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RBI ने रद्द किया एक और बैंक का लाइसेंस, ग्राहकों को इतना पैसा ही मिलेगा वापस

RBI Action :  रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) देश में सभी बैंकों के कामकाज के तरीके पर नजर बनाकर रखता है। अगर कोई बैंक नियमों की अनदेखी करता है तो रिजर्व बैंक कड़ी कार्रवाई करता है और कई बार लाखों का जुर्माना भी लगाता है। इसी कड़ी में RBI ने एक और बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। अब सवाल है कि ग्राहकों के पैसे का क्या होगा...

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HR Breaking News (नई दिल्ली)।  रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने उत्तर प्रदेश के अर्बन कोऑपरेटिव बैंक सीतापुर का लाइसेंस रद्द कर दिया है. साथ ही बैंक का कामकाज आज से बंद करने का आदेश जारी कर दिए हैं. आदेश के मुताबिक जमाकर्ताओं को पांच लाख रुपए तक मिलेंगे। 

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने DICGC कवर के जरिए बैंक की खराब वित्तीय हालत को देखते हुए ये फैसला लिया है. लाइसेंस रद्द करने के आदेश जारी करते हुए कहा है कि बैंक के पास पर्याप्त पूंजी नहीं है. साथ ही यूपी के कमिशनर एंड रजिस्टरार ऑफ कॉपरेटिव से बैंक के लिए एक लिक्विडेटर को नियुक्त करने के लिए कहा है.

 

 

 

 

 आरबीआई ने कहा बैंक के पास नहीं है पर्याप्त पूंजी


भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक का लाइसेंस रद्द करने का कारण बताते हुए कहा है कि बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और इनकम की संभावनाएं नहीं हैं. इस प्रकार,यह बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ धारा 11 (1) और धारा 22 (3) (डी) के प्रावधानों को फॉलो नहीं करता है. बैंक का बने रहना उसके जमाकर्ताओं के हितों के खिलाफ है. बैंक अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति के साथ अपने वर्तमान जमाकर्ताओं को पूर्ण भुगतान करने में असमर्थ रहेगा. 

बैंक को किया बैंकिंग कारोबार से प्रतिबंधित


आरबीआई के मुताबिक  बैंक को अपने बैंकिंग कारोबार को जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो जनहित पर इसका बुरा असर रहेगा. अपने बयान में आरबीआई ने आगे कहा है कि लाइसेंस रद्द होने के बाद 'बैंकिंग' कारोबार, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ जमाराशियों को स्वीकार करने और जमाराशियों की चुकौती करना शामिल हैं, करने से प्रतिबंधित किया गया है. बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धाराओं 22 (3) (ए), 22 (3) (बी), 22 (3) (सी), 22 (3) (डी) और 22 (3) (ई) की जरूरतों को नहीं पूरा कर सका है.

लिक्विडेशन के बाद, हर जमाकर्ता, DICGC अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के तहत,नि‍क्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी नि‍गम (DICGC) से ₹5,00,000/- (पांच लाख रुपये मात्र) की मौद्रिक सीमा तक अपने जमाराशि के संबंध में जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने का हकदार होगा। बैंक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 98.32% जमाकर्ता डीआईसीजीसी से उनकी पूरी जमाराशि प्राप्त करने के हकदार हैं.