभाग की टीम को कुछ बड़ी गड़बड़ी के सबूत मिलते हैं या उन्हें शक होता है तो वहां मौजूद आयकर अधिकारी सख्त लहजा अपना सकते हैं और वे उस घर, परिसर या दफ्तर में सबूतों और जानकारी को हसिल करने के लिए वहां लगे ताले या दीवारों तक को तोड़ सकते हैं। 

ऑपरेशन वास्तव में किया कैसे जाता है?


सर्च टीम में अलग अलग संख्या होती है. फिर टीम आती है और सर्च वारंट देती है. इसके बाद जहां सर्च ऑपरेशन जारी रहता है, वहां किसी को भी उस परिसर से बाहर जाने की अनुमति नहीं होती है. ना ही वे व्यक्ति फोन आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं और किसी भी बाहरी व्यक्ति से बात नहीं कर पाते हैं. वैसे अधिकारी मौके पर स्थिति के हिसाब से अन्य निर्णय ले सकते हैं. अगर किसी व्यक्ति को वॉशरूम भी जाना होता है तो आयकर अधिकारी (Income tax department) की परमिशन लेना आवश्यक होता है. कई बार सर्च ऑपरेशन लंबा चलता है तो खाने पीने के लिए भी रसोई का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.

सामान कैसे जब्त किया जाता है?


जिस व्यक्ति के यहां रेड (Income Tax Raid) मारी जाती है, वहां से सामान जब्त करने के भी कई नियम होते हैं. कम्प्यूटर आदि की जांच में सिस्टम की हार्ड डिस्क अपने साथ ले लेता हैं और केश, ज्वैलरी को जब्त कर लेते हैं. फिर जिन जिन सामान को जब्त किया जाता है, उनकी जानकारी अगली पार्टी को भी दी जाती है और फिर उन्हें सत्यापित करवाया जाता है. तलाशी अभियान के बाद बयान भी दर्ज किए जाते हैं. इसके अलावा अगर किसी व्यापारिक प्रतिष्ठान पर छापा पड़ता है तो बेचने के लिए रखे सामान को जब्त नहीं किया जाता है.

जब्त पैसे का क्या करता है आयकर विभाग


अगर जब्त संपत्ति की बात करें तो आयकर विभाग (Income tax department) सबसे पहले उस पैसे को बैंक में जमा करवाते हैं. इनमें कमिश्नर से जुड़े खातों को भी इन्वॉल्व किया जाता है. इसके बाद पूरी संपत्ति आय आदि की जांच होती है और उसके बाद टैक्स की गणना की जाती है, जिसमें जुर्माना आदि भी शामिल किया जाता है. फिर टैक्स (tax) डिमांड की गणना होती है और फिर से ट्रॉयब्यूनल में सेट करती है और बचे हुए पेमेंट को वापस कर दिया जाता है.


 

ये हैं इनकम टैक्स की पांच सबसे बड़ी रेड- 

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1 सरदार इंदर सिंह रेड 


38 साल पहले पड़ी आयकर विभाग की ये रेड (Income Tax Department Raid) भी कानपुर की ही घटना है। इस दौरान आयकर विभाग कानपुर में कांग्रेस के विधायक और बड़े व्यापारी सरदार इंदर सिंह के घर पर रेड मारी थी। लखनऊ के तत्कालीन आयकर अधीक्षक के नेतृत्व में 90 आयकर अधिकारियों की टीम ने ये रेड डाली थी। 18 घंटे तक चली इस रेड के दौरान आयकर अधिकारियों की सुरक्षा के लिए करीब 200 पुलिसकर्मी वहां मौजूद थे। इस रेड में करीब 1।6 करोड़ रुपए नकद और सोने के साथ अन्य कई दस्तावेज बरामद हुए थे।


2 हरीश छाबड़ा और ज्वैलर चितरंजन रेड 


14 सितंबर 1981 को उत्तर प्रदेश के मुजफफरनगर के दो कारोबारियों हरीश छाबड़ा और ज्वैलर चितरंजन की फैक्ट्रियों और घरों पर आयकर विभाग का छापा पड़ा। छापा मरने गई आयकर टीम में करीब 88 अधिकारी थे। जिन्होंने 2 करोड़ रुपए की अघोषित संपत्ति को पकड़ा था। इस रेड को रोकने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने आयकर विभाग (Income tax department) की टीम पर पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में ही हमला कर दिया था। इसी आयकर विभाग के छापे पर फिल्म 'रेड' बनी थी। 

3 छजलानी ग्रुप रेड 


आयकर विभाग (Income tax department) की इस रेड को आईटी की सबसे बड़ी रेड माना जाता है। नामी व्यापारिक समूह छजलानी ग्रुपये पर पड़ी ये रेड करीब तीन दिन तक चली थी। 2021 में इंदौर में हुई इस रेड में करीब 230 करोड़ की अघोषित संपत्ति जब्त करने की बात सामने आई थी। 

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4 एसपीके ग्रुप रेड 


तमिलनाडु में राजमार्ग निर्माण के कार्य में लगी कंस्‍ट्रक्‍शन कंपनी एसपीके ग्रुप के दफ्तरों पर छापा मारकर 163 करोड़ रुपए नकद और 100 किलोग्राम सोना जब्‍त की गई थी। एसपीके ग्रुप कंपनी तमिलनाडु के एक सड़क ठेकेदार नागराजन सेय्यदुरई की थी। 


5 भाई ठाकुर रेड 


मुंबई के विरार में ठाकुर ग्रुप पर पड़ी इनकम टैक्स रेड (income tax raid) में 13000 (तेरह हज़ार करोड़) रुपये जब्त किये गए थे। इस ग्रूप के मालिक महाराष्ट्र के पूर्व विधायक हितेन्द्र ठाकुर थे। एक समय हितेन्द्र टाडा में जेल भी जा चुके थे। हितेन्द्र ठाकुर दावूद इब्राहिम के पूर्व साथी जयेंद्र ठाकुर उर्फ़ भाई ठाकुर के बड़े भाई थे। हैरान करने वाली बात रही कि इस रेड से जुड़ी ज्यादा जानकारी नेट पर नहीं हैं। कुछ एक मीडिया संस्थानों ने इस बारे में लिखा था जिसमें बताया गया था कि 390 करोड़ रुपये मिले हैं।