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Success Story- पिता ने बेटे की पढ़ाई के लिए 18-18 घंटे तोड़े पत्थर, आज बेटे ने कर लिया सपना पूरा

अक्सर यह कहा जाता है कि सूरज सबके लिए उगता है, हवा सबके लिए है, इसी तरह आगे बढ़ने का हक भी सभी को बराबर है। हर किसी को माहौल और सहयोग मिले तो हर कोई अपना मुकाम पा ही लेता है। ऐसा ही कुछ छोटे से गांव के छात्र दिलीप के साथ भी हुआ है, जिसके पिता ने बटे की पढ़ाई के लिए 18-18 घंटे पत्थर तोड़े और आज उनके बेटे ने अपना सपना पूरा किया है। आइए जानते है इनकी कहानी।  
 
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HR Breaking News, Digital Desk- हाल ही में जारी हुए जेईई-एडवांस के रिजल्ट में कोटा के एक प्रतिष्ठित कॅरियर इंस्टीट्यूट के छात्र दिलीप ने अखिल भारतीय स्तर पर सामान्य श्रेणी में 7675 तथा एससी कैटेगिरी में 128वीं रैंक प्राप्त की है। अच्छा परिणाम आने के बाद अब दिलीप काउंसलिंग के इंतजार में है।

 

 


उन्होंने बताया कि वह मूलतः जोधपुर जिले में बालेसर तहसील के खुदियाना गांव का निवासी है। परिवार में माता-पिता और पांच भाई हैं। पिता भगवाना राम गांव के पास ही खान में मजदूर हैं और पत्थर तोड़ने का काम करते हैं। उनके पास सात बीघा जमीन है जिसे हंकाई पर दिया हुआ है। मुझे पढ़ाने के लिए इस जमीन पर लोन भी लिया। मां कमला देवी गृहिणी हैं और परिवार की विपरित परिस्थितियां होने की स्थिति में उन्होंने नरेगा में काम भी किया। अभी भी जॉब कार्ड बना हुआ है। 


वे बताते है कि जोधपुर से करीब 70 किलोमीटर दूर गांव में आज भी मूलभूत सुविधाएं पूरी तरह से नहीं है। 10-20 दुकानों का बाजार है। 100-150 घरों की बस्ती है। आधे कच्चे-पक्के मकान में ही माता-पिता जीवन का गुजारा कर रहे हैं। हम पांच भाई हैं और मैं सबसे छोटा हूं। माता-पिता किसी की भी पढ़ाई में पैसे की कमी को आड़े नहीं आने देते। सबसे बड़े भाई ने बीबीए करके जोधपुर में ई-मित्र कियोस्क शुरू किया है। इसके अलावा सभी पढ़ रहे हैं। 


उन्होंने बताया कि मेरी दसवीं तक की पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई। यहां 85 प्रतिशत नम्बर आए तो माता-पिता को परिचितों ने सलाह दी कि कोटा भेज दो, इंजीनियर बन जाएगा। माता-पिता ने जमीन पर लोन लेकर मुझे पढ़ने के लिए कोटा भेजा। यहां एक प्रतिष्ठित कॅरियर इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया और दो साल पढ़ा। इस दौरान इंस्टीट्यूट ने मेरी प्रतिभा को देखते हुए आधी फीस माफ भी कर दी गई। मैंने 12वीं में 79 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। 


मजदूर पिता और माता की मेहनत को देखते हुए दिलीप ने कोटा में जमकर मेहनत की। यहां रहते हुए टीवी नहीं देखी, स्मार्ट फोन का इस्तेमाल नहीं किया। दिलीप ने बताया कि अच्छे नम्बर आने के बाद गांव के शिक्षकों को भी मुझसे उम्मीद है और मैं सबकी उम्मीदों पर खरा उतर सका, इसमें कोटा का बहुत योगदान है। यहां आकर मेरे पढ़ाई का स्तर बहुत बढ़ गया और मैं आगे बढ़ता चला गया।

अब मैकेनिकल ब्रांच से बी.टेक करना चाहता हूं। इंजीनियर बनकर मैं सबसे पहले परिवार के लिए कुछ करूंगा। माता-पिता के सपने पूरे करूंगा। माता-पिता की मेहनत ही है जो मुझे प्रेरित करती है और मैं लगातार आगे बढ़ने की कोशिश करता रहता हूं। 

- ऐसे निर्धन परिवारों के प्रतिभावान विद्यार्थियों के कोटा सपने पूरे कर रहा है। गांव-ढाणी के विद्यार्थी देश के श्रेष्ठ संस्थानों में पहुंचे और देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं, यही हमारा उद्देश्य है। - नवीन माहेश्वरी,दिलिप के कोचिंग इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर