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Loan Recovery: लाेन नहीं भरने वालों के लिए RBI ने जारी की गाइडलान, ग्राहकों को मिली बड़ी राहत

लोन न चुका पाने पर डिफॉल्ट की कैटेगरी में तीन पक्ष जुड़े होते हैं, ग्राहक, बैंक और रिकवरी एजेंट। बैंक या इंश्योरेंस कंपनी लोन के भरपाई के लिए रिकवरी एजेंट्स को हायर करते हैं।आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.

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HR Breaking News (नई दिल्ली)।  लोन न चुकाने पर रिकवरी एजेंट्स द्वारा परेशान किए जाने की कई शिकायतें सामने आती हैं। अगर आप भी इस समस्या का सामना कर रहे हैं, तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रिकवरी एजेंटों के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनका पालन उन्हें करना होता है। 

 

 


लोन न चुकाने पर परेशान करते हैं रिकवरी एजेंट? जानिए RBI के गाइडलाइंस


असल में जब भी ग्राहक समय से लोन न चुका पाने पर डिफॉल्ट की कैटेगरी में पाया जाता है, तो ऐसे मामले में तीन पक्ष जुड़े होते हैं, ग्राहक, बैंक और रिकवरी एजेंट। बैंक या इंश्योरेंस कंपनी लोन के भरपाई के लिए रिकवरी एजेंट्स को हायर करते हैं, ताकि रिकवरी एजेंट्स ग्राहक से लोन बकाया वसूल कर सकें। इन रिकवरी एजेंट्स को लोन वसूल करने पर बैंक या इंश्योरेंस कंपनी कमीशन भी मिलता है। ऐसे में रिकवरी एजेंट्स के पास कमीशन पाने का यही तरीका होता है कि आपसे किसी भी तरह से वसूली कर लें।


कभी-कभी रिकवरी एजेंट्स किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाते हैं, वे गाली-गलौज या धमकी देने कर उतर जाते हैं। जिससे ग्राहक के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसे लेकर कुछ मामलों में तो ग्राहक खुदकुशी करने जैसे कदम उठा लेते हैं।

लोन वसूली के लिए बैंकों के लिए आरबीआई के निर्देश


यह जानकारी बैंकों द्वारा लोन वसूली के लिए किए जाने वाले वैध तरीकों को समझने में आपकी मदद करेगा।

लोन वसूली के लिए न्यायसंगत तरीके अपनाने चाहिए

  • बैंकों को आरबीआई के Fair Practice Code का पालन करते हुए पारदर्शिता और न्यायसंगत तरीकों से लोन वसूली करनी होगी।
  • किसी भी तरह का शोषण, चाहे वो मौखिक हो या शारीरिक, स्वीकार्य नहीं किया जा सकता है।
  • लोन रिकवरी के लिए तीसरे पक्ष को लोन की जानकारी देने की तब तक जरूरत नहीं होगी, जब तक कानूनी तौर पर इसकी जरूरत नहीं पड़ती है।
  • उधार रखने वाले ग्राहक की प्राइवेसी की सुरक्षा करना बैंकों की जिम्मेदारी है।

डिफॉल्ट की स्थिति में

  • बैंकों को डिफॉल्ट की स्थिति में ग्राहक को पहले नोटिस ऑफ डिफॉल्ट भेजना होगा।
  • नोटिस में डिफॉल्ट की पूरी डीटेल, जैसे कि कितना बकाया है और डिफॉल्ट की स्थिति में ग्राहक को अब क्या कदम उठाने चाहिए, शामिल होना चाहिए।
  • ग्राहकों को एक लोन अकाउंट स्टेटमेंट भी दिया जाना चाहिए।

लोन रिकवरी एजेंट

  • बैंकों द्वारा लोन रिकवरी एजेंट्स का इस्तेमाल करते समय, यह ध्यान रखना होगा कि ये एजेंट्स आरबीआई की आचार संहिता का पालन करते हैं।
  • इन एजेंट्स के पास आईडी कार्ड, ऑथराइजेशन लेटर और बैंक की ओर से जारी किए गए नोटिस की कॉपी होनी चाहिए।
  • आरबीआई के नियमों के तहत ये एजेंट्स ग्राहकों का किसी भी तरह से शोषण नहीं कर सकते हैं।

लोन सेटलमेंट


लोन सेटलमेंट के वक्त बैंक की ओर से ग्राहकों को सभी उपलब्ध विकल्प दिए जाने चाहिए।

चल-अचल संपत्ति की नीलामी


बैंक अगर ग्राहक की किसी चल-अचल संपत्ति की नीलामी कर रहे हैं, तो उन्हें इसे Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest Act, 2002 (SARFAESI Act) और Security Interest (Enforcement) Rules, 2002 के प्रावधानों के तहत ही करना होगा।

लोन कॉन्ट्रैक्ट

  • बैंक आपके लोन कॉन्ट्रैक्ट में आपकी संपत्ति को कब्जे में लेने का प्रावधान भी रख सकते हैं।
  • डिफॉल्ट की हालत में ये क्लॉज वैलिड होने पर बैंक के पास कब्जे का अधिकार होगा।
  • कॉन्ट्रैक्ट में नोटिस पीरियड, नोटिस पीरियड से छूट और कब्जे की प्रक्रिया की डिटेल होनी चाहिए।