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Success Story : सब्जी और अंडे बेच कर की पढ़ाई, तीन बार मिली असफलता, अब IAS बना ये लड़का

UPSC की परीक्षा को पास करना इतना आसान नहीं है। इस परीक्षा को पास करने के लिए दिन रात पढ़ाई करनी पड़ती है। आज हम आपको बिहार के मनोज राय IAS अफसर की सक्सेस स्टोरी के बारे में बताने जा रहे हैं। जिन्होंने सब्जी और अंडे बेचकर पढ़ाई की और बार बार असफलता मिलने के बाद भी हार नहीं मानी, आखिरकार चौथी बार में IAS अफसर बनकर ही दम लिया। 

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HR Breaking News (ब्यूरो)। UPSC परीक्षा की तैयारी के लिए तो पढ़ना ही होता है, लेकिन कुछ लोग ऐसे-ऐसे हालातों में पढ़ाई करते हैं जिसे देखकर ये कहा जा सकता है कि जिद्द अगर पाने की हो तो कुछ भी किया कुछ नहीं पाया जा सकता।

 इस बार लेकर सक्सेस स्टोरी की सीरिज में दिल छू देने वाली कहानी मनोज कुमार राय की है, जिन्होंने आईएएस बनने के लिए क्या कुछ नहीं किया. मनोज ने चौथी बार में रैंक 870 हासिल किया था. लेकिन उनसे सफर के बारे में जानेंगे तो आप भी दंग रह जाएंगे. तो चलिए कहानी शुरू करते हैं।


नौकरी की तलाश में आए दिल्ली


मनोज राय का जन्म बिहार के सुपौल नामक एक छोटे से गांव में हुआ था. उनके माता-पिता गरीब थे और आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण बचपन भी काफी कठिनाइयों से बीता था. मनोज जब बड़े हुए थे घर की जिम्मेदारी अपने उपर ले ली और नौकरी की तलाश में दिल्ली आ गए।

 पहली बार गांव से निकल कर दिल्ली जैसे बड़े शहरों में मनोज के लिए आसान नहीं था. उन्होंने कई जगह नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन कई अच्छी नौकरी न मिल सकी. नौकरी के लिए लगातार प्रयास करने के बाद मिली असफलता के कारण उन्होंने अंडे और सब्जी का ठेला खोला।

सब्जी और अंडे बेचकर देते थे फीस


वहीं इसी के साथ पैसों के लिए उन्होंने कई ऑफिस के फर्श भी साफ किए थे. उन्होंने एक डिलीवरी बॉय का भी किया. डिलीवरी के लिए वह दिल्ली के जेएनयू में कई बार जाते रहते थे।

 लेकिन इस काम ने उनका जीवन ही बदल दिया. उनकी मुलाकात विश्वविद्यालय के छात्रों से हुई जिन्होंने उन्हें यूपीएससी परीक्षा के बारे में बताया और गाइड किया. वहां के स्टूडेंट्स ने उन्हें पढ़ाई करने की सलाह दी कहा कि इससे अच्छी नौकरी मिलने में मदद होगी. इसके बाद मनोज ने अपनी पढ़ाई के लिए पैसे जुटाने के लिए अंडे और सब्जियां बेचना शुरू कर दिया और अरबिंदो कॉलेज (इवनिंग) में एडमिशन ले लिया।


अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. उस वक्त सोच लिया था कि वह परीक्षा में सफल होने के लिए दिन रात एक कर देंगे. मनोज ने तीन साल तक यूपीएससी की तैयारी की और साल 2005 में अपना पहला प्रयास दिया. तैयारी के दौरान पैसे कमाने के लिए उन्होंने स्कूली छात्रों के लिए प्राइवेट कोचिंग लेना शुरू किया और वह यूपीएससी कोचिंग में भी शामिल हुए।

उस वक्त उनका सिलेक्शन नहीं हुआ था. तीन बार लगातार असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और चौथी बार ट्राय किया चौथी बार में उन्होंने 870वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा पास की थी. उनकी पहली पोस्टिंग बिहार के नालंदा में राजगीर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में हुई थी।