Tax on Gold : सोना बेचने और खरीदने पर देना होगा इतना टैक्स, ज्वैलर्स के पास जाने से पहले जानिये कौन कौन से लगेंगे चार्ज
Gold Tax news : आमतौर पर जब आप सोना बेचने या खरीदने जाते हैं, तो आपको दोनों समय अलग-अलग रेट देखने को मिलता है। अधिकतर लोग इस बारे में अनजान होते हैं कि ऐसा क्यों होता है। वैसे भी अब आपको सोने को खरीदने व बेचने पर आपको टैक्स (gold sell purchasing tax) देना होगा। अगर आप सोना बेचने जाते हैं या खरीदने जाते हैं, तो सबसे पहले आपको आपके सोने पर लगने वाले टैक्स या चार्जेज के बारे में पता कर लेना चाहिए, नहीं तो आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। आइये जानते हैं सोने की खरीद-बेच पर लगने वाले टैक्स के बारे में इस खबर में।

HR Breaking News - (tax on gold selling)। सोने की खरीद-फरोख्त बड़े सौदों में शामिल है। इसलिए सोने में निवेश करने से लेकर खरीदने व बेचने तक पर अलग-अलग नियम लागू हैं। सोने को खरीदने व बेचने पर अलग-अलग तरह से कई प्रकार के टैक्स (Tax and charges on Gold) भी देने पड़ते हैं। अगर आपको अपने सोने पर लगने वाले टैक्स के बारे में कोई जानकारी नहीं है, तो आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए ज्वैलर्स के पास जाने से पहले आपको सोने पर लगने वाले टैक्स व अन्य चार्जेज के बारे में जान लेना चाहिए।
GST समेत लगते हैं कई चार्ज-
सोने पर मिलने वाले रिटर्न को लेकर काफी लोग उत्साहित रहते हैं। इस कारण से इसमें काफी लोग इन्वेस्ट भी कर रहे हैं। कोई फिजिकल गोल्ड यानी दुकान पर ऑफलाइन तरीके से सोना खरीद रहा है तो कोई डिजिटल गोल्ड में इन्वेस्ट कर रहा है। निवेश कैसे भी हो, जब भी आप गोल्ड खरीदते या बेचते हैं तो आपको इस पर टैक्स (Tax on Gold Buying and Selling) चुकाना होता है। सोने की वस्तुएं खरीदते समय जीएसटी (GST on gold) सहित कई अतिरिक्त शुल्क वसूल किए जाते हैं, जैसे कि वस्तु मूल्य पर टैक्स और अन्य शुल्क।
अतिरिक्त खर्चों का अनुमान लगाना जरूरी-
जब आप गहनों, सोने के बिस्किट्स या सिक्कों (tax on gold coins) की खरीदारी करते हैं, तो इन पर जीएसटी समेत अलग-अलग चार्ज लागू होते हैं। इस तरह के खर्चे खरीदारी के दौरान जुड़ते हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर लेन-देन किया जाता है। सोने की खरीद पर इन अतिरिक्त खर्चों का अनुमान पहले से लगाना जरूरी होता है।
1. मेकिंग चार्ज होता है ज्वेलर का मुनाफा-
जब आप सोने या चांदी के गहने खरीदते हैं, तो कुछ दुकानदार आपको अतिरिक्त शुल्क लगा सकते हैं। यह मेकिंग चार्ज शुल्क (gold making charges) उस गहने को बनाने में लगने वाली लागत को कवर करता है। वैसे तो यह 1-25 प्रतिशत (making charges on gold) होती है, जो अलग-अलग दुकानों पर बदल सकती है, और कभी-कभी दुकानदार इसे माफ भी कर सकते हैं। आप खरीदारी करते समय इससे संबंधित बातचीत करके इस शुल्क को कम भी करवा सकते हैं। यह पूरी तरह से उस व्यापारी की नीति पर निर्भर करता है।
2. जीएसटी की कैलकुलेशन -
ज्वेलरी खरीदने पर ग्राहक को GST का भुगतान (calculation of GST on Gold) करना होता है। सोने की ज्वेलरी पर 3 प्रतिशत GST लागू होता है। उदाहरण के तौर पर, अगर आप 20,000 रुपये की ज्वेलरी खरीदते हैं, तो आपको 600 रुपये GST के रूप में अतिरिक्त चुकाने पड़ेंगे। यह शुल्क सरकार को जाता है और खरीदारी की कुल कीमत में जुड़ जाता है।
3. कितना लगता है टीडीएस -
