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Success Story- कभी जूते की दुकान पर करता था काम, आज खुद का खड़ा किया 150 करोड़ का साम्राज्य

"मंजिले उन्हें ही मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है". इस पंक्ति को तो आपने सुना ही होगा. यह पंक्ति अरुण खरात पर पूरी तरह से फिट बैठती है, जो एक समय पर कभी जूतों की दूकान पर काम किया करते थे आज उन्होंने खुद का ही 150 करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर लिया है। आइए जानते है इनकी पूरी कहानी। 
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कभी जूते की दुकान पर करता था काम, आज खुद का खड़ा किया 150 करोड़ का साम्राज्य

HR Breaking News, Digital Desk-  "मंजिले उन्हें ही मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है". इस पंक्ति को तो आपने सुना ही होगा. यह पंक्ति अरुण खरात पर पूरी तरह से फिट बैठती है, जो एक समय में जूते की दुकान पर काम किया करते थे, उन्होंने आज अपना खुद का बिजनस खोल कर 150 करोड़ से अधिक का विशाल साम्राज्य खड़ा कर दिया है.  

  

अरुण का जन्म पुणे के एक छोटे से गांव खड़की के मराठी परिवार में हुआ था. उनके पिता एक स्वास्थय अधीक्षक थे. अरुण बचपन से ही कुछ अलग करने की चाह रखते थे. उनका एक सपना था कि वे अपने पिता की रॉयल एनफील्ड पर पूरे विश्व का भ्रमण करें. 


एसटीडी बूथ से की शुरुआत- 


अरुण कक्षा 10वीं पास करने के बाद अपने चाचा की जूते की दूकान पर जाकर उनका हाथ बटाया करते थे. इसके अलावा वे मन ही मन बड़े होकर अपना खुद का बिजनेस खोलने के बारे में सोचा करते थे. कुछ सालों बाद अरुण ने एक सरकारी कॉलेज से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में तीन वर्षीय डिप्लोमा हासिल कर लिया.

इसके बाद उन्होंने कई सारी जॉब्स की लेकिन उनका मन कहीं न लगा क्योंकि उनका सपना खुद के आईडिया पर बिजनेस खोलने का था. उन्होंने अपने बिजनेस की शुरुआत एक एसटीडी बूथ खोल कर की, जहां वे ऑनलाइन रेल टिकट बुक करने का काम भी किया करते थे. 

अरुण ने एसटीडी बूथ पर काम करते हुए कुछ पैसे इकट्ठा किए और उन पैसों की मदद से "विंग्स ट्रैवल्स" के नाम से अपना नया बिजनेस शुरू कर डाला.

विंग्स ट्रैवल्स के नाम से शुरू की कैब सर्विस-


अपने ट्रैवल्स बिजनेस को ऊंचाईयों तक पहुंचाने के लिए अरुण ने इतनी मेहनत करी कि आज की तारीख में उनका बिजनेस भारत में अन्य कैब सर्विस से बिना प्रभावित हुए देश के 9 बड़े महानगरों मुंबई, पुणे, गुरुग्राम, चेन्नई, हैदराबाद, बैंगलोर, चंडीगढ़, अहमदाबाद, वड़ोदा और इसके अलावा विदेशो में भी जैसे - म्यांमार, थाईलैंड,और वियतनाम आदि स्थानों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुका है.

इसकी शुरुआत उन्होंने कई बैंको से लोन लेकर की थी. आज इस बिजनेस ने इतनी सफलता हासिल कर ली है की लगभग 600 से ज्यादा स्टाफ मेंबर्स इस बिजनेस के साथ जुड़े हुए हैं और इसका टर्न ओवर 150 करोड़ से अधिक का हो गया है. अरुण के इस आईडिया को पखं उस समय भी लगे, जब उन्होंने ट्रैकमैल के साथ मिलकर काम किया और स्टाफ ट्रांसपोर्ट सर्विस का प्रस्ताव स्वीकार किया.


महिलाओं और समलैंगिक समुदाय को भी दिया रोजगार- 


अरुण खरात ने कार रेंटल सर्विस की भी शुरुआत करी. जब उनका यह बिजनेस काफी चलने लगा, तब उन्होंने मालिक चालक नाम की एक स्कीम चलाई, इसके तहत गाड़ी खरीदने के लिए ड्राइवर 20 से 30 प्रतिशत तक अपने खुद के पैसे लगाता है और विंग्स ट्रैवल्स अपनी गारंटी पर बाकि की कीमत बैंक से फाइनेंस करवाता है और तीन साल के बाद कार ड्राइवर की हो जाती है.

इसके अलावा विंग्स ट्रैवल्स ने एक विंग्स सखी नाम की कैब सर्विस शुरू की, जिसमें
ड्राइवर एक महिला होती है. साथ ही विंग्स रेनबो नाम की कैब सर्विस भी शुरू की गई है, जिसमें समलैंगिक समुदाय के लोग ड्राइवर हैं.

विदेशों में भी जमाया सिक्का-


आज अरुण की कंपनी विदेशों में रेडियो टैक्सी के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं, जिसमें म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम जैसे बड़े-बड़े देश शामिल हैं.