Income Tax Rules : पत्नी, भाई-बहन या रिश्तेदार को गिफ्ट देने से पहले जान लें इनकम टैक्स के नए नियम
तमाम ऐसे मौके होते हैं जहां पर हम अपने दोस्तों, करीबियों और रिश्तेदारों को गिफ्ट देते हैं. लेकिन गिफ्ट पर कई बार आपको टैक्स भी देना पड़ता है. अगर आप अपने किसी करीबी को तोहफा देना चाहते हैं तो पहले ये नियम अच्छे से समझ लें. आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.
HR Breaking News (नई दिल्ली)। गिफ्ट्स का लेन-देन हम सभी करते हैं. जन्मदिन, सगाई, शादी, मुंडन से लेकर तमाम ऐसे मौके होते हैं जहां पर हम अपने दोस्तों, करीबियों और रिश्तेदारों को गिफ्ट देते हैं. लेकिन गिफ्ट पर कई बार आपको टैक्स भी देना पड़ता है. गिफ्ट देने के मामले में टैक्स से जुड़े कुछ नियम हैं, जिनके बारे में लोगों को जानकारी नहीं होती है. ये नियम गिफ्ट की कीमत और देने वाले से आपके रिश्ते पर निर्भर करता है. आइए आपको बताते हैं इसके बारे में.
इनको गिफ्ट देने पर नहीं लगता है टैक्स
आपके सगे संबन्धी और करीबी रिश्तेदार गिफ्ट दें, तो उन पर टैक्स नहीं लगता है, लेकिन अगर आपका कोई दोस्त आपको गिफ्ट देता है तो वो टैक्स के दायरे में आता है. पति-पत्नी, भाई-बहन, पति/पत्नी का भाई या बहन यानी साली, ननद, देवर, साला, माता/पिता के भाई या बहन यानी मौसी, मामा, बुआ, चाचा, दादा-दादी या नाना-नानी, पति/पत्नी के दादा-दादी या नाना-नानी, बेटा या बेटी और भाई/बहन का पति या पत्नी को सगे संबन्धी की लिस्ट में रखा जाता है. अगर ये आपको गिफ्ट दें तो वो टैक्स के दायरे में नहीं आता है.
टैक्सेबल इनकम में गिने जाते हैं ये गिफ्ट्स
आपके दोस्त और परिचित आपके सगे संबन्धियों में नहीं आते हैं, इनसे आपका खून का रिश्ता नहीं होता, इसलिए इनके गिफ्ट टैक्स के दायरे में आते हैं. हालांकि हर गिफ्ट पर टैक्स नहीं लगता है. अगर आपके मित्र या परिचित आपको गिफ्ट के तौर पर 50 हजार से ज्यादा कैश दें, जमीन या मकान, शेयर, ज्वेलरी, पेंटिंग, मूर्ति आदि ऐसी चीज गिफ्ट करें, जिसकी कीमत 50 हजार रुपए से ज्यादा हो, तो इसे टैक्सेबल इनकम में गिना जाता है. इसकी जानकारी आयकर रिटर्न में देना जरूरी है. टैक्स गणना के बाद अगर टैक्स देनदारी बनती है, तो आपको वो टैक्स चुकाना पड़ता है. जबकि सगे संबन्धियों का गिफ्ट 50 हजार से ज्यादा कीमत का भी हो तो भी वो टैक्स फ्री माना जाता है.
ये नियम भी अच्छे से समझ लें
- पति-पत्नी में गिफ्ट के लेन-देन पर टैक्स नहीं होता क्योंकि गिफ्ट लेन-देन से होने वाली आय इनकम क्लबिंग के दायरे में आती है.
- प्रॉपर्टी,शेयर,बॉन्ड,गाड़ी आदि अगर सगे संबन्धियों से मिले तो टैक्स फ्री, अगर दोस्तों या परिचितों से मिलें तो इन पर टैक्स लगता है.
- शादी पर मिलने वाला गिफ्ट पूरी तरह से टैक्स फ्री होता है, जबकि एम्प्लॉयर से मिलने वाला गिफ्ट टैक्स के दायरे में आता है.
- दोस्तों या परिचितों से एक साल में 50 हजार तक की कीमत का गिफ्ट मिले तो उसे टैक्स फ्री रखा गया है, 50 हजार से ज्यादा कीमत होने पर टैक्स देना होता है.
- सगे संबन्धी रिश्तेदारों से मिली संपत्ति पर टैक्स की देनदारी नहीं होती है, लेकिन उस संपत्ति को बेचने पर टैक्स देना होता है.
- वसीयत में मिली प्रॉपर्टी पर टैक्स नहीं होता, लेकिन इस प्रॉपर्टी को बेचने पर टैक्स देना होता है.