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8th Pay Commission : सवा करोड़ केंद्रीय कर्मचारियों पर बरसेगा पैसा, सैलरी सीधे तीन गुना

Pay commission : केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में केंद्रीय कर्मचारियों के लिए नए वेतन आयोग का गठन करने का ऐलान कर दिया है। इस वेतन आयोग (8th pay commission latest update) के तहत कर्मचारियों की वेतन में बंपर उछाल देखने को मिलेगा। 8वें वेतन आयोग के तहत लगभग सवा करोड़ लोगों को इसका फायदा होने वाला है। इसकी वजह से कर्मचारियों के सैलरी में तीन गुना की उछाल देखने को मिलेगी। आइये जानते हैं लेटेस्ट अपडेट क्या है।

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8th Pay Commission : सवा करोड़ केंद्रीय कर्मचारियों पर बरसेगा पैसा, सैलरी सीधे तीन गुना

HR Breaking News - (8th pay commission update)। पिछले कुछ दिनों से केंद्र सरकार के कर्मचारी 8वें वेतन आयोग को लागू करने की मांग कर रहे थे। ऐसे में सरकार ने भी हाल ही में कर्मचारियों के इस मुद्दे को देखते हुए नए वेतन आयोग को गठित करने को मंजूरी प्रदान कर दी है। 
नए वेतन आयोग के लागू होने पर कर्मचारियों के वेतन में बढ़ौतरी (salary hike in 8th CPC) सहित कई अन्य लाभ भी मिलेंगे। इससे कर्मचारियों के वेतन में तो तीन गुना तक की बढ़ौतरी होगी, जिससे उन्हें महंगाई से लड़ने में और सहयोग मिलेगा। आइए विस्तार से जानते हैं 8वें वेतन आयोग को लेकर पूरी डिटेल्स।

आयोग सदस्यों की जल्द की जाएगी नियुक्ति-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन और पेंशनभोगियों की बढ़ोतरी करने के लिए 8वें वेतन आयोग (8CPC kab lagu hoga) के गठन को मंजूरी दे दी है। केंद्र सरकार की ओर से सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव (Union Minister Ashwini Vaishnav) ने जानकारी देते हुए बताया था कि मोदी सरकार ने कर्मचारियों के लिए 8वें वेतन आयोग की मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही ये भी बताया गया है कि इस आयोग (new pay commission) के लिए चेयरमैन और दो सदस्यों को भी जल्द ही नियुक्त किया जा सकता है। मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया है कि 2025 में ही नये वेतन आयोग के गठन की प्रक्रिया को शुरू कर दिया जाएगा।


इतने कर्मचारियों को होगा लाभ-

सरकार अब रक्षा  क्षेत्र के कर्मचारियों (defence employees salary) को लेकर भी विमर्श करने में जुटी है। इनके साथ ही केंद्र सरकार के लगभग 50 लाख कर्मियों को भी लाभ होने की उम्मीद है। इनके अलावा लगभग 65 लाख पेंशनधारकों की पेंशन में भी बढ़ोतरी (pension hike) होने की उम्मीद है। इन लाभार्थी कर्मचारियों के अलावा दिल्ली में लगभग चार लाख कर्मचारियों को भी शामिल किया गया है। इनमें रक्षा कर्मचारी और दिल्ली सरकार के कर्मचारी शामिल हैं।

जानिये क्या है फिटमेंट फैक्टर-

फिटमेंट फैक्टर के आधार पर ही कर्मचारियों की सैलरी (Salary hike) को तय किया जाता है। 7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के तहत कर्मचारियों को 2.57  के हिसाब से फिटमेंट फैक्टर दिया जा रहा है। इसकी वजह से कर्समचारियों को न्यूनतम वेतन 17,990 रुपये के हिसाब से दिया जा रहा है।

फिटमेंट फैक्टर का वेतन पर प्रभाव-

7वें वेतन आयोग के तहत कर्मचारियों को 2.57 (Fitment factor in 7th CPC) के हिसाब से फिटमेंट फैक्टर दिया जा रहा है। इसकी वजह से कर्मचारियों की बेसिक सैलरी को 7 हजार रुपये से बढ़ाकर 17,990 (salary hike) कर दिया गया था। अगर इस बार भी केंद्र सरकार की ओर  से अगर इसी फॉर्मूले को आधार मानकर वेतन को बढ़ा दिया जाता है तो इसकी वजह से 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर (Fitment factor) की अधिकतम रेंज के तहत कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी 26, 000 रुपये की जा सकती है। 


