Alcohol : देसी और ब्रांडेड शराब में नहीं होता ज्यादा अंतर, बस इस एक वजह से होती है महंगी, 90 प्रतिशत पीने वालों को भी नहीं है जानकारी
शराब भी कई तरह की होती है, जब भी शराब की बात होती है तो अकसर देसी और अंग्रेजी शराब का जिक्र जरूर होता है, लेकिन, क्या आप जानते हैं इन दोनों में क्या अंतर होता है, आइए खबर में जानते है इन दोनो के अंतर के बारे में विस्तार से।

HR Breaking News, Digital Desk - देसी शराब और अंग्रेजी शराब में अंतर या उससे बनने के प्रोसेस के बारे में जानने से पहले आपको बता दें कि शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और इसका किसी भी रूप में सेवन करना गलत है. मगर जिन लोगों की शराब पीने की आदत है, वो देसी शराब पीना पसंद नहीं करते हैं, जबकि अंग्रेजी शराब पीना पसंद करते हैं. लेकिन, आपको ये जानकार हैरानी होगी कि देसी शराब और अंग्रेजी शराब में खास अंतर (difference between desi liquor and English liquor) नहीं होता है और दोनों एक ही तरीके से बनते हैं. ऐसे भी कहा जा सकता है कि अंग्रेजी शराब के रूप में भी लोग देसी शराब पीते हैं और बस इसमें हल्क अंतर होता है.
देसी शराब और अंग्रेजी शराब के बारे में जानने से पहले आपको बताते हैं कि देसी शराब को कंट्री लिकर या आईएमसीएल कहा जाता है, जिसका मतलब है इंडिया मेड कमर्शियल लिकर. वहीं, भारत में अंग्रेजी शराब के नाम पर जो शराब बिकती है, उसे आईएमएफएल यानी इंडिया मेड फॉरेन लिकर कहा जाता है. बता दें कि देसी शराब भी सरकारी नियमों का पालन करते हुए बनाई जाती है, जो लाइसेंस की दुकान पर मिलती है. वहीं, देसी शराब ही अंग्रेजी शराब का शुरुआती फॉर्म हैं.
ऐसे में जानते हैं कि आखिर देसी शराब और अंग्रेजी शराब कैसे बनती है, जिसके बाद आप अच्छे से समझ पाएंगे कि आखिर दोनों में क्या अंतर होता है.
कैसे बनती है देसी शराब?
वैसे तो देसी शराब और अंग्रेजी शराब बनाए जाने का प्रोसेस लगभग एक जैसा ही है. देसी शराब एक तरह से प्योरिफाइड स्प्रिट या डिस्ट्रिल्ड होती है. आपको ये जानकार हैरान होगी कि देसी शऱाब बनाने वाली कंपनियां ही ये स्प्रिट अंग्रेजी शराब बनाने वाली कंपनियों को भेजती है. जिससे आप समझ सकते हैं कि अंग्रेजी शराब बनाने वाली कंपनियां भी देसी कंपनियों से ही शराब बनाने का बेसिक लिक्विड खरीदती हैं.
इसके बाद इसमें फ्लेवर आदि मिलाकर अंग्रेजी शराब बनाई जाती है. बता दें कि देशी शराब एग्रीकल्चर सोर्स के ड्रिस्ट्रिल्ड से बनती है, जिसका जिक्र शराब की बोतल पर भी होता है, जिसमें चावल, जौ आदि चीजें शामिल हैं. इससे ही एक लिक्विड तैयार किया जाता है, जो शराब बनाने का अहम सामान होता है. इसके अलावा देसी शराब में कोई फ्लेवर आदि का मिश्रण नहीं होता है, इसलिए यह सादा होती है. इसके अलावा इसमें सरकार की ओर से टैक्स में फायदा मिलता है और भारत में इसकी बिक्री काफी ज्यादा है.
कैसे बनती है अंग्रेजी शराब?
अंग्रेजी शराब को मतलब है कि बाहर की व्हिस्की आदि को भारत में बनाया जाता है, लेकिन भारत में इसकी प्रोसेस अलग होती है. पहले तो देसी शराब बनाए जाने वाले स्प्रिट आदि को खरीदा जाता है यानी देसी शराब से ही अंग्रेजी शराब मिलती है. इसके बाद इसमें स्कॉटलैंड की स्कोच इसमें अलग अलग मात्रा में मिलाई जाती है और इसमें कुछ फ्लेवर एड कर दिए जाते हैं. बस ये मिलाने के बाद इसे व्हिस्की आदि की शक्ल मिल जाती है. यानी देसी और विदेशी शराब को बनाने का तरीका लगभग एक ऐसा है.
बता दें कि इसमें और चीजें एड करने की वदह से इसमें एल्कोहॉल की मात्रा भी अधिक हो जाती है और वो 40 फीसदी से अधिक पहुंच जाती है. इसके अलावा इसकी पैकिंग भी अलग होती है. ऐसे में पैकिंग, एल्कोहॉल, स्कॉच या फ्लेवर बढ़ने के साथ इसकी कीमत भी बढ़ जाती है. साथ ही सरकार की ओर से अंग्रेजी शराब पर टैक्स भी काफी ज्यादा लिया जाता है और यह इसकी कीमत को काफी ज्यादा बढ़ा देती है.