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RBI Rules 2025 : बैंक डूबने पर कितना पैसा मिलेगा वापस, छोटे और बड़े बैंकों के लिए RBI का ये है नियम

Bank account : आए दिन बैकों के डुबते के कई मामले सामने आते हैं। ऐसे में अक्सर लोग इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि अगर जिस बैंक में उन्होंने पैसे जमा कराए है वो ही बैंक डूब जाए तो ऐसी परिस्थिति में क्या होगा। ऐसे में अगर बैंक डूब जाता है तो (Saving account rule) तो आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

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RBI Rules 2025 : बैंक डूबने पर कितना पैसा मिलेगा वापस, छोटे और बड़े बैंकों के लिए RBI का ये है नियम

HR Breaking News - (Bank Collapses Rules)। 2025 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंक डूबने की स्थिति में ग्राहकों को मिलने वाली रकम को लेकर नया नियम जारी किया है। इस नियम के तहत छोटे और बड़े बैंकों के लिए अलग-अलग प्रावधान होंगे। आरबीआई (RBI new rules) का यह कदम बैंकों की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने और ग्राहकों की जमा पूंजी की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। आइए विस्तार से जाते हैं आरबीआई के इस नियम के बारे में।

इस परिस्थिति में लोगों को होगी परेशानी-

आज के समय में हर कोई अपने पैसों को बचाने के लिए बैंक खाते का इस्तेमाल करता है। इन बैंक खातों के अंदर लोग अपनी मेहनत की कमाई को रखते हैं। बैंक इस जमा राशि (savings in bank account) पर आपको ब्याज देते हैं। जब बैंक में आपको पैसा जमा रहता है तो अक्सर लोग चिंता मुक्त हो जाते हैं। अगर कभी बैंक किसी वजह से दिवालिया (bank default update) हो जाए या फिर किसी भी कारण से बैंक बंद हो जाए तो ऐसे में लोगों के पैसों का क्या होगा, इसे लेकर अक्सर लोग परेशान रहते हैं।

जानिये बैंक क्यों हो जाता है दिवालिया-

जब भी किसी बैंक की लायबिलिटी उसके असेट्स से ज्यादा होने लग जाती हैं तो ऐसे में बैंक को संकट से निपटने में उसके सक्षम न होने की स्थिति में वह बैंक दिवालिया (bank Default) हो जाता है। इसके अलावा अगर दूसरे शब्दों में कहें तो बैंक की कमाई उसके खर्चों की तुलना में काफी कम होती हैं जिसकी वजह से बैंक (bank news today) को लगातार नुकसान का सामना करना पड़ता है। बैंक अपनी तमाम कोशिशों को करने के बाद भी संकट से नहीं उबर पाता है। फिर ऐसे बैंक को डूब हुआ माना जाता है और रेग्युलेटर्स इस बैंक को बंद करने का फैसला ले लेते हैं। 

इस परिस्थिति में डूब जाता है बैंक-

जब बैंक के पास उसकी संपत्ति से ज्यादा की देनदारी हो जाती हैं और निवेशक अपना पैसा निकालने लग जाते हैं तो ऐसी परिस्थिति में बैंक डूब (bank dubne ka matlab) जाता है। बैंक ग्राहकों के प्रति अपनी जिम्‍मेदारियों को निभाने में पूरी तरह से असमर्थ हो जाता है इस वजह से बैंक को दीवलिया घोषित कर दिया जाता है, इस स्थिति को ही बैंक डूब जाना कहते हैं।


बैंक ऐसे करता है कमाई-

बैंक ग्राहकों के पैसों से ही चलता है। बैंक ग्राहकों (bank news) के जमा पैसों पर ही उन्हें ब्याज देता हैं और उन पैसों को ऊंची ब्याज दरों के साथ उधार में और बॉन्ड में निवेश कर कमाई करता है। वहीं जब बैंक पर से ग्राहक का विश्‍वास भटक जाता है तो लोग बैंक से पैसों को निकालने लग जाते हैं। इस स्थिति में बैंक के सामने बैंक रन की स्थिति उत्पन हो जाती है। इस समय बैंक (banks collapse kyu hota h) को ग्राहकों का पैसा लौटाने के लिए अपने निवेश किए गए प्रतिभूतियों, बॉन्ड को बेचना पड़ जाता है। इससकी वजह से बैंक में आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन हो जाती है और बैंक के डूबने की नौबत आ जाती है।

बैंक के डूबने पर मिलती है इतनी राशि वापिस-

जिस भी बैंक में आपका बैंक खाता है अगर वो किसी भी कारण की वजह से बंद हो जाता है तो जिस बैंक में खाता है और वो बैंक खाता किसी भी वजह से बंक हो जाता है या फिर बैंक डूब (Why do banks collapse) जाता है तो ऐसे में स्थिति में कानून का प्रावधान है कि आपको 5 लाख रुपये तक की राशी वापिस दी जाए। फिर चाहे आपके बैंक खाते में इससे ज्यादा राशी ही क्यों न जमा हो, आपको बैंक डूबने (banks collapse rules) की स्थिति में सिर्फ पांच लाख रुपये तक का ही क्लैम किया जाता है।

