edible oils rate : खाद्य तेलों की कीमतों में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट, जानें कहां पहुंचे दाम

HR Breaking News - (palm oil import)। गर्मी का मौसम आते ही खाद्य तेलों की खपत भी अब घटने लगी है। खासकर पाम ऑयल की खपत (palm oil consumption) और आयात दोनों ही घटे हैं। लोग इसकी खरीद भी अब पहले से कम कर रहे हैं। इसका असर कीमतों पर तो पड़ा ही है, साथ ही अन्य खाद्य तेलों (edible oils prices) का आयात भी कम हो गया है। पाम ऑयल की खरीद घटने का असर सीधे तौर पर खाद्य तेलों के आयात पर पड़ा है। अब खाद्य तेलों का आयात (edible oils update) घटकर पहले की अपेक्षा काफी कम रह गया है। आंकड़ों के अुनसार कई साल बाद आयात में इतनी बड़ी कमी देखी गई है।
कई साल बाद आई इतनी गिरावट-
इस तेल सीजन में यानी नवंबर से फरवरी तक भारत में खाद्य तेलों का आयात घटा है। 2020 के मई महीने के बाद पहली बार खाद्य तेलों के आयात (edible oils import in 2025) में इतनी बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। इनके आयात में 8 प्रतिशत की गिरावट आई है। अगर मात्रा के हिसाब से देखें तो 8.10 लाख टन तेल ही आयात किया गया है। इसका कारण पाम तेल (palm tel ka rate) की कम खरीद होना है।
इस कारण घटा पाम तेल का आयात-
पाम तेल का आयात घटने (Decrease in palm oil imports) के पीछे अहम कारण यह है कि इस तेल का स्टॉक सीजन की शुरुआत में ही यानी नवंबर में ही काफी ज्यादा कर लिया गया था। इस कारण इसके आयात करने की जरूरत ही महसूस नहीं हुई। इस साल 1 मार्च को पाम तेल का स्टॉक (palm oil stock)घटकर करीब 1.85 मीट्रिक टन रह गया। अब SEA की ओर से उम्मीद की जा रही है कि पाम तेल की नई खरीद में तेजी आएगी।
पाम तेल की कीमतों पर असर-
SEA के अनुसार इंपोर्ट ड्यूटी (import duty on palm oil) न होने के कारण नेपाल से भारत में रिफाइंड सोयाबीन तेल का आयात किया गया। श्रीलंका से भी भारत में पाम खाद्य तेल मंगवाया गया। यहां पर भी पहले से ही अधिक स्टॉक पाम तेल का था। हालांकि पिछले कुछ समय में भारत में कच्चे पाम तेल की कीमतों (palm oil rate) में कुछ मजबूती देखने को मिली है। खाद्य तेलों के भावों से जुड़े जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में भारतीय पाम तेल का आयात (palm oil price) घट सकता है।
पाम तेल का इतना हुआ आयात-
नवंबर 2024 से लेकर फरवरी 2025 तक आंकड़ों को देखें तो इस दौरान पाम ऑयल का आयात 35 प्रतिशत (palm oil import in 2024) तक घटा है। अब यह करीब 1.98 मीट्रिक टन रह गया है। पिछली अवधि यानी नवंबर 2023 से लेकर फरवरी 2024 में यह आंकड़ा लगभग 3.04 मीट्रिक टन था। इसी अवधि में सोयाबीन और सूरजमुखी का आयात (soybean and sunflower Import ) पिछले तेल सीजन के मुकाबले में 1.58 मीट्रिक टन से सीधा 2.67 मीट्रिक टन हो गया, जो 70 प्रतिशत तक की बढ़ातरी है।
खाद्य तेलों के आयात का आंकड़ा-
तेल सीजन नवंबर 2024 (Oil Season November 2024) से फरवरी 2025 तक की अवधि में खाद्य तेल का आयात बढ़ा था, जो 4.8 मीट्रिक टन रहा था। यह पिछले तेल सीजन - 2023-24 की इसी अवधि की तुलना में 4 फीसद अधिक है। खाद्य तेलों के आंकड़ों के बारे में सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने यह जानकारी साझा की है।
सूरजमुखी और सोयाबीन का आयात-
कुल खाद्य तेलों (edible oils rates) के आयात की बात करें तो अकेला पाम तेल 66 फीसद से घटकर 43 फीसद ही आयात हुआ है। इसके अलावा कुल खाद्य तेलों के आयात में सॉफ्ट ऑयल यानी सूरजमुखी और सोयाबीन (sunflower and soybean price) के तेल का आयात 34 प्रतिशत से बढ़कर 57 प्रतिशत हुआ। यानी सॉफ्ट आयल आयात करने में रुचि दिखाई जा रही है।
वनस्पति तेलों की खपत होगी कम-
इस समय 2024-25 के तेल सीजन में वनस्पति तेलों की खपत (Consumption of vegetable oils) अधिक नहीं होगी। इसमें कमी आने की उम्मीद है। SEA का इस बारे में कहना है कि पाम तेल के बढ़ते दामों ने अब आयात और खपत दोनों को कम कर दिया है। अधिक रेट होने के कारण लोग इसे खरीदने में रुचि नहीं ले रहे हैं। इस कारण सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल (vegetable oil rates)की खपत बढ़ी है।
इन देशों से होता है पाम तेल आयात -
भारत में मलेशिया और इंडोनेशिया से ही कच्चे पाम तेल (crude palm oil import)का आयात ज्यादा किया जाता है। इसके अलावा सोयाबीन और सूरजमुखी तेल अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन से मंगाया जाता है। उधर घरेलू तिलहन उत्पादन (crude palm oil price)की बात करें तो उपज में बढ़ौतरी, तेल की मांग घटने व कीमतें बढ़ने से 2023-24 तेल सीजन में खाद्य तेल का आयात घटा है। यह पिछले तेल सीजन की तुलना में 3 प्रतिशत घटा है और इस हिसाब से 15.97 मीट्रिक टन रह गया है। भारत कुल खाद्य तेलों का लगभग 59 प्रतिशत आयात करता है। देश में अकेले सोयाबीन और सूरजमुखी तेल (soybean and sunflower oil rate)की खपत 25 मीट्रिक टन की होती है।