property will : प्रोपर्टी की वसीयत क्यों है जरूरी, जानिये बनाते समय किन बातों का रखें ध्यान
property wasiyat - संपत्ति से जुड़े वाद विवाद के माले अक्सर सुनने को मिलते हैं। ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि संपत्ति को लेकर परिवार के सदस्यों के आपास में लड़ाई झगड़े होने लगते हैं। अगर आप चाहते हैं कि ऐसी स्थिति न आए तो वसीयत करवाना बहुत जरूरी है। क्योंकि संपत्ति का मालिक जीवित रहते ही इस बात का फैसला कर लेता है कि उसके जाने के बाद उसकी संपत्ति पर किसका अधिकार होगा। लेकिन वहीं, अधिकतर लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि प्रॉपर्टी की वसीयत क्यों करवाई जाती है और उसके क्या फायदे होते हैं। आइए नीचे खबर में विस्तार से जानते हैं-

HR Breaking News (नई दिल्ली)। जो भी व्यक्ति 18 साल से अधिक उम्र का है, जिसके पास संपत्ति, जीवन बीमा पॉलिसी है और जो मानसिक रूप से स्वस्थ है वह अपनी वसीयत बना सकता है. वसीयत को लेकर कई लोगों के अलग-अलग मत है.
कई लोग इसे जरूरी नहीं समझते और इसे बनाने में झंझट महसूस करते हैं. लेकिन कई लोग ऐसे है जो अपनी वसीयत बनाकर रखते हैं. तो क्या आपने भी वसीयत बनानी चाहिए ? इसे कैसे बनाया जाता है ? आइये जानते हैं वसीयत से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां.
वसीयत बनाना क्यों जरूरी है ?
वसीयत का निर्माण इसलिए किया जाता है क्योंकि इससे संपत्ति के मालिक की मौत के बाद उत्तराधिकार को लेकर विवाद की स्थिति नहीं बने. संपत्ति का मालिक जीवित रहते ही इस बात का फैसला कर लेता है कि उसके जाने के बाद उसकी संपत्ति पर किसका अधिकार होगा.
यदि किसी के बच्चे नाबालिग है तो उन्हें वसीयत बनानी ही चाहिए. क्योंकि माता-पिता की मौत के बाद बच्चों के नाम पर संपत्ति उनके 18 वर्ष के होने पर की जाती है. इसके पहले उनकी देखरेख और वित्तीय फैसलों की जिम्मेदारी किसी को सौंप दी जाती है. इसीलिए यदि पहले से बच्चों की जिम्मेदारी किसी भरोसेमंद व्यक्ति के नाम पर सौंपी जाए तो बच्चों की परवरिश अच्छे से हो जाएगी.
संपत्ति का बंटवारा ही मृतक के परिवारजनों या उनके रिश्तेदारों के बीच विवाद का कारण बनता है. इसीलिए वसीयत के जरिये इस विवाद को पनपने से पहले ही खम किया जा सकता है. आप चाहे तो वसीयत में कई बदलाव कर सकते हैं.
वसीयत बनाते समय रखें इन बातों का ख्याल
- व्यक्ति का नाम, पिता / पति का नाम, घर का पता, जन्मतिथि
- वसीयत लिखने की तारीख और लिखने का उल्लेख.
- वसीयत लिखते समय आपको यह लिखना होता है कि आप अपनी मर्जी से बिना किसी के दबाव में आकर वसीयत बना रहे हैं.
- वसीयत में सम्पत्ति का ब्यौरा और लाभार्थी यानी उत्तराधिकारी के बारे में जानकारी. इसमें एक से ज्यादा उत्तराधिकारी का नाम भी जोड़ सकते हैं.
- साड़ी संपत्ति, बीमा पॉलिसी, फंड का उल्लेख करने के बाद आपको हस्ताक्षर करने होंगे. साथ ही गवाह के भी हस्ताक्षर करने जरूरी है.
