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Patiala Peg : पटियाला पैग की शुरुआत कब और कैसे हुई, जानिए इसके पीछे का पूरा इतिहास

Patiala Peg Interesting Facts : आप शराब पीते हों या नहीं, लेकिन आपने अक्सर पटियाला पैग के बारे में तो खूब सुना होगा। गानों में इसका जिक्र हाता हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसे पटियाला पैग क्यों कहा जाता है? इसका नाम किसी दूसरे शहर के नाम पर क्यों नहीं रखा गया। अगर नहीं जानते तो आज हम आपको इससे जुड़े इतिहास के बारे में पूरी जानकारी देने वाले है। हम आपको बताएंगे कि कैसे इसका नाम पटियाला पैग (Patiala Peg) पड़ा और इसकी क्या खासियत है। जानिए विस्तार से-
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HR Breaking News (नई दिल्ली)। दरअसल, आज हम पटियाला पेग के बारे में पूरा इतिहास आपको बताने वाले है। लेकिन पटियाला पेग की हिस्ट्री (History ogf Patiala peg) जानने के लिए हमें 100 साल पीछे जाना पड़ेगा। उस वक्त जब देश में रियासतों और रजवाड़ों का दौर था। इन्हीं राजघरानों में शुमार था पटियाला। दरअसल पंजाब के महाराजा भूपिंदर सिंह सन् 1900 से 1938 तक पटियाला रियासत के महाराज रहे। खास बात है कि वह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पिता थे।


आपको बताते चलें कि पटियाला दो चीजों के लिए बहुत फेमस है। पहला यहां का सूट और पेग (Patiala Peg ka itihaas)। यही कारण है कि शराब के शौकीन महफिलों में 'पटियाला पेग' का जिक्र करना कभी नहीं भूलते। वहीं, गानों से लेकर शराब महकमों में इस पेग का नाम जमकर लिया जाता है। पटियाला पेग शराबियों के लिए एक शानदार पेग है और उससे भी मजेदार है इसका नाम रखने के पीछे का किस्सा।


पटियाला पेग का 100 साल पुराना है इतिहास:

पटियाला पेग (Patiala Peg) की हिस्ट्री 100 साल पुरानी है।। उस वक्त जब देश में रियासतों और रजवाड़ों का दौर था। इन्हीं राजघरानों में शुमार था पटियाला। दरअसल, पंजाब के महाराजा भूपिंदर सिंह सन् 1900 से 1938 तक पटियाला रियासत के महाराज रहे। खास बात है कि वह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पिता थे।


क्रिकेट और पटियाला पेग का है पुराना रिश्ता

जानकारी के लिए बता दें कि भारत में अंग्रेजों ने तकरीबन 200 साल तक राज किया। सन् 1947 में देश को आजादी मिली। कहना गलत नहीं कि भारत में क्रिकेट अंग्रेजों की ही देन थी। उस दौरान क्रिकेट (how cricket conneced with patiala peg) का बहुत बोलबाला था। भारतीयों और अंग्रेजों के बीच क्रिकेट में जीत को लेकर होड़ लगी रहती थी। 

इसी क्रम में महाराजा भूपिंदर सिंह की टीम का मुकाबला अंग्रेजों से होने वाला था. प्रतियोगिता कठिन थी इसलिए राजा ने एक युक्ति सोची। कैप्टन अमरिन्दर सिंह की किताब कैप्टन अमरिन्दर सिंह: द पीपल्स महाराजा के मुताबिक, 1920 में महाराजा ने अंग्रेजों को हराने के लिए पटियाला पैग की शुरुआत की थी। महाराज का लक्ष्य टीम को हराना और अपनी जीत सुनिश्चित करना था.

भूपिंदर सिंह ने अंग्रेजों को दी जाम छलकाने की पार्टी:

बता दें कि मैच से पहले महाराजा भूपिंदर सिंह ने सभी अंग्रेजों को शाम की पार्टी (patiala peg in Parties) का न्योता दिया और उनके लिए बड़े-बड़े पेग बनाए गए। महाराज के शागिर्दों ने अंग्रेजों को इतना टल्ली कर दिया कि वो सुबह मैच में टिक ही नहीं पाए और फिर इस मैच में उनकी जीत हुई। जब अंग्रेजों का नशा उतारा तो सभी अंग्रेज क्रिकेटर वायसराय के पास शिकायत के लिए पहुंचे।

जान लें आम पेग और 'पटियाला' पेग में अंतर:

इसके पीछे का राज ये है कि जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने इतनी शराब परोसी तो महाराज भूपिंदर सिंह ने जवाब दिया कि यहां पर पटियाला पैग बहुत बड़े-बड़े हैं. एक पटियाला पैग में लगभग 120 मिलीलीटर शराब होती है। अमूमन पटियाला पेग में शराब की गणना (Alcohol content in Patiala Peg) करने की विधि भी अलग होती है। इसमें सबसे छोटी अंगुली से लेकर अंगूठे के पास वाली अंगुली तक तक व्हिस्की होती है। चार अंगुली वाले इसी पेग को ही पटियाला कहते हैं।