Digital Gold और Physical Gold में क्या है अंतर, कौनसा खरीदना है फायदे का सौदा
Digital Gold - दिवाली सोना खरीदने का शुभ समय होता है, पर इस साल कीमतों में 50% से अधिक की भारी वृद्धि हुई है, जो उपभोक्ता निकट भविष्य में सोना खरीदने की सोच रहे हैं, वे अपनी जरूरत, बजट और निवेश के उद्देश्य के अनुसार डिजिटल या फिजिकल गोल्ड चुन सकते हैं। दोनों के अपने अलग फायदे हैं-
HR Breaking News, Digital Desk- (Digital Gold) भारत में त्योहारों, खासकर दिवाली के दौरान, सोने की बढ़ती कीमतों ने उपभोक्ताओं को चिंतित कर दिया है। दिवाली सोना खरीदने का शुभ समय होता है, पर इस साल कीमतों में 50% से अधिक की भारी वृद्धि हुई है, जिससे खरीदारी का उत्साह मंद पड़ गया है। शुक्रवार को तनिष्क की वेबसाइट पर 24 कैरेट सोना 12,273 प्रति 10 ग्राम पर था।
इस हफ्ते सोने की कीमतों में 2.2% की बढ़त हुई, और बुधवार को यह 4,059.05 प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। रॉयटर्स के अनुसार, 2025 में अब तक सोना करीब 52% बढ़ चुका है। इसकी मुख्य वजहें मजबूत मांग, भू-राजनीतिक अनिश्चितता और आर्थिक मंदी की चिंताएं हैं, जिसके कारण निवेशक इसे सुरक्षित निवेश मान रहे हैं।
सोने को हमेशा अस्थिर परिस्थितियों में सुरक्षित निवेश माना जाता है। अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें और शुल्क से जुड़ी चिंताएं भी निवेशकों को सोने की ओर आकर्षित कर रही हैं। ऐसे समय में, जो उपभोक्ता निकट भविष्य में सोना खरीदने की सोच रहे हैं, वे अपनी जरूरत, बजट और निवेश के उद्देश्य के अनुसार डिजिटल या फिजिकल गोल्ड चुन सकते हैं।
दोनों के अपने अलग फायदे हैं। फिजिकल गोल्ड एक ठोस संपत्ति है और पारंपरिक या धार्मिक अवसरों के लिए पसंद किया जाता है। वहीं, डिजिटल सोना सुविधाजनक है और इसे सुरक्षित रूप से ऑनलाइन रखा जा सकता है।
डिजिटल सोना: क्या ETF में निवेश करना सही रहेगा?
डिजिटल सोना ऑनलाइन खरीद-बिक्री और सुरक्षित भंडारण की सुविधा देता है। आप मात्र ₹1 से निवेश शुरू कर सकते हैं। सेवा प्रदाता आपके खरीदे गए सोने को सुरक्षित रखता है। यह सुविधा कई ज्वेलरी ब्रांड्स और निवेश प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है।
इसमें लिक्विडिटी होती है यानी आप इसे कभी भी बेच सकते हैं। इसमें भंडारण या चोरी की चिंता नहीं होती, जिससे उपभोक्ताओं को मानसिक शांति मिलती है।इस योजना में खरीदार को 24 कैरेट शुद्ध सोना मिलता है, जिसकी कीमत रियल टाइम में तय होती है। यह अल्पकालिक और दीर्घकालिक, दोनों तरह के निवेश के लिए उपयुक्त है।
डिजिटल सोने पर भी फिजिकल गोल्ड के समान टैक्स नियम लागू होते हैं। खरीद के 12 महीने के भीतर बेचने पर, यह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन कहलाता है और इस पर आपकी आयकर स्लैब दर के अनुसार टैक्स लगता है। यदि डिजिटल सोना 12 महीने या उससे अधिक समय तक रखा जाता है, तो यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन होता है और लाभ पर 12.5% की दर से टैक्स लगता है।
डिजिटल सोना मोबाइल वॉलेट, बैंकिंग ऐप (banking app) या ज्वेलरी वेबसाइट्स के जरिए खरीदा जा सकता है। इसके अलावा गोल्ड ETF के जरिए भी इसमें निवेश किया जा सकता है। फिजिकल गोल्ड की तरह डिजिटल सोना खरीदते समय भी 3 प्रतिशत जीएसटी (GST) देना पड़ता है।
फिजिकल गोल्ड: क्या यह सुरक्षित है?
फिजिकल गोल्ड पारंपरिक और वास्तविक रूप में निवेश का माध्यम है। इसमें सोने के सिक्के, बिस्कुट और गहने शामिल होते हैं। यह व्यक्तिगत या धार्मिक अवसरों जैसे शादी-ब्याह में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
फिजिकल गोल्ड (gold) को घर पर या बैंक के लॉकर में रखा जा सकता है। इसमें भावनात्मक और सांस्कृतिक मूल्य भी जुड़ा होता है। खरीदते physical समय 3 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ता है। अगर कोई गहने खरीदता है, तो उसे मेकिंग चार्ज भी देना होता है, जो आमतौर पर 10 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक होता है।
ये अतिरिक्त खर्चे फिजिकल गोल्ड को डिजिटल सोने की तुलना (Comparing Physical Gold to Digital Gold) में महंगा बना देते हैं। यानी जब आप सोने के गहने खरीदते हैं, तो आप असल सोने के मूल्य से अधिक भुगतान करते हैं। इसलिए, अल्पकालिक निवेश के लिए फिजिकल गोल्ड उतना फायदेमंद नहीं माना जाता।
