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Indian Bank : बैंक मैनेजर ने ही ग्राहकों को लगा दिया करोड़ों का चूना, ऐसे किया खेल

Indian Bank : आपको बता दें कि इंडियन बैंक की राजेंद्र नगर शाखा के प्रबंधक पर बैंक प्रबंधन ने फर्जी एनएससी लगा 1.50 करोड़ रुपये का लोन लेने का आरोप लगाया है। मिली जानकारी के मुताबिक आपको बता दें कि प्रबंधक पर आरोप है कि फर्जी एनएससी के सहारे लिए लोन का भुगतान फर्जी कृषि लोन खाते खोलकर उनमें धनराशि डाली गई फिर उस धनराशि से लोन की कुछ रकम अदा की गई...
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Indian Bank : बैंक मैनेजर ने ही ग्राहकों को लगा दिया करोड़ों का चूना, ऐसे किया खेल

HR Breaking News, Digital Desk- इंडियन बैंक की राजेंद्र नगर शाखा के प्रबंधक पर बैंक प्रबंधन ने फर्जी एनएससी लगा 1.50 करोड़ रुपये का लोन लेने का आरोप लगाया है। प्रबंधक पर आरोप है कि फर्जी एनएससी के सहारे लिए लोन का भुगतान फर्जी कृषि लोन खाते खोलकर उनमें धनराशि डाली गई फिर उस धनराशि से लोन की कुछ रकम अदा की गई। पूरे प्रकरण में बैंक ने एक करोड़ रुपये का नुकसान होने का आरोप लगाते हुए शाखा प्रबंधक के खिलाफ साहिबाबाद थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। 

आरोपी प्रबंधक को बैंक ने अंदरुनी जांच के बाद निलंबित कर दिया है। इंडियन बैंक की क्षेत्रीय प्रमुख प्राची अग्रवाल ने साहिबाबाद थाने में राजेंद्र नगर शाखा के प्रबंधक रहे सुनील कुमार तथा एक खाताधारक विनय प्रताप के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज कराया है। बैंक ने आरोप लगाया है कि सुनील कुमार ने नोएडा सेक्टर-63 शाखा प्रबंधक के रुप में तैनाती के दौरान 1.5 करोड़ रुपये मूल्य की फर्जी एनएससी (राष्ट्रीय बचत पत्र) लगाकर ओडी खाता खोला और 1.5 करोड़ रुपये का लोन जारी किया। यह धनराशि अर्नव ट्रेडिंग कंपनी के जरिए बून सीडस के खातों में डाल दी गई। अप्रैल 2021 में आरोपी प्रबंधक ने राजेंद्र नगर शाखा में तैनाती के दौरान जमीन के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कई कृषि लोन स्वीकृत किए।

डाक विभाग ने बताया फर्जी है एनएससी-

बैंक अधिकारियों ने पुलिस को बताया है कि फर्जी लोन खाता खोलते हुए जिस एनएससी को दिखाया गया उसे दिल्ली के त्रिलोकपुरी डाकघर से जारी दिखाया। इसकी जब डाक विभाग से जांच कराई गई तो उन्होंने बताया कि एनएससी फर्जी है। डाकघर के नाम पर प्रयोग हुई मुहर और लिफाफा भी जांच में फर्जी निकला।

जाली वेतनभोगियों के लोन स्वीकृत किए-

बैंक ने आरोप लगाया कि तत्कालीन बैंक प्रबंधक ने एक फर्म के वेतनभोगियों को कृषि लोन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दिए। जब कंपनी से जांच कराई गई तो कंपनी ने बताया कि वेतनभोगी उनके यहां काम नहीं करते। यानि पूरे फर्जीवाड़े में सबकुछ फर्जी निकला। आरोपी प्रबंधक ने 20 से ज्यादा फर्जी कृषि लोन स्वीकृत किए।