- इसके बाद वसीयत की मूल प्रति को किसी सुरक्षित स्थान पर रखें और उसकी कॉपी को दुसरे स्थान पर रखना चाहिए.
- यह किसी भी भाषा में लिखी जा सकती है.
- वसीयत को कितनी भी बार बदला या रद्द किया जा सकता है. इसलिए आपको कोई STAMP स्टांप शुल्क देने की आवश्यकता नहीं है.
क्या रजिस्टर्ड वसीयत को कोर्ट में किया जा सकता है चैलेंज
यह बिल्कुल सही है कि वसीयत को चुनौती दी जा सकती है। इसमें खामी होने पर ऐसा किया जा सकता है। फिर चाहे वह रजिस्टर्ड ही क्यों न हो। इसके कई आधार होते हैं। हालांकि, वसीयत को कोर्ट में चुनौती न दी जा सके, इसके लिए सुनिश्चित करना होगा कि इसका निष्पादन भारतीय उत्तराधिकारी कानून, 1925 के प्रावधानों के अनुसार हो।
क्या कहता है भारत का कानून
मान लीजिए एक महिला को उसके माता-पिता से संपत्ति मिली। महिला ने चार बेटों में से एक के पक्ष में वसीयत कर दी, वह संपत्ति के मुक़दमें में नहीं है। अब वह महिला जीवित नहीं है। महिला के मरने के बाद बाकी 3 भाइयों को वसीयत के बारे में पता चला। वसीयत पहले से ही तीनों भाइयों के ज्ञान के बिना अदालत में पंजीकृत करा दी गई थी। क्या बाकी 3 भाई वसीयत को चुनौती दे सकते है?
हां, वसीयत की वैधता और वास्तविकता को हमेशा चुनौती दी जा सकती है। आप न्यायालय में वसीयत को चुनौती दे सकते हैं जब कानूनी तौर पर (आपका भाई) अपने नाम में उपकरण / वसीयत स्थानांतरित करने के लिए प्रोबेट मुक़दमा दर्ज करेगा उस दौरान, तब आप अपना तर्क दे सकते हैं और अपनी मां की वसीयत को चुनौती भी दे सकते हैं। आपके पास उपयुक्त न्यायालय में मुकदमा दायर करने का विकल्प है।
यदि आपके परिवार में चार भाई हैं, और किसी एक ने अपनी माँ की मृत्यु के उपरांत उनकी वसीयत के दस्तावेजों पर फर्जी हस्ताक्षर करवा लिए हैं, तो आप उस वसीयत को न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको किसी अनुभवी वकील की मदद लेनी पड़ेगी क्योंकि वह ही आपकी ऐसे मामले में मदद कर सकता है। वसीयत को रजिस्टर्ड करना उसे अबाध्य नहीं बनाता है। इसे हमेशा कोर्ट के सामने चुनौती दी जा सकती है। यह भी जरूरी नहीं है कि रजिस्टर्ड वसीयत मृतक का अंतिम वसीयतनामा है। एक नई अपंजीकृत वसीयत भी बनायी जाती है, जिसे वैध माना जाएगा।
वसीयत को चुनौती के आधार
अगर एक व्यक्ति को वसीयत बनाने के लिए धोखा दिया जाता है तो उसे कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। इस तरह के वसीयत को वसीयतकर्ता की स्वतंत्र सहमति से नहीं माना जाता है और इसे अदालत रद्द कर सकती है । अगर कोई वसीयत आपको बल या धमकी का इस्तेमाल करके बनाया गया है ऐसी वसीयत अवैध है और अदालत उसे रद्द कर सकती है। कानून के मुताबिक 18 साल से बड़े लोग ही वसीयत बना सकते हैं। माना जाता है कि व्यस्कों में वसीयत करने की क्षमता होती है। मानसिक क्षमता के आधार पर भी वसीयत को चुनौती दी जा सकती है।