Loan Settlement : बैंक से लोन सेटलमेंट करने के बाद जरूर कर लें ये काम, वरना सिबिल स्कोर का हो जाएगा कबाड़ा
Loan Settlement Rules : बैंक से लोन लेने के बाद कई लोग इसे सेटलमेंट के जरिये चुकता करते हैं। अक्सर लोन सेटलमेंट (Loan Settlement ke niyam) की प्रक्रिया को तो पूरा कर लिया जाता है लेकिन वे लोन सेटलमेंट करने के बाद एक खास जरूरी काम करना भूल जाते हैं। इससे उनका सिबिल स्कोर (cibil score) भी खराब हो जाता है। इसलिए लोन सेटलमेंट के बाद यह जरूरी काम अवश्य कर लें।
HR Breaking News - (CIBIL Score)। जब भी ग्राहक की ओर से बैंक से लोन लिया जाता है तो ग्राहक को लोन की ईएमआई (loan EMI) चुकाने का बोझ भी मिलता है। इसे हर माह चुकाना हर किसी के लिए आसान नहीं होता। ऐसे में बहुत से लोग लोन सेटलमेंट (how to settle loan) का रास्ता चुनते हैं। वे लोन सेटलमेंट तो कर लेते हैं लेकिन इसके बाद जो जरूरी काम होता है, वह नहीं करते। इससे उनका सिबिल स्कोर (cibil score update) गर्त में चला जाता है। जब भी लोन सेटलमेंट करें तो यह काम करना न भूलें, नहीं तो आपके सिबिल स्कोर का बेड़ा गर्क हो जाएगा।
जानिये लोन सेटलमेंट के बारे में -
लोन सेटलमेंट उस स्थिति में किया जाता है जब लोन चुकाने में असमर्थता जाहिर हो रही हो। इसे वन टाइम सेटलमेंट (One Time Settlement) भी कहा जाता है। लोनधारक बैंक मैनेजर से मिलकर बीच का रास्ता निकालता है और लोन सेटलमेंट के जरिये एक बार में ही निर्धारित राशि चुकाकर एक तरह से पीछा छुड़ाता है। लोन सेटलमेंट (how to settle loan) से बेशक एक बार राहत मिल सकती है लेकिन इससे नुकसान (loan Settlement ke nuksan) भी होता है। सबसे बड़ा नुकसान तो तब होता है जब लोन सेटलमेंट के बाद एक और जरूरी काम न किया जाए।
यह भूल पड़ती है लोनधारक को भारी -
लोन सेटलमेंट करने से ग्राहक को ब्याज दरें (loan interest rates) कम होने का मौका मिल सकता है। इससे उसकी ईएमआई कम हो सकती है। इसके बाद एक राशि तय कर ली जाती और लोनधारक वह राशि चुकाकर लोन सेटल (loan Settlement benefits) कर लेता है। हालांकि यह पूरी तरह से चुकता नहीं होता। यही भूल कई लोगों को भारी पड़ती है।
लोन सेटलमेंट से बस इतनी सी मिलती है राहत-
कुछ लोग सोचते हैं कि लोन सेटल (loan settelment kaise kre) करके वे पूरी तरह से लोनमुक्त हो गए हैं, पर ऐसा बिल्कुल नहीं होता। लोन सेटलमेंट के दौरान कर्जधारक को लोन की बकाया राशि तो पूरी देनी पड़ती है, लेकिन उसे ब्याज, पेनेल्टी या चार्ज आदि में आंशिक या पूर्ण राहत मिल जाती है। हालांकि, लोन सेटल (loan Settlement ke niyam) करने से रिकवरी एजेंटों से भी उसे छुटकारा मिल जाता है।
बैंक की शर्तें माननी पड़ती हैं ग्राहक को -
लोन सेटलमेंट (loan settelment terms) के बाद लोन पूरी तरह से क्लोज नहीं होता, इससे लोनधारक बैंक से हुए समझौते की शर्तों को मानकर आंशिक राहत पाते हुए उसे चुका सकता है। बैंक अधिकारी भी यह समझकर लोन सेटलमेंट (bank rules for loan settelment) पर राजी हो जाते हैं कि बैंक को अधिक नुकसान के बजाय कम ही हो। इसमें बैंक की ही अधिकतर शर्तों को ग्राहक को मानना पड़ता है।
बैंक को नहीं मिलता पूरा फायदा-
लोन सेटलमेंट से होने वाले नुकसान के बारे में भी बहुत कम लोग जानते हैं। लोन सेटल करने पर बैंक कुछ नुकसान में ही आता है। बैंक (bank news) को लोन लेनदार से लोन की पूरी अवधि वाला फायदा लोन सेटलमेंट से नहीं मिल पाता। इसीलिए बैंक कर्जधारक की क्रेडिट हिस्ट्री में 'सेटल्ड' (setteled in credit history) लिख देते हैं। इससे ग्राहक का सिबिल स्कोर खराब (cibil score) हो जाता है। इसके बाद 7 साल के लंबे समय तक कहीं भी उस कर्जधारक को लोन नहीं मिलता। ऐसे लोनधारक को बैंक ब्लैक लिस्ट भी कर सकता है।
लोन सेटलमेंट के बाद ये काम करना न भूलें-
अगर आपको लोन सेटलमेंट (loan settelment) की राह चुननी भी पड़ जाए तो इसे सेटल कराने के बाद जब वित्तीय स्थिति ठीक हो जाए यानी पैसों का प्रबंध हो जाए तो लोन को क्लोज जरूर करा लें। लोन क्लोज कराना इसलिए जरूरी है क्योंकि जब आपने लोन सेटलमेंट (loan settelment rules) किया था
तब पेनाल्टी व ब्याज आदि को बैंक ने नहीं लिया था। उस पूरे बकाया को बाद में आप चुका सकते हैं और लोन क्लोज कराकर नो ड्यू पेमेंट (no due payment certificate) का सर्टिफिकेट बैंक से ले लें। इसके बाद ही आप पूरी तरह से लोनमुक्त (loan repayment rules) होंगे और इसके बाद ही आपका सिबिल स्कोर सुधरेगा।
ऐसे होगा सिबिल स्कोर अपडेट-
लोन सेटलमेंट के बाद अगर आपने वित्तीय स्थिति सुधरने पर भी लोन क्लोज नहीं कराया और बैंक से एनओसी (Bank NOC) यानी नो ड्यू पेमेंट का सर्टिफिकेट नहीं लिया तो आपका सिबिल स्कोर खराब (cibil score update) ही रहेगा और आपको अन्य बैंक से भी लोन (loan news) नहीं मिलेगा। इस बात का ध्यान रखें कि लोन क्लोज (loan closing rules) कराने के बाद ही संबंधित बैंक क्रेडिट ब्यूरो को बताता है कि आपका अकाउंट क्लोज हो गया है। इसके बाद ही ग्राहक का सिबिल स्कोर (credit score kaise sudhare) अपडेट होकर सुधरता है।
