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लोन लेने वालों के लिए जरूरी अपडेट, RBI इस तारीख को लेगी EMI पर फैसला

RBI - अगर आपने भी लोन ले रखा है तो इस खबर को एक बार जरूर पढ़ ले। दरअसल आपको बता दें कि होम लोन से लेकर कार लोन तक की ईएमआई पर भारतीय रिजर्व बैंक अप्रैल की इस तारीख को फैसला लेने जा रही है। आरबीआई देश में महंगाई को कंट्रोल करने के टूल के तौर पर मौद्रिक नीति का सहारा लेता है, जो देश में कैश फ्लो को मेंटेन करने के काम आती है।
 
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HR Breaking News, Digital Desk- अगर आपने होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन लिया हुआ है, तो भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति आपके लिए काफी मायने रखती है, क्योंकि इसी के आधार पर आपके लोन की ईएमआई तय होती है. चालू वित्त वर्ष 2024-25 में कब-कब आपकी किस्मत का ताला खुल सकता है, आरबीआई ने इसका पूरा शेड्यल जारी कर दिया है.

अब देश की मौद्रिक नीति पर फैसला 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) करती है. इसमें 3 सदस्य भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से होते हैं, जबकि 6 सदस्य भारत सरकार की ओर से होते हैं. मौद्रिक नीति समिति की बैठक हर दो महीने में होती है और उसके बाद ही मौद्रिक नीति का ऐलान होता है.

नए वित्त वर्ष में एमपीसी की बैठक का शेड्यूल-

आरबीआई ने एमपीसी की बैठक का जो शेड्यूल तय किया है, उसके हिसाब से पहली बैठक 3 से 5 अप्रैल के बीच होगी. आपकी ईएमआई से जुड़ा फैसला यानी रेपो रेट में कटौती या बढ़ोतरी का फैसला इसी दिन होगा. आरबीआई देश में महंगाई को कंट्रोल करने के टूल के तौर पर मौद्रिक नीति का सहारा लेता है, जो देश में कैश फ्लो को मेंटेन करने के काम आती है.

अप्रैल के बाद मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 5 से 7 जून को होगी. इसके बाद ये बैठक 6 से 8 अगस्त, 7 से 9 अक्टूबर और 4 से 6 दिसंबर को होगी. वहीं फरवरी 2025 में इस वित्त वर्ष की आखिरी बैठक 5 से 7 तारीख को होगी.

लंबे समय से 6.5 प्रतिशत पर है रेपो रेट-

देश में अभी रेपो रेट की दर 6.5 प्रतिशत पर है. एमपीसी की पिछली बैठक 6 से 8 फरवरी 2024 को हुई थी. तब भी इस दर में कोई बदलाव नहीं किया गया था. आरबीआई ने रेपो रेट की दर में फरवरी 2023 के बाद कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो रेट को तय करते वक्त आरबीआई देश की रिटेल महंगाई के आंकड़ों पर गौर करता है और उसके बाद ही रेपो रेट तय करता है.

रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर देश के सभी बैंक आरबीआई (RBI) से पैसा उधार लेते हैं. इसके महंगा होने से बैंकों की लागत बढ़ती है, जिसके चलते बैंक लोन पर ब्याज दर बढ़ाते हैं और इस तरह रेपो रेट आपकी ईएमआई (EMI) पर असर डालती है. अगर देश में लोन महंगा होता है तो मार्केट में कैश फ्लो कम होता है, जो महंगाई को नीचे लाने में मदद करता है.