IAS Success Story : सबसे छोटे कद की इस महिला अफसर ने UPSC में 56 वीं रैंक लाकर रचा इतिहास
HR Breaking News, Digital Desk - UPSC की परीक्षा पास करना कोई बच्चों का खेल नहीं होता है, क्योंकि इस परीक्षा के लिए लाखों उम्मीदवार तैयारी करते हैं और उसमें से लगभग 500 से 1500 उम्मीदवारों को ही सफलता हासिल होती है. इस परीक्षा में इतने पड़ाव रहते हैं कि इसमें मेहनत करने के साथ आपके पास धैर्य भी होना चाहिए. इस परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है. ऐसे ही आज हम आपको एक महिला अफसर के बारे में बताएंगे जिन्होंने संकट के समय पर उन्होंने अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया-
स्कूल से लेकर आईएएस तक का सफर :
आरती (Arti Dogra)का जन्म उत्तराखंड के देहरादून जिले में हुआ था, और उनके माता-पिता दोनों शिक्षा क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने लेडी श्रीराम कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया और फिर पोस्ट-ग्रेजुएशन के लिए देहरादून गई, जहां उन्होंने आईएएस की तैयारी की।
साल 2006 में, आरती ने UPSC की परीक्षा में शानदार 56वीं रैंक हासिल की। उन्होंने राजस्थान कैडर की आईएएस ऑफिसर की तरह सेवा करना शुरू किया। आरती डोगरा बीकानेर, अजमेर की कलेक्टर भी रह चुकी हैं। उनके काम के चलते ही, वे भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के भी मुरीद बन गईं।
उपलब्धियां और सम्मान :
आरती डोगरा (IAS Arti Dogra Success Story) ने अपने प्रबल नेतृत्व और कार्यों के बल पर जोधपुर डिस्कॉम के निदेशक के पद पर नियुक्त होने का गर्व हासिल किया है, जिनमें वे पहली महिला आईएएस हैं। उन्होंने ‘बंको बिकाणो’ अभियान की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य था ‘खुले में शौच ना करने’ की जागरूकता फैलाना। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के सफल होने के बाद, उन्हें राष्ट्रीय और राज्य स्तर के कई पुरस्कार भी मिले हैं।
समर्पण और संकल्प की मिसाल :
आरती डोगरा की कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता के लिए जरूरी नहीं है कि कद या आउटलुक कितने छोटे या बड़े हों, बल्कि आत्मसमर्पण, समर्पण, और सही मार्गदर्शन की मिलानबण्ध की आवश्यकता होती है। आरती डोगरा एक उदाहरण है जोने संकट के समय पर अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया और समाज के लिए महत्वपूर्ण काम किया। उनकी सफलता हमें यह याद दिलाती है कि सही मार्ग पर चलने और संकल्पित रहने से, हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं और आपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।