जिंदगी तो मिली नही, अब इंसाफ की भी उम्मीद नही…
HR BREAKING NEWS. बहादुरगढ़ शहर में रेलवे लाइन और गांव दहकोरा में मिले नवजात कन्याओं के शवों के मामलों में स्थिति जस की तस है। भले ही पुलिस ने शुरुआत में कितनी ही भागदौड़ की हो, लेकिन दोनों ही मामले अब ठंडे बस्ते में जाते दिखाई दे रहे हैं।
नवजातों के गुनहगारों तक पुलिस नहीं पहुंच पाई है। दरअसल, गत 28 जनवरी की अल सुबह बराही फाटक के नजदीक रेल पटरियों के साथ एक नवजात बच्ची का शव गंदगी के ढेर में मिला था। जन्म के तुरंत बाद ही इस बच्ची को छोड़ दिया गया।
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इस मामले में तफ्तीश शुरू ही हुई थी कि 31 जनवरी को गांव दहकोरा के खेतों में भी नवजात बच्ची का शव मिल गया। यह शव आठ से दस दिन की बच्ची का था। एक केस में रेलवे पुलिस तो दूसरे केस में आसौदा थाना पुलिस ने तफ्तीश शुरू की। केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने गुनगहारों तक पहुंचने के प्रयास शुरू कर दिए।
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तमाम अस्पतालों में रिकार्ड खंगाला, आशा वर्करों से गर्भवती महिलाओं व जन्म देने वाली माताओं की जानकारी जुटाई। अब एक केस को 16 तो दूसरे को 13 दिन बीत चुके हैं। बेशक पुलिस ने इन मामलों में कितनी ही भागदौड़ की हो लेकिन अभी तक तो कार्रवाई केस दर्ज करने तक ही सिमटी हुई है।
रेलवे पुलिस की मानें तो लाइनपार में विकास नगर सहित कई कॉलोनियों में गर्भवती महिलाओं व हाल ही में बच्चों को जन्म देने वाली माताओं का रिकार्ड लिया गया। उनके घर में गए, लेकिन स्थिति सामान्य पाई गई। आसौदा पुलिस का भी कुछ यही कहना है। इससे पहले इलाके में मिले शिशुओं के शव व भ्रूण के मामले में भी कहानी ऐसे ही खत्म हो जाती है। ममता के हकदार नन्हों को जिंदगी तो दूर की बात, मरने के बाद न्याय भी नहीं मिल पाता।