इस कंपनी के तहत मिलता है इंश्योरेंस-

अगर भारत में कोई भी बैंक (best bank in india) डूब जाता है तो ऐसी स्थिति में ग्राहकों को डिपॉजिट इंश्योरेंस की सुविधा दी जाती है। बैंक डूबने के 60 दिनों के अंदर ही डूबे हुए पैसे आपके खाते में भेज दिये जाते है। देश में डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) रिजर्व बैंक के अधीन इस नियम के तहत ग्राहकों की जमा राशि पर इंश्योरेंस दिया जा रहा है। इस नियम से पहले भारत में 4 फरवरी 2020 से पहले बैंक जमा पर Deposit Insurance सिर्फ 1 लाख रुपये का ही कवर था।


साल 2020 में बदले नियम-  

साल 2020 में इन नियमों में बदलाव किया गया था और डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर (Deposit Insurance Cover) को एक लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये तक कर दिया गया है। डूबने वाले बैंक में अकाउंट रखने वाले ग्राहकों की 5 लाख रुपये तक की रकम इंश्योर (insurance on savings) की जाती है। जिस भी तारीख को बैंक का लाइसेंस रद्द किया जाता है या बैंक बंद करने की घोषणा की जाती है उस ही तारीख से ऐलान कर दिया जाता है, उस तारीख में ग्राहक के अकाउंट (bank account rules) में जो जमा और ब्याज होता है, उसमें से अधिकतम 5 लाख उसे मिल सकता है।

इतने दिनों में मिल जाती हैं इंश्योर की राशि-

Deposit Insurance सिस्टम के तहत आपको सेविंग्स अकाउंट (savings accounts), करेंट अकाउंट, रेकरिंग अकाउंट सहित हर तरह के डिपॉजिट अकाउंट को शामिल किया जाता है। इसमें जमा की गई राशि पर इंश्योरेंस कवर भी आपको ऑफर किया जाता है। खास बात तो ये है कि इस नियम के तहत किसी बैंक के डूबने पर इंश्योरेंस के तहत अकाउंट होल्डर्स (update for account holders) को पैसा महज 90 दिन के भीतर ही भेज दिया जाता है। नियम के तहत संकटग्रस्त बैंक को पहले 45 दिनों में इंश्योरेंस कॉरपोरेशन को सौंपा जाता है।


पहले इन बैंकों की आर्थिक स्थिति पर पड़ा था प्रभाव-

पिछले कुछ सालों में यस बैंक, लक्ष्मी निवास बैंक (Laxmi Nivas Bank) और पीएमसी बैंक की आर्थिक स्थिति को बिगड़ते हुए देखे गया था। वहीं सरकार की कोशिश से इने उबार लिया गया है। ऐसे में सरकार के होते हुए ग्राहकों (update for account holders) को चिंता करने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं होनी चाहिए, क्योंकि सरकार इन डूबने वाले बैंकों को बचा लेती है। इसके साथ ही RBI की बैंकों पर पैनी नजर होती है। क्योंकि आरबीआई हर बैंक के कर्ज और लेन-देन (transaction rules) पर अपनी नजरों को गठए रखता हैं।

बैंक के पास होती है पैसे देने की जिम्मेदारी-

किसी भी बैंक के डूब जाने से पहले ही वो कोई कठोर निर्णय लेकर आम लोगों की कमाई को सुरक्षित कर सकता है। इसके अलावा बैंक अगर डूब जाता है तो डीआईसीजीसी (DICGC rule) लोगों को उनके पैसे देने की जिम्मेदारी लेती है। इसके बदले में ये बैंकों से प्रीमियम लेता है। 

जानिये कितनी राशि मिलेगी वापिस-


अगर आपका बैंक में एक अकाउंट (bank account rules) है तो आकपेा बैंक उसपर पांच लाख रुपये देता है। वहीं अगर बैंक की अलग-अलग ब्रांच में आपके अकाउंट हैं तो ऐसे में भी इस योजना के तहत इनमें आपको 5 लाख रुपये (insurance on bank savings) तक का ही इंश्‍योरेंस कवर दिया जाता है। लेकिन सहकारी समीतियां इस दायरे से बाहर हैं।  DICGC के तहत आने वाले बैंकों में ही इस इंश्योरेंस का लाभ होता है।


एफडी को लेकर ये हैं नियम-


अगर आपने किसी बैंक में एफडी कराई हुई है और उस बैंक में आपका सेविंग्स अकाउंट या रेकरिंग अकाउंट या किसी ओर तरीके से बैंक (depositor rule) में पैसा लगाया है तो सभी राशियों को जोड़कर आपको अधिकतम 5 लाख रुपये की राशि दी जाएगी। इसके साथ ही अगर राशियों को जोड़ने के बाद 5 लाख रुपये या उससे कम होते हैं तो जितनी राशि जमा (RBI guidelines for bank deposite) होगी उतनी ही राशि आपको दी जाती है। लेकिन अगर राशि 5 लाख रुपये से अधिक होगी तो आपको नुकसान का सामना करना पड़ता है।

हर बैंक से मिलेंगे पांच लाख-

जानकारी के लिए बता दें कि अगर आपके दो अलग-अलग बैंकों में आपके अकाउंट (bank account news) और दोनों ही बैंक डूब जाते हैं तो ऐसी परिस्थिति में दोनों बैंकों से ही आपको 5-5 लाख रुपये की राशि दी जाती है। ध्‍यान रहे, कि इंश्‍योरेंस (Bank deposit insurance) की अधिकतम सीमा 5 लाख रुपये है। अगर जमा रकम 5 लाख से कम है तो सिर्फ वही मिलेगी जो जमा है।