वेतन में आएगा बंपर उछाल-

कर्मचारी यूनियन और बाकी संगठन के द्वारा 8वें वेतन आयोग (Fitment factor in 8th CPC) के तहत कर्मचारियों के फिटमेंट फैक्टर 2.86 से 3 तक कर दिया जाता है तो इसकी वजह से कर्मचारियों के वेतन में बंपर उछाल देखने को मिलने वाला है। इस बढ़ोतरी के आधार पर कर्मचारियों की सैलरी 180 प्रतिशत बढ़ जाएगी। 8वें वेतन आयोग (8CPC me employees ki salary) के तहत कर्मचारियों की न्यूनतम आधार वेतन को बढ़ाकर 34,650 रुपये किया जा सकता है।

अभी सिफारिशें आना बाकी-

8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के तहत कर्मचारियों के फिटमेंट फैक्टर को तय करने के लिए अभी सिफारिशें आना बाकी हैं। उसमें ही इसकी जानकारी के बारे में पता लगाया जा सकता है। केंद्र सरकार द्वारा 7वें वेतन आयोग का गठन 2014 में किया गया था। इसके बाद इस आयोग की सिफारिशें को एक जनवरी, 2016 से लागू किया गया था। इस वेतन आयोग की अवधि 2026 में समाप्त हो रही है।

हर 10 साल में बतना है नया वेतन आयोग-

आमतौर पर देखा जाता है कि केंद्र सरकार कर्मचारियों के लिए हर 10 साल में एक नए वेतन आयोग का गठन करती है। केंद्र सरकार ने सबसे पहला वेतन आयोग (first pay commission) 1947 में बनाया था। इसके बाद से सात वेतन आयोग का गठन किया गया है। वेतन आयोग की सिफारिशें को देने से पहले केंद्र और राज्य सरकारों और अन्य संबंधित पक्षों के साथ व्यापक परामर्श करता है। 
इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन संरचना (Pay commission) करने के लिए वेतन आयोग का गठन किया जाता है। 7वें वेतन आयोग के तहत वित्त वर्ष 2016-17 में खर्च में एक लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है। 

जानिये पहले वेतन आयोग का इतिहास-

केंद्र सरकार द्वारा पहला वेतन आयोग (1st pay commission) मई 1946 में गठित किया गया था। इसके बाद इस वेतन आयोग को मई 1947 में लागू किया गया था। इस वेतन आयोग के चैयरमेन श्रीनिवास वरदाचार्य थे। भारत की आजादी के बाद वेतन संरचना को तर्कसंगत बनाने पर ध्यान दिया गया। 

इसके अलावा जीविका पारितोषिक की अवधारणा को भी इस वेतन आयोग में पेश किया गया था। इस वेतन आयोग के तहत कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी 55 रुपये प्रति माह थी। इसके अलावा इस वेतन आयोग के तहत कर्मचारियों की अधिकतम वेतन (maximum salary in 1st CPC) 2,000 रुपये प्रति माह था। इस वेतन आयोग के तहत लाभार्थी की संख्या लगभग 15 लाख थी।

दूसरा वेतन आयोग-

दूसरा वेतन आयोग (2nd pay commission) को केंद्र सरकार ने अगस्त 1957 में गठित किया था। जिसके बाद इस वेतन आयोग को अगस्त 1959 में लागू कर दिया गया था। इस वेतन आयोग की अध्यक्षता जगन्नाथ दास ने की थी। इसमें कर्मचारियों की अर्थव्यवस्था और जीवन-यापन की लागत को संतुलित रखने पर भी ध्यान दिया गया। इस वेतन आयोग (2nd CPC details) के तहत कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन 80 रुपये प्रति माह दी जा रही थी। इस वेतन आयोग के तहत 25 लाख कर्मचारियों को लाभ हुआ था।  

तीसरा वेतन आयोग-

केंद्र सरकार द्वारा तीसरा वेतन आयोग (3nd CPC kab bana tha) अप्रैल 1970 को गठित किया गया था। इसके बाद इस वेतन आयोग को मार्च 1973 में लागू कर दिया गया था। इस वेतन आयोग की अध्यक्षता रघुबीर दयाल ने की थी। वेतन आयोग के तहत न्यूनतम वेतन (minimum salary) के बारे में बात करें तो कर्मचारियों को तीसरे वेतन आयोग के तहत 185 रुपये प्रति माह दिये जा रहे थे। इसके साथ ही सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच वेतन समानता पर जोर दिया गया। इस योजना के तहत लगभग 30 लाख कर्मचारी को लाभ हो रहा था। 

