Pyaj ka Rate: देश की इस मंडी से कम ज्यादा होते हैं प्याज के रेट, यहीं तय होती है नई कीमत
नासिक का लासलगांव ऐसी जगह है जहां एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी है, यहां रोज हजारों क्विटंल प्याज ट्रकों और ट्रालियों में पहुंचता है और वहां इसकी नीलामी इसकी क्वालिटी के हिसाब से होती है. फिर इसे देशभर में भेजा जाता है. देखते हैं कि ये बड़ी प्याज मंडी कैसे काम करती है.आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.

HR Breaking News (ब्यूरो) : इन दिनों जैसे ही प्याज के दाम (Onion price) फिर बढ़ने लगे हैं और सरकार ने प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगा दिया है, महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित लासलगांव प्याज मंडी फिर चर्चाओं में आ गई है. लासलगांव को एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी कहा जाता है. माना जाता है कि देश में असल में प्याज के दामों को उठाने और गिराने में इसी मंडी की असल भूमिका है.
लासलगांव मंडी मुंबई से 04 घंटे के रास्ते पर है. इस मंडी में रोज प्याज उत्पादक किसान हजारों छोटी ट्रकों, ट्रॉली, ट्रैक्टर और ट्रैकर के जरिए हजारों टन प्याज टन भरकर यहां पहुंचते हैं. यहां आकर वो अपने वाहनों को लाइन से खड़ा कर देते हैं और फिर नीचे बोरा या कुछ बिछाकर अपनी प्याज का शोकेस करते हैं.
जब किसान एक लाइन से अपनी प्याज का शोकेस करते हैं तो मंडी के व्यावसायी वहां से गुजरते हैं और प्याज की क्वालिटी को देखकर इसकी बोली लगाते हैं. मंडी की सारी बोली को अब डिजिटल स्क्रीन्स के जरिए रिकॉर्ड करके आनलाइन दर्ज किया जाता है. इस मंडी में दिन में दो बार प्याज की बोली लगती है और ये खरीदी जाती है. लिहाजा किसान भी दिन में दो बार अपनी कुंतलों प्याज के साथ यहां आते हैं.
नासिक के इस इलाके को मुख्यतौर पर प्याज उत्पादक क्षेत्र के तौर पर जाना जाता है, जहां की काली मिट्टी और मिट्टी में मौजूद अवयवों के जरिए यहां अच्छे किस्म की लाल प्याज की जबरदस्त पैदावार होती है. प्याज की क्वालिटी के अनुसार ही उनकी बोली लगती है. सबसे अच्छी क्वालिटी वाली प्याज आमतौर पर लासलगांव से ही सीधे विदेश में भेज दी जाती है.
आजादी के समय ये मंडी 24 एकड़ में फैली थी. तब यहां पर मुख्य तौर पर गन्ने की खरीदी और बिक्री का काम होता था लेकिन जब महाराष्ट्र के पश्चिमी इलाकों में चीनी की मिलें फैलने लगीं तो नासिक और आसपास के किसानों ने मिट्टी की खासियतें देखते हुए प्याज की पैदावार शुरू कीं. पिछले 06 दशकों में ये इलाका जब प्याज के उत्पादन का सबसे अग्रणी इलाका बन गया तो लासलपुर मंडी देश की सबसे बड़ी प्याज की मंडी में बदलती गई. यहां का मौसम भी प्याज की पैदावार में काफी अनुकूल रहता है.
देश की आजादी के समय यहां प्याज को लेकर मुश्किल से 10-15 बैलगाड़ियां आती थीं. अब हालत अलग है. अब यहां रोज करीब करीब 2000 के आसपास ट्रैक्टर ट्रालियां और छोटे ट्रक आते हैं. इलाके में 17000 से ज्यादा प्याज उत्पादक किसान हैं. अब इस मंडी को पिछले कुछ सालों में आधुनिक बनाने के साथ डिजिटल तकनीक से जोड़ा गया है.
मुख्य तौर पर यहां आने वाले किसानों के पास ई कार्ड होते हैं, जिसके जरिए वो मंडी में प्रवेश पाते हैं. इस स्मार्ट कार्ड में उनके नाम और बैंक डिटेल होते हैं. उन्हें मिलने वाला पैसा आनलाइन उनके खाते में पहुंचता है. इस मंडी में छोटे बडे़ मिलाकर सैकड़ों की संख्या प्याज कारोबारी हैं, जो देश में हरओर प्याज भेजने का काम करते हैं. कुछ व्यावसायी यहां से प्याज को अरब देशों, मलेशिया, यूरोप आदि भेजते हैं.
पहले तो इस मंडी में प्याज की नीलामी लाउडस्पीकर के जरिए होती थी लेकिन अब यहां जगह जगह डिजिटल स्क्रीन्स लग गए हैं, जिसमें सीधे सारी नीलामी की प्रक्रिया दर्ज होती है और पूरी मंडी में दिखती रहती है. इस मंडी को कंट्रोल करने का काम द महाराष्ट्र स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड करता है. उसने 90 के दशक के आखिर से ई ऑक्शन जैसी नई प्रक्रियाओं को शुरू किया.
लासलपुर में मंडी में आमतौर पर रोज 17,000 क्विंटल प्याज की आवक बिकने के लिए आती है लेकिन नई फसल के आने के बाद और सितंबर के आसपास आवक 30,000 क्विंटल तक भी पहुंच जाती है. व्यापारियों से लेकर किसानों तक रोज की सारी जानकारियां वाट्सएप, एसएमएस और टेलीग्राम के जरिए मिलती रहती है. यहां तकरीबन रोज 250 करोड़ का व्यापार होता है.
वैसे लासलगांव और आसपास का इलाका केवल प्याज उत्पादन के लिए ही फेसम नहीं है बल्कि यहां अंगूर की भी पैदावार जबरदस्त है. जिससे वाइन बनती है. लासलगांव के ही पास विंचुर है, जो वाइन उत्पादन के लिए जाना जाता है. यहां पर प्याज और लहसुन का रिसर्च संस्थान भी है. जो प्याज और लहसुन के उन्नत बीज विकसित करता है. वैसे देश में सबसे ज्यादा प्याज महाराष्ट्र में ही पैदा होता है. देश का कुल 37फीसदी प्याज यहीं से आता है.