Business - 20 हजार उधारी से लेकर शुरू किया बिजनेस, आज टॉप-10 में लाकर खड़ा किया
20 हजार रुपये उधारी से लेकर शुरू किए गए बिजनेस को आज टॉप 10 में लाकर खड़ा कर दिया है सुनिल मित्तल ने। इनका नाम दुनिया के टॉप अमीरों में गिना जाता है. आइए जानते हैं एक सामान्य आदमी इस मुकाम तक पहुंचने का सफर।
HR Breaking News, Digital Desk- सुनील मित्तल की कुल सम्पत्ति (Sunil Mittal net worth) 9.6 बिलियन डॉलर है. साल 2016 के आंकड़ों के अनुसार भारत के आठवें सबसे अमीर व्यक्ति सुनील मित्तल, जिनकी कुल दौलत 7 अरब डॉलर है, भारती एयरटेल के मुखिया हैं.
भारती एयरटेल आज जिस स्थान पर खड़ी है, उसके पीछे सुनील मित्तल का नेतृत्व है. कंपनी के मुखिया रहते हुए उन्होंने कई अहम फैसले लिए हैं. एयरटेल भारत में ही नहीं कई देशों में काम कर रही है.
सुनील मित्तल का जन्म (birth) 23 अक्टूबर 1957 को एक पंजाबी परिवार में हुआ था. उनके पिता कांग्रेस के नेता थे. उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी.
बचपन से ही बिजनेस टायकून (business tycoon) बनने की इच्छा रखने वाले मित्तल ने अपने पिता से 20 हजार रुपये उधार लेकर साइकिल पार्ट्स बनाने की यूनिट तैयार की थी. उसके बाद उन्होंने तीन साल में ही दो और यूनिट तैयार कर ली, जिसमें धागा बनाने और स्टील शीट की यूनिट शामिल है.
मित्तल अपने माल के साथ ही ट्रकों में सफर करते थे, ताकि उनके पैसे बच सके. कहा जाता है कि इस दौरान वो एयर टिकट नहीं खरीद पाते थे.
इस मुकाम तक पहुंचने के पीछे उनकी कड़ी मेहनत है और वो एक दिन में करीब 16 से 18 घंटों तक काम करते थे और जब वो बाहर जाते थे तो महंगे होटल में नहीं रुकते थे. साथ ही वो अपने काम के सिलसिले में लगातार मुंबई जाते रहते थे.
उन्होंने सोचा कि कुछ बड़ा करने के लिए लुधियाना (Ludhiana) से बाहर जाना होगा और 1980 में वो अपना बिजनेस बेचकर मुंबई चले गए, जहां वो स्टील, प्लास्टिक आदि के ट्रेडर बन गए.
उसके बाद उन्हें देश में सुजुकी के पोर्टेबल जनरेटर्स (suzuki portable generators) का पहली डीलर बनाया गया. धीरे-धीरे उन्होंने अपने काम में बढ़ोतरी की और 1983 में सरकार ने उन्हें जनरेटर बनाने के लिए लाइसेंस दे दिए, जिसमें दो कंपनियों से कॉन्ट्रेक्ट किया गया.
हालांकि उनका काम ज्यादा दिन तक नहीं चला और उन्होंने विदेश जाने का फैसला किया. ताइवान में उन्होंने पहली बार पुश बटन वाले टेलीफोन (telephone) देखे, क्योंकि भारत में नंबर घुमाने वाले फोन चलते थे.
उन्होंने एक ताइवान के सप्लायर से अनुबंध किया, लेकिन सरकार की आयात लिस्ट में यह टेलीफोन नहीं था. उसके बाद उन्होंने यहा पार्ट्स मंगवाकर असेंबल करना शुरू किया।
हालांकि बाद में सरकार ने इस तरह के टेलीफोन बनाने के लिए 52 कंपंनियों को लाइसेंस दिए, जिसमें मित्तल भी शामिल थे. उसके बाद उन्होंने बीटल कंपनी के फोन बनाने शुरू किए और इसमें उन्हें अच्छा फायदा हुआ.
गोवा में छुट्टियां मनाने गए मित्तल ने वहां अखबार में एक विज्ञापन (advertisement) देखा, जिसमें सरकार की ओर से मोबाइल टेलेफॉनी को निजी क्षेत्र में लाने की बात की जा रही थी. उसके बाद उन्होंने यह करने का फैसला किया और 1994 में एयरटेल के अधीन अपनी सेवाएं शुरू की.
कम समय में वो करोड़ों यूजर्स के साथ भारत की नंबर एक कंपनी बन गई. साथ ही उसने अन्य देशों में भी अपना हाथ बढ़ा लिया. अब मित्तल और एयरटेल शीर्ष पायदान पर है.
जीवन संगिनी के सरोकार उनकी पत्नी नयना मित्तल गृहिणी हैं और दूसरे सीईओ की पत्नियों की अपेक्षा वे चमक-दमक से दूर रहना पसंद करती हैं. बताते हैं कि स्कॉटलैंड से भारत की अपनी एक यात्रा के दौरान पहली बार मित्तल से उनकी मुलाकात हुई थी.