Mustard Oil : सरसों तेल का इस्तेमाल करने वाले सावधान, पढ़ लें ये जरूरी अपडेट
Effects Of Mustard Oil : भारत में खाद्य तेलों के कई प्रकार हैं, लेकिन फिर भी सरसों का तेल सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाला तेल है। इसके कुछ फायदे हैं, तो कई नुकसान (mustard oil ke nuksan) भी हैं। सर्दियों में इसका यूज और बढ़ जाता है। आपको बता दें कि जिस सरसों तेल के बने खाद्य सामान को खाकर आनंद ले रहे हैं, वह आपकी सेहत के साथ खिलवाड़ साबित हो सकता है। आइए जानते हैं कैसे।

HR Breaking News - (mustard oil effects)। सरसों तेल का उपयोग हर घर में खाना पकाने से लेकर अन्य कई कार्यों में किया जाता है। यहां तक कि सब्जियों से लेकर पकौड़ों तक में सरसों के तेल का इस्तेमाल होता है। इसके अधिक सेवन से आपकी सेहत की बैंड बज सकती है। सरसाें के तेल के साइड इफेक्ट्स (side effects of sarso oil) के कारण इसे एक देश में बैन भी किया हुआ है। अगर आप भी सरसों तेल का अधिक यूज करते हैं तो इसके नुकसान भी जरूर जान लें।
सरसों के तेल के नुकसान -
किसी भी चीज का अत्यधिक सेवन नुकसान भी पहुंचा सकता है। ज्यादा इस्तेमाल से कुछ परेशानियां हो सकती हैं। शरीर में अधिक मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड (omega 3 fatty acids) का आना भी हानिकारक हो सकता है, जिससे पाचन संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अलावा, तेल और दानों का अत्यधिक सेवन शरीर में सूजन, एलर्जी या यहां तक कि जिगर और किडनी पर भी दबाव डाल सकता है। इसलिए, इसे संतुलित मात्रा में ही खाना चाहिए, ताकि इसके फायदे बिना किसी नुकसान (mustard oil disadvantages) के मिल सकें। अधिक सेवन से होने वाली समस्याओं से बचने के लिए इसका सही तरीके से उपयोग करना बेहद महत्वपूर्ण है।
फेफड़ों पर असर -
सरसों के तेल में इरूसिक एसिड (erucic acid in sarso oil) होता है, जो सांस लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। इस तत्व के कारण लंबे समय तक इसका उपयोग फेफड़ों पर बुरा असर (mustard oil effects) डाल सकता है। इसके कारण फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है, जैसे कि फेफड़ों का कैंसर।
अगर इसका ज्यादा सेवन किया जाए, तो यह श्वसन तंत्र को कमजोर कर सकता है। इससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है और गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए इस तेल का सीमित और समझदारी से सेवन करना जरूरी है। सरसों तेल का अधिक यूज अपर रिस्पेरेटरी सिस्टम को खराब कर सकता है।
गंभीर एलर्जी का खतरा -
सरसों तेल के अधिक उपयोग से एक प्रमुख समस्या एलर्जी की है, जो बहुत तेजी से शरीर में प्रतिक्रिया उत्पन्न कर सकती है। इसके ज्यादा सेवन से हिस्टामाइन (Histamine Disease) में वृद्धि हो जाती है, जिससे एनाफिलेक्टिक शॉक (Anaphylactic shock Disease) नाम की स्किन एलर्जी हो सकती है।
इसके कारण शरीर में असहज लक्षण जैसे त्वचा पर चकत्ते, सांस लेने में कठिनाई, आंखों में सूजन और सिर चकराना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस स्थिति में समय पर इलाज न मिलने पर यह और भी खतरनाक हो सकती है, जिससे व्यक्ति को गंभीर स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ सकता है।
बढ़ सकते हैं दिल के रोग -
चिकित्सकों की मानें तो सरसों के तेलों (uses of sarso oil) में इरूसिक एसिड नाम का तत्व होता है, जो दिल पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।एक रिसर्च के दौरान यह बात पता चली है कि यदि इनका अधिक सेवन किया जाए तो यह हृदय में मायोकार्डियल लिपिडोसिस, या फैटी डिजेनेरेशन वसा जमा करने का कारण बन सकते हैं।
इस जमा से हृदय की मांसपेशियों में समस्या हो सकती है, जिससे दिल के कार्य में बाधा आती है। अत्यधिक सेवन से यह स्थिति हृदय के जटिल विकारों जैसे मांसपेशियों के मायोकार्डियल फाइबर का कारण बन सकती है, जैसे कि हृदय की कार्यप्रणाली में गड़बड़ी और गंभीर मामलों में दिल की कमजोरी। ऐसे में संतुलित आहार और तेलों (disease due to sarso oil) का सीमित उपयोग महत्वपूर्ण है।
अर्जीमोन तेल की मिलावट का प्रभाव -
अर्जीमोन तेल की अगर सरसों के तेल में मिलावट की जाए, तो इससे ड्रॉप्सी (disease from mustard oil) नाम का एक ऐसा खतरनाक रोग होता है, जिसमें शरीर के अंग कमजोर हो जाते हैं और पानी का सही तरीके से निष्कासन नहीं हो पाता। इस स्थिति में शरीर में पानी जमा होने लगता है और पेट फूलने की समस्या हो जाती है।
यह रोग गुर्दे और ह्रदय पर भी बुरा असर डाल सकता है। कुछ साल पहले दिल्ली सरकार ने इसके खिलाफ कुछ कदम उठाए थे, जिसमें सरकार ने संबंधित तेलों पर प्रतिबंध लगा दिया था, तब सरसों तेल में अर्जीमोन तेल की मिलावट (fake mustard oil) पाई जा रही थी क्योंकि इससे ड्रॉप्सी रोग जैसी कई समस्याएं पैदा हो रही थी।
गर्भवती महिलाओं पर सरसों के तेल का असर -
गर्भवती महिलाओं को कुछ खाद्य पदार्थों से सावधानी बरतनी चाहिए, जिनमें सरसों का तेल और काली सरसों भी शामिल हैं। इनमें कुछ रासायनिक यौगिक तत्व (chemicals in sarso oil) होते हैं जो गर्भवस्था के दौरान भ्रूण के लिए खतरनाक हो सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इनका अधिक सेवन करने से गर्भपात (sarso tel in pragnancy) का जोखिम बढ़ सकता है। कुछ अध्ययनों में यह पाया है कि इनमें पाए जाने वाले रासायनिक यौगिकों का असर गर्भावस्था पर नकारात्मक हो सकता है। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को इनका सेवन सीमित करना चाहिए, ताकि किसी प्रकार की जटिलता से बचा जा सके।