home page

Income Tax Rule : इनकम टैक्स से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव, टैक्सपेयर्स को मिली राहत

Income Tax New Rule : देशभर में रह रहे हर व्यक्ति को अपनी कमाई का कुछ हिस्सा इनकम टैक्स के तौर पर देना पड़ता है। हाल ही में इनकम टैक्स डिपोर्टमेंट ने इनकम टैक्स (Income Tax Department) से जुड़े कुछ नियमों में बदलाव किया है। इन बदलाव की वजह से टैक्सपेयर्स को काफी राहत मिली है। खबर में जानिये इनकम टैक्स विभाग से जुड़े इन नए नियमों के बारे में। 

 | 
Income Tax Rule : इनकम टैक्स से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव, टैक्सपेयर्स को मिली राहत

HR Breaking News - (Income Tax Update)। इनकम टैक्स विभाग द्वारा देशभर में हो रही वित्तीय ट्रांजेक्शन पर नजर रखी जाती है। इसके अलावा इनकम टैक्स विभाग द्वारा समय-समय पर टैक्स के नियमों में भी बदलाव किया जाता है।

हाल ही में इनकम टैक्स विभाग ने टैक्स के नियमों (Income Tax New Rule) में बदलाव कर है। इसकी वजह  से  टैक्सपेयर को काफी लाभ हो रहा है। टैक्स के नियमों में हुए इन बदलावों की वजह से अब टैक्सपेयर्स का किसी भी तरह की मुश्किलों का सामना नहीं करना होगा। आइए विस्तार से जानते हैं इस बारे में पूरी डिटैल।


अथॉरिटीज का अप्रुलवल मिलना भी है जरूरी-


इनकम टैक्स (Income Tax Latest Update) से जुड़े ऑफेंस के मामलों में अब जेल जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। टैक्सपेयर्स पेनाल्टी चुकाकर जेल जाने से बच जाएंगे। हालांकि, इसके लिए टैक्स अथॉरिटीज का एप्रूवल जरूरी होगा। दरअसल, इनकम टैक्स के लॉज में कुछ खास तरह के पेमेंट्स पर डिफॉल्ट (Payment Default New Rules) करने पर जेल की सजा का प्रावधान है


सीबीडीटी ने  उठाया बड़ा कदम-


सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT Update) ने टैक्स कंप्लायंस को आसान बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने बताया कि इनकम टैक्स एक्ट के तहत सभी ऑफेंसेज अब कंपाउंडेबल किये जाएंगे। इसका मतलब है कि इनकम टैक्स (Income Tax Rules) से जुड़े ऑफेंस के मामलों में अब जेल जाने की जरूरत नहीं पड़ने वाली है। टैक्सपेयर्स पेनाल्टी को चुकाकर जेल जाने से बच सकते हैं। हालांकि, इसके लिए टैक्स अथॉरिटीज का एप्रूवल मिलना कफी ज्यादा जरूरी होगा।


2024 में बनाया गया था ये नियम-


इनकम टैक्स (Income Tax Ke Niyam) के लॉज में कुछ खास तरीके के पेमेंट्स पर डिफॉल्ट करने पर जेल की सजा देने के प्रावधान को बनाया गया है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई टैक्सपेयर इनकम टैक्स रिटर्न को फाइल नहीं करता है या फिर TDS डिपॉजिट नहीं करता है, टैक्स चोरी (Tax default in india) करता है या बुक्स ऑफ अकाउंट्स में फर्जीवाड़ा करता है तो जेल की सजा का प्रावधान बनाया गया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024 में कंपाउंडिंग प्रोसेस को आसान बनाने के लिए इसका ऐलान किया था।


कंपाउंडिंग चार्जेज को लेकर ये हैं नियम-


इसके बाद CBDT ने 17 अक्टूबर, 2024 को नई गाइडलाइंस (Income Tax New Guidelines) को जारी किया गया था। कंपाउंडिंग एक मैकेनिज्म है, जो डिफॉल्टर को कंपाउंडिंग चार्जेज चुकाने के बाद कानूनी प्रक्रिया से बचने का ऑप्शन दिया जाता है। टैक्स अथॉरिटीज (Tax Authorities of India) कंपाउंडिंग चार्जेज का निर्धारण करती हैं। CBDT ने अब इस बारे में स्पष्टीकरण को पेश कर दिया है। 


कंपाउंडिंग रिक्वेस्ट को लेकर बनाए गए ये नियम-


-सभी उल्लंघन पर कंपाउंडिंग की अनुमति दी गई है।
- सिंगल कंपाउंडिंग रिक्वेस्ट की बजाय एक से ज्यादा अप्लिकेशन को लगाने की इजाजत दी गई है।
-कंपाउंडिंग अप्लिकेशन को फाइल करने के लिए 36 महीने की टाइम दिया गया है।
-सेक्शन 275ए और 276बी के तहत आने वाले ऑफेंसेज को भी कंपाउंडेबल को बनाया गया है।


कंपाउंडिंग रिक्वेस्ट के लिए देनी होगी इतनी अप्लिकेशन फीस-


हालांकि, इसके लिए उनको भारी कीमत का भुगतान करना पड़ सकता है। सिंगल कंपाउंडिंग (Single Compounding Charge) रिक्वेस्ट के लिए अप्लिकेशन फीस 25,000 रुपये तक की गई है। कंसॉलिडेटेड अप्लिकेशन के लिए फीस को 50,000 रुपये तक तय किया गया है। यह फीस (Fees for Single Compounding) नॉन-रिफंडेबल रहने वाली है। हालांकि इसे अथॉरिटीज की ओर से तय किए गए फाइनल कपाउंडिंग चार्ज के साथ एडजस्ट किया जा सकता है।


सरकार के कदम उठाने का मकसद-


नियमों में हुए इस बदलाव की वजह से बिजनेसेज और इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स (Latest Update For Taxpayers) को काफी ज्यादा राहत मिली है। उन्हें कानूनी कार्रवाई का डर अब नहीं है और वे खुद ही टैक्स कंप्लायंस में दिलचस्पी को दिखाने वाले हैं। यह कदम सरकार (Goverment Latest Update) के उस कोशिश का ही एक हिस्सा रहने वाला है। इसके तहत वह टैक्स के नियमों को टैक्सपेयर्स के लिए आसान बनाने वाला है।


डिफॉल्ट के मामलों को किया जा सकेगा सैटल-


अब टैक्सपेयर्स द्वारा अपने पहले के डिफॉल्ट (Tax Default rules in india) के मामले को सेटल किया जा सकता है। कानूनी कार्रवाई के डर के बगैर वह टैक्स कंप्लायंस पर फोकस को बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स के नियमों (New Tax Rules) का सही तरह से पालन करना काफी ज्यादा जरूरी रहने वाला है। इसकी वजह से उन्हें गैर-जरूरी पेनाल्टी का सामना नहीं करना पड़ेगा।