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हरियाणा में रोबोट द्वारा की गई घुटनों की सर्जरी, आपरेशन के तुरंत बाद पैरों पर खड़ा हुआ मरीज

हरियाणा के फरीदाबाद में पहली बार घुटनों की सर्जरी रोबोट द्वारा की गई। बताया जा रहा है कि ऑपरेशन के तुरंत बाद मरीज अपने पैरों पर खड़ा हो गया। 
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फरीदाबाद:हरियाणा के फरीदाबाद में रोबोट के जरिए एक व्यक्ति के घुटनों का सफल आपरेशन करने का हैरतअंगेज मामला सामने आया है। हैरत की बात है कि आपरेशन ना केवल पूरी तरह से सफल रहा है, बल्कि कुछ घंटों बाद ही मरीज अपने पैरों पर खड़ा भी हो गया। हरियाणा के इस प्राईवेट अस्पताल ने रोबोट के जरिए आपरेशन करने का एक रिकार्ड बनाया है।

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देश के चुनिंदा अस्पतालों में ही यह सुविधा है, जहां आधुनिक तकनीक के माध्यम से रोबोटिक सर्जरी को अंजाम दिया गया है। हरियाणा भी उन चुनिंदा अस्पतालों की श्रेणी में आ खड़ा हुआ है, जहां विदेशी तकनीक से अब रोबोट द्वारा घुटनों की सर्जरी की जा सकती है।

रोबोट सिस्टम का इस्तेमाल

सेक्टर 8 स्थित प्रमुख सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, सर्वोदय हॉस्पिटल ने पूरी तरह से सक्रिय ज्वाइंट रिप्लेसमेंट रोबोट का उपयोग करके दुनिया का पहला क्रूशिएट -रिटेनिंग टोटल नी रिप्लेसमेंट (टीकेआर) सफलतापूर्वक किया है। अस्पताल के सेंटर फॉर रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट के विभागाध्यक्ष और निदेशक डॉ. सुजॉय भट्टाचार्जी ने इस सर्जरी को पूरा करने के लिए विशेष रूप से विकसित सॉफ्टवेयर के साथ एक पूरी तरह से सक्रिय रोबोट सिस्टम क्यूविस जॉइंट्स का इस्तेमाल किया।

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उत्तर प्रदेश के हाथरस के सेवानिवृत्त ट्रेन चालक 63 वर्षीय रोगी जय नारायण पिछले 10 वर्षों से ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण दोनों घुटनों में दर्द और विकृति से पीड़ित थे। सर्जरी के कुछ घंटे बाद ही वह अपने आप चलने में सक्षम हो गए।


उपलब्धि पर बहुत गर्व है

सर्वोदय हेल्थकेयर के चेयरमैन डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा,हम सभी को इस उपलब्धि पर बहुत गर्व है, जिसने फरीदाबाद को विश्व चिकित्सा मानचित्र पर रखा है और भारतीय डॉक्टरों की योग्यता को अंतरराष्ट्रीय कम्युनिटी के सामने साबित किया है। हमने भारत के इस हिस्से से इस उपलब्धि को दर्ज करने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में आवेदन किया है।

यह सर्जरी हमारे रोगियों को नवीनतम तकनीक उपलब्ध कराने के हमारे अथक प्रयासों का भी प्रमाण है, जैसा कि सर्वोदय हॉस्पिटल में टोटल नी रिप्लेसमेंट के लिए उत्तर भारत के पहले ‘फुली एक्टिव’ जॉइंट रिप्लेसमेंट रोबोट की स्थापना से पता चलता है।”

दुनिया में पहली बार सर्जरी

“क्रूसिएट्स” दो क्रॉसआकार के लिगामेंट होते हैं जो घुटने के सामने (एंटीरियर) और पीछे (पोस्टीरियर) मौजूद होते हैं, और जांघ की हड्डी को पिंडली की हड्डी से जोड़ते हैं। पारंपरिक रोबोटिकअसिस्टेड टीकेआर सर्जरी में, दोनों लिगामेंट को हटाना पड़ता है, जिसके कारण रोगी को घुटने के आसपास दिक्कत महसूस होती रहती है।

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सर्वोदय हॉस्पिटल, फरीदाबाद में डॉ. सुजॉय भट्टाचार्जी द्वारायह सफल सर्जरी दुनिया में पहली बार हुई है जिसमें एक मरीज के पोस्टीरियर क्रूशिएट लिगामेंट (पीसीएल) को पूरी तरह से सक्रिय रोबोटिक-असिस्टेड टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी में सफलतापूर्वक बनाए रखा गया है।

लिम्का बुक में रिकॉर्ड दर्ज

फरीदाबाद के सेक्टर 8 स्थित सर्वोदय हॉस्पिटल के सेंटर फॉर रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट के विभागाध्यक्ष और निदेशक डॉ. सुजॉय भट्टाचार्जी जोकि 13500 से अधिक घुटना प्रत्यारोपण का अनुभव रखते है और जिनके नाम 104 वर्षीय मरीज का सम्पूर्ण कुल्हा प्रत्यारोपण करने के लिए लिम्का बुक में रिकॉर्ड भी दर्ज है ने इस बारे में बताया “टोटल नी रिप्लेसमेंट में एक या दोनों घुटने के लिगामेंट को संरक्षित करना महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह घुटने को एक प्राकृतिक एहसास देता है और जोड़ों को स्थिर करने में मदद करता है।

मरीजों को ऑपरेशन किये गए उनके घुटने पूरी तरह से प्राकृतिक लगते हैं, जिससे वे भूल जाते हैं कि उन्होंने घुटना प्रत्यारोपण कराया हुआ है। इस अवधारणा को ‘फॉरगॉटन नी’ कहा जाता है। टोटल नी ट्रांसप्लांट के लिए पारंपरिक रोबोटिक सर्जरी के साथ यह संभव नहीं है जो वर्तमान में रोगियों पर किया जाता है।”

दुनिया से एक कदम आगे

उन्होंने कहा:”नी रिप्लेसमेंट के लिए रोबोटअसिस्टेड सर्जरी के पारंपरिक तरीके से बहुत अधिक फायदे हैं। इनमें इम्प्लांट पोजिशनिंग की बेहतर सटीकता और अलाइनमेंट, मानवीय त्रुटियों या सॉफ्टटिश्यू इंजुरी की बहुत कम संभावना, अधिक ऑपरेटिव सटीकता और सर्जरी के बाद कम दर्द, रोगी का शीघ्र पुनर्वास और चलना फिरना शामिल है।

हम अब इस तरह की सर्जरी में मरीज के घुटने के लिगामेंट को संरक्षित करने की क्षमता के साथ दुनिया से एक कदम आगे निकल गए हैं।”सर्जरी की तैयारी में, घुटनों का एक नॉनकंट्रास्ट सीटी (एनसीसीटी) स्कैन किया जाता है और हड्डी में समुचित कांटछांट करने और इम्प्लांट के आकार का फैसला किया जाता है। वास्तविक सर्जरी करने से पहले यह जानकारी रोबोट में फीड की जाती