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Parenting Tips: ये सात बाते लाती है बच्चें और माता-पिता में दूरियां, हमेशा रखें सावधानी

बच्चा बड़ा होकर जिम्मेदार बनेगा या उसका रुझान बेपरवाही का होगा, ये पेरेंट्स के रवैये पर निर्भर करता है. बच्चे की परवरिश के दौरान हुई कुछ गलतियां उसके मन में कड़वाहट भर सकती हैं.
 
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 ये सात बाते लाती है बच्चें और माता-पिता में दूरियां, हमेशा रखें सावधानी 

HR Breaking News, Digital Desk- हर माता-पिता की चाहत होती है कि उनके बच्चे जीवन में कुछ बेहतर करें. हालांकि इस बात पर सभी पेरेंट्स ध्यान नहीं देते कि क्या वाकई वे अपने बच्चे को ऐसा माहौल और परवरिश दे रहे हैं कि वो जीवन में कुछ बेहतर करे!

 

 

 

 

क्या आपका व्यवहार और रवैया बच्चे के साथ वैसा है, जैसी उसे जरूरत है या सिर्फ आप अपने बच्चे पर अपेक्षाओं का बोझ लाद रहे हैं?

ये ऐसे सवाल हैं, जिन्हें समय रहते नहीं सुलझाया जाए तो माता-पिता और बच्चे के बीच एक गहरी भावनात्मक खाई बन जाती है. बच्चे के मन में अपने पेरेंट्स और यहां तक कि समाज को लेकर भी कड़वाहट पैदा हो जाती है. अच्छी परवरिश के लिए आपको किन चीजों से बचना चाहिए, आइए आपको बताएं- 

द सेंटर फॉर पेरेंटिंग एजुकेशन (The Center for Parenting Education) की एक रिपोर्ट के अनुसार, बच्चे का व्यवहार माता-पिता की सोच और रवैये से बहुत अधिक प्रभावित होता है. फिर चाहे पैरंट्स का व्यवहार नकारात्मक हो या सकारात्मक. इंपिरियल वैली न्यूज में प्रकाशित

रिपोर्ट के आधार पर, जो पेरेंट्स बच्चों के प्रति अपने दायित्व को सही ठंग से नहीं निभा पाते हैं, उनके बच्चे कई तरह की सामाजिक और मानसिक समस्याओं का सामना करते हैं. इनमें व्यवहार से जुड़ी समस्याएं, समस्याओं से जूझने की क्षमता, पढ़ाई, मानसिक समस्याएं इत्यादि शामिल हैं.


इन 7 कारणों से बच्चे के मन में आती है कड़वाहट-


बड़ा हो रहा बच्चा समझदार भी हो रहा होता है. वह अपने आस-पास की परिस्थितियों को देखकर उनके बारे में राय बनाना शुरू कर देता है.

ऐसे में जब माता-पिता से उसकी मानसिक और भावनात्मक जरूरत पूरी नहीं हो पाती है तो उसके मन में कई तरह की उलझनें जन्म ले लेती हैं. इनका समाधान समय और सही ठंग से ना होने पर बच्चे के मन में कड़वाहट पैदा हो जाती है. ऐसे 7 मुख्य कारण यहां बताए जा रहे हैं, जो बच्चे और पेरेंट्स के बीच दूरियां बढ़ाते हैं.

1. माता-पिता द्वारा बच्चे को जरूरी अटेंशन ना मिलना.
2. बच्चों के साथ हमेशा और हर समय सख्ती से पेश आना और सोचना कि उससे बच्चा सबकुछ अच्छे ढंग से सीखेगा.
3. बच्चों को जो चीजें सिखाते हैं, उन पर खुद अमल ना करना. जैसे, घर में लड़ाई और चीखना-चिल्लाना इत्यादि.


4. एक उम्र के बाद बच्चों को सेक्स के बारे में जानकारी ना देना. इससे बच्चे गलत रास्ते पर जा सकते हैं और फिर आपसे चीजें छिपाने के लिए एक के बाद एक गलती कर सकते हैं.
5. कुछ पेरेंट्स बच्चे को वैसा बनाना चाहते हैं, जैसा बच्चा उन्हें चाहिए होता है. बजाय इसके कि उनका बच्चा जो है, वे उसे स्वीकार करते हुए एक अच्छी परवरिश और आगे बढ़ने के अवसर दें. जैसे, पेरेंट्स बच्चे को डॉक्टर बनाना चाहते हों जबकि बच्चे का इंट्रेस्ट म्यूजिशियन बनने में हो.

6. बच्चे को फेल ना होने देने की जिद भी पेरेंट्स और बच्चों के रिश्ते पर भारी पड़ती है. इसका अर्थ यह है कि कुछ पेरेंट्स हर चीज में अपने बच्चे को पर्फेक्ट देखना चाहते हैं. यही पर्फेक्शन बच्चे के मन में उनके लिए कड़वाहट पैदा कर सकता है. इसलिए बच्चा आपकी अपेक्षा से कम अचीव कर पाए, तब भी उसकी तारीफ करें.

7. अविश्वास भी पेरेंट्स और बच्चों के बीच दूरी की एक बड़ी वजह है. यदि आप अपने बच्चों के साथ बात नहीं करते हैं, उन्हें समय नहीं देते हैं और उन्हें यह विश्वास नहीं होता है कि वे अपनी कोई इंपॉर्टेंट बात अपने माता-पिता से शेयर करें तो इस स्थिति में बच्चे अपने दोस्तों या किसी ऐसे व्यक्ति के साथ अधिक जुड़ जाते हैं, जो उनका विश्वासपात्र होता है. इसलिए बच्चों के साथ बातचीत और अपनापन बनाए रखना जरूरी होता है.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एचआर बेक्रिंग न्यूज इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.