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Success Story - सिक्योरिटी गार्ड के बेटे ने उधार की किताबों से हासिल की ऑफिसर की कुर्सी, जानिए कहानी

मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है। सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता, दोस्तों हौसलों से उड़ान होती है।इस पंक्तियां में लिखी गई बात को आईआरएस ऑफिसर कुलदीप द्विवेदी ने सच कर दिखाया है। उन्होंने यह साबित कर दिखाया है कि अपनी मेहनत और कड़ परिश्रम से इंसान हर वो चीज हासिल कर सकता है जो वह चाहता हैं।  
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HR Breaking News, Digital Desk- एक कहावत बहुत मशहूर है कि 'मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है. सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता, दोस्तों हौसलों से उड़ान होती है.' आपने कभी ना कभी यह पंक्ति जरूर पढ़ी होगी. इस पंक्तियां में लिखी गई बात को आईआरएस ऑफिसर कुलदीप द्विवेदी (IRS Officer Kuldeep Dwivedi) ने सच कर दिखाया है.

उन्होंने यह साबित कर दिखाया है कि कम से कम संसाधन होने के बावजूद अपने लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. उन्होंने बिना कोचिंग केवल अपने दोस्त से किताबें उधार मांग कर यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी की और उसमें सफलता हासिल कर आईआरएस ऑफिसर बन गए.  


एक कमरे में ही रहता था 6 लोगों का परिवार- 


कुलदीप उत्तर प्रदेश के निगोह जिले के एक छोटे से गांव शेखपुर के रहने वाले हैं. उनका कुल 6 लोगों को परिवार है. कुलदीप के पिता सिक्योरिटी गार्ड का काम किया करते थे. उनकी कमाई सिर्फ इतनी थी कि जैसे-तैसे कर के उनका घर चल पाता था. उनका पूरा परिवार सिर्फ एक कमरे के घर में रहता था. बता दें कि कुलदीप ने अपने जीवन में बेहद गरीबी का सामना किया है.

इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ना मात्र सपना ही रह गया-

कुलदीप के पिता के इतमे पैसे नहीं थे कि वे अपने बच्चों को किसी इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ा सकें. इसी कारण कुलदीप की बचपन से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई हिंदी मीडियम से ही हुई है. कुलदीप ने ककहरा (क, ख, ग) सरस्वती शिशु मंदिर से सीखा. वहीं कक्षा 12वीं पास करने के बाद कुलदीप ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया, जहां से उन्होंने हिंदी विषय में ग्रेजुएशन और ज्योग्राफी में पोस्ट ग्रेजुएशन की.

बता दें कि कुलदीप जब अपने कजन्स को इंग्लिश मीडियम प्राइवेट स्कूलों में जाते देखते थे तो उनका भी मन करता था कि वे वहां पढ़ें. हालांकि, वे अपने परिवार के हालात देखकर अपने मन को शांत कर लेते थे. वक्त ने कुलदीप को समय से पहले ही समझदार बना दिया था और यही कारण था कि कुलदीप ने कक्षा 7वीं में ही यह निर्णय कर लिया था कि वे बड़े होकर ऑफिसर बनेंगे.


उधार की किताबों से की UPSC की तैयारी-
यूपीएससी की सिविल सर्विसेस की परीक्षा की तैयारी के लिए कुलदीप दिल्ली चले गए. हालांकि, उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वे किताबें खरीद कर परीक्षा की तैयारी कर सकें. ऐसे में उन्होंने अपने रूममेट्स से किताबें उधार मांग कर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी.

घर के हालातों को देखते हुए कुलदीप अन्य सरकारी नौकरियों की भी तैयारी किया करते थे और उनकी परीक्षाएं भी देते थे. इसी तरह परीक्षा देते हुए साल 2013 में उनका बीएसएफ (BSF) में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर चयन हो गया लेकिन उनका सपना था कि वे एक आईएएस ऑफिसर बने इसलिए उन्होंने बीएसएफ की नौकरी छोड़ दी. 


निरंतर प्रयास ने बनाया IRS- 
कुलदीप लगातार यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे. हालांकि, वे पहले प्रयास में प्रीलिम्स तक क्लियर नहीं कर पाए थे. वहीं दूसरी बार प्री निकला तो मेंस में लटक गए लेकिन वे हार ना मानते हुए परीक्षा के लिए निरंतर प्रयास करते रहे और आखिर में साल 2015 में जब यूपीएससी का रिजल्ट आया,

तो उसमें कुलदीप ने 242वीं रैंक हासिल की. इसके बाद कुलदीप का चयन इंडियन रेवेन्यू सर्विसेस (IRS) के लिए हो गया. ऐसा कहा जाता है कि जब कुलदीप की सफलता की खबर उनके पिता को दी गई तो आधे घंटे तय तो वे यह समझ नहीं पाए कि आखिर हुआ क्या है. उन्हें यह समझाने में काफी समय लगा कि उनका बेटा अब ऑफिसर बन गया है.