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Fixed Deposit: अलग-अलग बैंकों में करें FD, ज्यादा ब्याज के अलावा मिलेंगे ये 4 फायदे

अगर आप भी FD करवाना चाहते है तो आपको एफडी से जुड़ी ये सामान्य जानकारी जरूर पता होनी चाहिए। आपको एफडी अलग-अलग बैंकों में करानी चाहिए जिसके चलते आपको ब्याज के अलावा मिलेंगे ये 4 फायदे। आइए खबर में निचे जानते है कि आखिर वे चार फायदे कौन से है।  
 
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अलग-अलग बैंकों में करें FD, ज्यादा ब्याज के अलावा मिलेंगे ये 4 फायदे

HR Breaking News, Digital Desk- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट में लगातार तीन वृद्धि के बाद बैंकों ने एफडी पर ब्याज दर बढ़ाना शुरू कर दिया है। इसके चलते एक बार फिर FD के प्रति निवेशकों का रुझान बढ़ा है। श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस ने एफडी पर 8.75 प्रतिशत तक का ब्याज देने का ऐलान किया है। Yes Bank समेत दूसरे निजी बैंकों ने एफडी पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। ऐसे में अगर आप एफडी कराने की तैयारी कर रहे हैं तो हम आपको पांच जरूरी जानकारी दे रहे हैं। इसको फॉलो कर न सिर्फ आप ज्यादा ब्याज पा सकेंगे बल्कि कई दूसरे भी फायदे ले सकेंगे।

1. अलग-अलग बैंकों में करें एफडी- 


अलग-अलग बैंकों में इन्वेस्टमेंट से रिस्क कम हो जाता है। एफडी में अनिश्चितता बनी रहती है क्योंकि ब्याज दरें घटती-बढ़ती रहती हैं। इससे बचने के लिए ऐसे फिक्स्ड डिपॉजिट्स करिए जिनकी अवधि अलग-अलग हो। मसलन अगर आपके पास इन्वेस्ट करने के लिए चार लाख रुपये हैं, तो इस रकम को 1-1 लाख रुपये की चार डिपॉजिट में बांट लीजिए। फिर इन्हें 1, 2, 3 और चार साल के लिए फिक्स कर दीजिए। जब 1 साल वाली एफडी मच्योर हो, तो उसे 4 साल की एफडी में दोबारा इनवेस्ट कर दीजिए।

ऐसा करके कुछ निश्चित समय के बाद ब्याज दर के ऊंचा या नीचा होने का मामला संतुलित हो जाएगा। इसके दो फायदे होंगे। आपको नकदी मिलती रहेगी क्योंकि एक-एक साल के बाद आपकी एफडी मच्योर होती रहेंगी। वहीं, अलग-अलग बैंक में एफडी पर ब्यज की दर एक समान नहीं होती है। किसी बैंक में आपको एफडी पर ज्यादा ब्याज मिलेगा। ऐसे में आप ज्यादा रिटर्न पा सकेंगे।

2. FD में टाइम मैनेजमेंट जरूरी-


एफडी में इन्वेस्ट करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपने निवेश की अवधि सही चुनी है। शुरू में ही अगर आपने लंबी अवधि के लिए इन्वेस्ट कर दिया और बीच में आपको एफडी तोड़नी पड़ गई तो बहुत कम रिटर्न मिलेगा। मान लीजिए, आपका बैंक 1 साल की एफडी पर 5 फीसदी का रिटर्न ऑफर कर रहा है और पांच साल की एफडी पर 7 फीसदी रिटर्न दे रहा है। ऐसे में अगर आपको लगता है कि आपको पांच साल से पहले पैसे की जरूरत पड़ सकती है तो लंबी अवधि वाली एफडी में पैसा लगाने से बचें। अगर आपने पांच साल की एफडी कराने के बाद उसे एक साल के बाद तोड़ दिया तो आपको ब्याज दर उतनी ही मिलेगी जितनी एक साल की एफडी पर मिलती है। साथ ही आप पर पेनल्टी भी लगाई जा सकती है।


3. देना होता है टैक्स, ऐसे समझें-


एफडी पर आपको जो भी ब्याज मिलेगा, वह पूरी तरह टैक्सेबल है। अगर एक साल में ब्याज की रकम 10 हजार रुपये से ज्यादा बढ़ जाती है तो रकम आपको यह टैक्स कटने के बाद ही मिलेगी। अगर आप हायर इनकम ग्रुप में हैं (सालाना आमदनी 5 लाख से ज्यादा), तो आपको इस आमदनी पर ज्यादा टैक्स देना होगा। अगर टीडीएस नहीं भी काटा गया है तो आपको बॉन्ड्स और एफडी से होने वाली अपनी आमदनी को अपने टैक्स रिटर्न में दिखाना चाहिए। टैक्स आपको हर साल के आधार पर अदा करना होगा। दूसरी तरफ अगर आपकी आमदनी उस आमदनी से कम है, जिस पर टैक्स नहीं लगता तो आप रिटर्न जमा करके उस रकम का रिफंड ले सकते हैं जो टीडीएस के तौर पर काटी जा चुकी है।

एफडी को न समझें पूरी तरह सेफ-


एफडी दो तरह की होती हैं बैंक एफडी और कॉरपोरेट एफडी। कॉरपोरेट डिपॉजिट असुरक्षित लोन होते हैं, जिनमें कोई गारंटी नहीं होती। बैंकों के मामले में डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (डीआईसीजीसी) एक कस्टमर के अधिकतम 5 लाख रुपए की गारंटी देता है और यह नियम बैंकों की हर ब्रांच के लिए लागू है। ऐसे में अगर आपके पास 20 लाख रुपए इनवेस्ट करने के लिए हैं तो इस रकम को अलग-अलग बैंकों में तीन-चार जगह इन्वेस्ट करना बेहतर रहता है।