अगर आप 1 लाख रुपये या उससे ज्यादा का सोना खरीदते हैं, तो आपको TDS (Tax Deducted at Source) भी चुकाना होता है। यह TDS 1 प्रतिशत के हिसाब से होता है। उदाहरण के लिए, अगर आप 1,50,000 रुपये का सोना खरीदते हैं, तो आपको 1,500 रुपये टीडीएस (TDS on gold)के रूप में अदा करने होंगे। यह राशि सीधे सरकार के खाते में जाती है।
4. कितना टैक्स देना होता है फिजिकल सोना बेचने पर -
सोने के व्यापार से होने वाली आय पर टैक्स (Tax rules for gold) लगता है, जो दो श्रेणियों में बांटा जाता है। पहला शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स जो सोना बेचने पर 3 साल से पहले लगता है और दूसरा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (Long Term Capital Gains Tax) जो 3 साल बाद 20 प्रतिशत लगता है। यह टैक्स बेची गई कुल रकम पर नहीं, बल्कि मुनाफे पर लगता है। टैक्स कुल रकम पर नहीं, बल्कि लाभ पर आधारित होता है। सोने के व्यापार के समय विभिन्न प्रकार के टैक्स का भुगतान करना पड़ता है, जो लाभ के आधार पर निर्धारित होते हैं।
5. कौन से टैक्स चुकाने होते हैं डिजिटल गोल्ड पर -
डिजिटल गोल्ड खरीदने के कई विकल्प (digital gold kaise le) हैं, जैसे सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, गोल्ड म्यूचुअल फंड, और गोल्ड ईटीएफ। इन विकल्पों के तहत अगर सोना बेचा जाता है, तो उस पर टैक्स लगता है। अगर इसे तीन साल से पहले बेचा जाता है, तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (short term capital gains tax) देना होता है, जबकि तीन साल के बाद लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लागू होता है। टैक्स की दर आपकी कुल आय और टैक्स स्लैब पर निर्भर करती है।
6. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश -
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश (Sovereign Gold Bond) करने के बाद अगर आप इसे 8 साल तक रखते हैं, तो जो लाभ मिलेगा, वह टैक्स से मुक्त रहेगा। अगर आप इसे 5 साल से ज्यादा लेकिन 8 साल से पहले बेचते हैं, तो आपको 20 प्रतिशत टैक्स देना होगा। अगर आपने इसे 1 साल से ज्यादा लेकिन 5 साल (tax on selling gold) से पहले बेचा, तो 10 प्रतिशत लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगेगा। यदि आप इसे 1 साल के अंदर बेचते हैं, तो उसे आपके आमदनी में जोड़कर टैक्स लिया जाएगा और यह टैक्स उस स्लैब के हिसाब से होगा जिसमें आपकी कुल आय आती है।
7. कब बेचा जाता है गोल्ड ईटीएफ -
गोल्ड ईटीएफ आज के समय में निवेश का अच्छा विकल्प माना जाता है। अनेक लोग इमसें निवेश करते हैं। यदि गोल्ड ईटीएफ को 3 साल के बाद बेचा जाता है, तो उस पर 20 प्रतिशत का एक निश्चित टैक्स दर से चार्ज किया जाता है। अगर इसे 3 साल (sona bechne par tax) से पहले बेचा जाए, तो टैक्स की दर अलग होती है और यह आपकी कुल कमाई के आधार पर तय की जाती है। शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स दोनों में अंतर होता है, जो इनकम स्लैब के हिसाब से निर्धारित होता है।
8. कैसे लें ऐप के जरिए गोल्ड -
अगर आप मोबाइल ऐप्स जैसे Paytm, Google Pay, PhonePe आदि के जरिए सोना खरीदते हैं, तो उसे डिजिटल गोल्ड (tax on digital gold) माना जाता है। जब आप इसे बेचते हैं और मुनाफा कमाते हैं, तो आपको टैक्स देना पड़ता है। अगर आपने सोना 3 साल से ज्यादा समय बाद बेचा, तो आपको तय 20 प्रतिशत टैक्स देना होता है। अगर आपने उसे 3 साल से पहले बेचा, तो टैक्स की दर अलग होती है और यह आपके आमदनी में जुड़ जाता है। इस तरह से आपको सोना खरीदने (sona khreedne par tax)और बेचने यानी दोनों तरफ टैक्स देना होता है।