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Success Story : सोशल मीडिया से दूरी बनाकर अंकिता ने हासिल की IAS एग्जाम में सफलता

Success Story Of IAS Ankita Chaudhary : अंकिता काफी पहले से सिविल सर्विसेस के क्षेत्र में आना चाहती थीं इसलिए उन्होंने अपनी पढ़ाई इस बात को केंद्र में रखकर की. पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद अंकिता ने पूरी तरह से सिविल सर्विसेस देने का मन बना लिया था और सबकुछ छोड़कर वे केवल इसी पर फोकस करने लगीं, आइये खबर में जानते है इनके बारे में पूरी जानकारी.

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HR Breaking News, Digital Desk - हरियाणा, रोहतक की अंकिता चौधरी के लिए आईएएस परीक्षा में सफल(successful in ias exam) होना किसी सपने के सच होने जैसा था. वह इस मुकाम को पाने के लिए मेहनत तो काफी लंबे समय से कर रही थीं पर साल 2019 में चयनित हो जाएंगी, इस बात का विश्वास उन्हें कतई नहीं था. रिजल्ट आने पर बाकी सबके अलावा अंकिता को खुद भी भरोसा नहीं हो रहा था कि वे सेलेक्ट हो गयी हैं. लेकिन सच यह था कि अंकिता न केवल सेलेक्ट हो गयी थी बल्कि उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 14(All India Rank 14) भी हासिल की थी. इसी के साथ अंकिता ने अपने कस्बे महम का नाम भी रोशन कर दिया, जहां से इस परीक्षा में सेलेक्ट होने वाली वे पहली कैंडिडेट हैं. आज जानते हैं अंकिता की सफलता की कहानी. 

बचपन से थी पढ़ाई में होनहार

पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं कहावत अंकिता के ऊपर एकदम सटीक बैठती है. वे बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छी थी. उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई रोहतक के ही इंडस पब्लिक स्कूल से हुयी इसके बाद ग्रेजुएशन करने के लिए उन्होंने दिल्ली का रुख किया. यहां के हिंदू कॉलेज से उन्होंने बीएससी की डिग्री हासिल की और फिर दिल्ली आईआईटी से ही एमएससी यानी पोस्ट ग्रेजुएशन किया. अंकिता काफी पहले से सिविल सर्विसेस के क्षेत्र में आना चाहती थीं इसलिए उन्होंने अपनी पढ़ाई इस बात को केंद्र में रखकर की. पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद अंकिता ने पूरी तरह से सिविल सर्विसेस देने का मन बना लिया था और सबकुछ छोड़कर वे केवल इसी पर फोकस करने लगीं.

पिता का नाम किया रोशन


अंकिता के पिता सत्यवान एक शुगर मिल में एकाउंटेंट का काम करते हैं. अंकिता की इस सफलता पर वे फूले नहीं समाते. वे कहते हैं बेटी शुरू से पढ़ने में होनहार थी इसीलिए क्लास बारहवीं के बाद उसे स्कॉलरशिप मिल गयी. इस कारण उसकी पढ़ाई में कभी आर्थिक दिक्कतें नहीं आयीं. अंकिता की मां जेबीटी स्कूल में शिक्षिका के पद पर थी पर कुछ साल पहले एक सड़क हादसे में उनका देहांत हो गया था. अपनी सफलता का श्रेय अंकिता अपने परिवार को देती हैं जिन्होंने हमेशा उनका साथ दिया और एक छोटी जगह से होने के बावजूद कभी लड़की-लड़के में भेद नहीं किया. इसी का फल था कि अंकिता ने आगे बढ़कर निर्णय लिए और सफलता दर सफलता पायी.

दूसरी बार में हुआ सेलेक्शन

अंकिता ने पूरे दिल से प्रयास किया फिर भी पहली बार में उनका चयन नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने दोबारा कोशिश की और इस बार पिछली गलतियों से सीखते हुए उन सब कमियों को दूर किया जो पिछली बार रह गयी थीं. नतीजा यह हुआ की अंकिता का न केवल सेलेक्शन हुआ बल्कि वे टॉपर बनकर भी उभरीं. अपनी तैयारी के विषय में बात करते हुए अंकिता कहती हैं कि क्या करना है यह तो कुछ समय बाद हर कैंडिडेट को पता चल जाता है पर जरूरी यह भी है कि क्या नहीं करना है. अपने केस में बात करते हुए वे कहती हैं कि दो साल तक मैं जानती भी नहीं थी कि सोशल मीडिया किसे कहते हैं क्योंकि मेरे अनुसार यह ध्यान भटकाने का काम करता है. उन्होंने अपने फोन से सभी सोशल मीडिया एप हटा दिये थे.

अंकिता दूसरे कैंडिडेट्स को यही सलाह देती हैं कि पढ़ने के साथ ही लिखने की भी खूब प्रैक्टिस करें क्योंकि कई बार आंसर आने के बावजूद हम प्रभावशाली तरीके से उन्हें लिख नहीं पाते. मॉक टेस्ट दें और अपनी गलतियों को मार्क करें ताकि दोबारा उन्हें दोहराए नहीं.