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Success Story - 23 साल के लड़के ने 250 रूपये में शुरू की थी कंपनी, बीते साल की कमाई 10 हजार 59 करोड़

हम सबके दिमाग में बिहार का नाम लेते ही किसी पिछड़े राज्य की तस्वीर सामने आने लगती है। लेकिन इसी  बिहार में कुछ रह रहे लोगों ने अपने राज्य का नाम रोशन किया है। आज हम आपको बताने वाले है बिहार के रहने वाले सिन्हा की कहानी। जिन्होंने 23 साल की उम्र में मात्र 250 रूपये में अपनी कंपनी की शुरूआत की थी और अब उनकी सालाना कमाई 10 हजार 59 करोड़ रूपये है। 
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23 साल के लड़के ने 250 रूपये में शुरू की थी कंपनी, बीते साल की कमाई 10 हजार 59 करोड़ 

HR Breaking News, Digital Desk- बिहार में मल्टीनेशनल (Bihari Multinational Company) बिलियन डॉलर की कंपनी। आप कहेंगे - क्या फेंक रहे हो। लेकिन सच्चाई है कि बिहार की कंपनी बिलियन डॉलर क्लब में शामिल हो गई है। जी हां, आपने सही अनुमान लगाया। हम बात कर रहे हैं सिक्योरिटी एंड इंटेलीजेंस सर्विसेज (SIS) की। इस कंपनी ने बीते साल 10059.1 करोड़ रुपये की आमदनी अर्जित की। इसमें से 325.9 करोड़ रुपये का तो शुद्ध मुनाफा रहा।

38वीं आम बैठक में आई यह खुशखबरी-


SIS Group की 38वीं आम बैठक कल ही पटना के मशहूर मौर्या होटल में आयोजित हुई थी। इसी दौरान ग्रुप के फाउंडर चेयरमैन और राज्यसभा के पूर्व सदस्य Ravindra Kishore Sinha ने बताया कि कंपनी अब बिलियन डॉलर क्लब में शामिल हो गई है। किसी बिहारी कंपनी को पहली बार यह सम्मान मिला है। उन्होंने बताया कि यूं तो पिछला साल कोरोना के साये में बीता। तब भी साल 2021-22 के दौरान कंपनी की कुल आमदनी 10059.1 करोड़ रुपये रही। इस साल कंपनी का शुद्ध लाभ profit after tax 325.9 करोड़ रुपये रहा।

महज 250 रुपये में शुरू हुई थी कंपनी-


रवींद्र किशोर सिन्हा ने साल 1974 में महज 250 रुपये में इस (Security & Intelligence Services) कंपनी की नींव डाली थी। आज बिहार के छोटे से शहर से निकल कर आज सिक्योरिटी एंड इंटेलीजेंस सर्विसेज मल्टीनेशनल ग्रुप में तब्दील हो चुका है। इस समय कंपनी सिक्योरिट सॉल्यूशन प्रोवाइडर (Security Solution Provider) के साथ साथ फेसिलिटी मैनेजमेंट (Facility Management) और कैश लॉजिस्टिक (Cash Logistics) का भी काम संभालती है। आज यह ग्रुप 1.3 बिलियन डॉलर का हो गया है। इसमें करीब ढाई लाख कर्मचारी काम करते हैं।

खांटी बिहारी कंपनी है-


आर के सिन्हा का कहना है कि एसआईएस खांटी बिहारी कंपनी (Bihari Company) है। भले ही आज इसकी पहुंच भारत के बाहर भी है, लेकिन इसका डीएनए तो बिहारी (Bihari DNA) ही है। कहा जाए तो यह ट्रू बिहारी मल्टीनेशनल (Bihari Multinational Company) कंपनी है। उनका कहना है कि इस समय एसआईएस ग्रुप से 2,69,595 परिवारों की रोजी-रोटी चल रही है। इनमें से 28,300 परिवार बिहार के हैं। यही नहीं, कंपनी की योजना अगले दो वर्षों में कम से कम 10 हजार बिहारियों को नौकरी देने की भी है।


सात भाई बहन थे आर के सिन्हा-


आर के सिन्हा ने एक बार बताया था "मेरा जन्म पटना में हुआ है। हम सात भाई-बहन थे। मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए हमें बचपन में काफी दिक्कतें हुई। साल 1971 में जब मैं पॉलिटिकल साइंस में डिग्री ले रहा था, तभी मैंने परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए सर्चलाइट नाम के एक पब्लिकेशन में बतौर ट्रेनी रिपोर्टर पार्ट टाइम जॉब शुरू की।"

इस कारण चली गई नौकरी-


वह बताते हैं "अपनी नौकरी के असाइनमेंट के तौर पर मुझे भारत-पाकिस्तान के युद्ध का कवरेज करना था और इसी प्रक्रिया में मैं एक बॉर्डर पोस्ट में बिहार रेजिमेंट के साथ रुका। इस दौरान सेना के जवानों के साथ मेरी दोस्ती हुई, जिन्होंने दो साल बाद मेरे वेंचर सिक्योरिटी एंड इंटेलीजेंस सर्विसेज (SIS) में काफी मदद की। हालांकि, इससे पहले मुझे अपनी ग्रेजुएशन डिग्री पूरी करने के साथ-साथ सर्चलाइट में बतौर फुल टाइम रिपोर्टर स्टोरी फाइल करनी थी।

1973 में मैं जयप्रकाश नारायण और उनकी पॉलिटिकल एक्टिविज्म से काफी प्रभावित हुआ, मैंने खुलकर उनके विचारों का समर्थन किया। मेरा यह व्यवहार कंपनी मैनेजमेंट को पसंद नहीं आया और मुझे नौकरी से रिजाइन करना पड़ा। सेवरेन्स पैकेज के तौर पर मुझे दो महीने की सैलरी दी गई, जो कि करीब 250 रुपये थी।"

23 साल उम्र, 250 रुपये का निवेश और बन गई एसआईएस-


आर के सिन्हा बताते हैं "उस समय मैं काफी परेशान था और मुझे यह नहीं सूझ रहा था कि आगे क्या करना है। लेकिन, तभी कंस्ट्रक्शन बिजनेस से जुड़े मेरे एक दोस्त ने बताया कि उसे अपनी प्रोजेक्ट साइट के लिए रिटायर्ड आर्मीमैन चाहिए। जब मैंने उसे बताया कि मैं कुछ सेना के जवानों को जानता हूं, जो कि इस काम में मदद कर सकते हैं। मेरे दोस्त ने मुझे सुझाव दिया कि मैं एक कंपनी बनाऊं और उसके लिए इन सब कामों को हैंडल करूं। संभावनाओं को भांपते हुए मैंने अपने सेवरेंस पैकेज से पटना में एक छोटा गैराज किराए पर लिया और फरवरी 1974 में एसआईएस बनाई, उस समय मेरी उम्र 23 साल थी।"

कारोबार बढ़ता ही गया-


शुरू में आर के सिन्हा ने महज 14 रिटायर्ड आर्मीमैन के सहारे अपनी कंपनी शुरू की। उनका काम अच्छा था तो काम बढ़ता गया। इसी तरह कंपनी शुरू होने के एक साल के अंत तक उसके एम्प्लॉयीज की संख्या बढ़कर 250-300 हो गई। इसके साथ ही टर्नओवर एक लाख रुपये से ज्यादा हो गया। अब तो इस कंपनी का देश विदेश में विस्तार हो गया है। इसके पास अब न सिर्फ करीब ढाई लाख कर्मचारी हो गए हैं बल्कि आमदनी भी बढ़ कर 10059.1 करोड़ रुपये हो गई है।