चौथा वेतन आयोग-

केंद्र सरकार द्वारा चौथा वेतन आयोग (4th pay commission) सितंबर, 1983 में गठिन किया गया था। इस वेतन आयोग की सिफारिशों को दिसंबर 1986 में पास किया गया था। इस वेतन आयोग के चेयरमैन पी. एन. सिंघल थे। इस वेतन आयोग के तहत कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन (4th pay commission salary) 750 रुपये प्रति माह दिया जा रहा था। इसके अलावा सभी रैंक में वेतन में असमानताओं को कम करने पर ध्यान दिया जा रहा था। इस वेतन आयोग के तहत करीबन 35 लाख लोगों को लाभ हुआ।  

पांचवां वेतन आयोग-

केंद्र सरकार द्वारा पांचवां वेतन आयोग अप्रैल, 1994 में गठित किया गया था। इसके बाद इस वेतन आयोग को जनवरी, 1997 में लागू किया गया था। इस वेतन आयोग (Chairman of 5th CPC) के चेयरमैन न्यायमूर्ति एस. रत्नावेल पांडियन थे। इस वेतन आयोग के तहत कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन 2,550 रुपये प्रति माह दी जा रही थी। इस वेतन आयाेग (5th pay commission) के तहत कुल 40 लाख कर्मचारियों को लाभ हुआ था। वेतनमान की संख्या कम करने का सुझाव भी पेश किया गया था। 

छठा वेतन आयोग-

केंद्र सरकार द्वारा छठा वेतन आयोग (salary in 6th CPC) गठित करने के बाद इसे मार्च, 2006 में लागू किया गया था। इस वेतन आयोग के चेयरमैन न्यायमूर्ति बी.एन. श्री कृष्ण थे। इस वेतन आयोग के तहत ‘पे बैंड' और ‘ग्रेड पे' (Grade pay) का नियम भी लागू किया गया था। इस दौरान कर्मचारियों को बेसिक सैलरी 7,000 रुपये प्रति माह दी जा रही थी। अधिकतम वेतन के रूप में 80,000 रुपये हर महीने निर्धारित थे। इस वेतन आयोग के तहत लगभग 60 लाख कर्मचारियों को लाभ हुआ था।

सातवां वेतन आयोग-

7वां वेतन आयोग (7th Pay Commission) के बारे में बात करें तो इसे फरवरी, 2014 में गठित किया गया था, जिसके बाद इसे 2016 में लागू कर दिया गया था। इस वेतन आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति एके माथुर ने की थी। इस वेतन आयोग के तहत कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन (7th CPC salary hike) के रूप में 18,000 रुपये प्रति माह दिये जा रहे हैं। इसके अलावा अगर अधिकतम वेतन के बारे में बात करें तो ये 2,50,000 रुपये प्रति माह है। इस वेतन आयोग के तहत ग्रेड पे सिस्टम को बदलकर नये पे मैट्रिक्स (new pay matrix) की सिफारिशों को रखा गया था। इस वेतन आयोग का लाभ एक करोड़ से भी ज्यादा कर्मचारियों को हुआ है।

सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाएं-

आज भी सरकार कर्मचारी सुविधाओं (govt. facilities for employees)व वेतन के मामले में निजी कर्मचारियों से काफी आगे हैं। इन दोनों वर्गाें के कर्मचारियों की तुलना कई बार की जा चुकी है। पहले जब इन दोनों वर्गों के कर्मचारियों की तुलना की गई तो कई निजी कर्मचारियों की तुलना में सरकारी कर्मचारियों का वेतन काफी ज्यादा था। इसमें कर्मचारियों के वेतन में कहीं दोगुना तो कहीं तीन गुना तक का फर्क देखने को मिला। 2015 में हुई स्टडी के मुताबिक तब सरकारी ड्राइवर का औसत वेतन करीब 18 हजार रुपये (salary of goverment employees) थी, वहीं निजी कर्मचारियों का वेतन इसकी काफी कम था। इसके अलावा कुछ पद ऐसे भी होते हैं, जिसमें प्राइवेट सेक्टर में ज्यादा वेतन दिया जाता है।

इन पदों पर कर्मचारियों को मिलता है ज्यादा वेतन-

7वें वेतन आयोग के तहत सरकारी मैनेजर या सरकारी अधिकारी की सैलरी  58100 से शुरू होती है। वहीं अगर जॉइंट सेक्रटरी के वेतन के बारे में बात करें तो उनकी सैलरी (salary of govt. manager) 1.82 लाख तक होती है। अगर सेक्रटरी की सैलरी के बारे में बात करें तो 2.25 लाख और कैबिनेट सेक्रटरी की सैलरी 2.5 लाख रुपये है। इसके अलावा अगर भत्तों और बंगलों को मिला दें तो ये वेतन कई गुना तक बढ़ जाती है। कैबिनेट सेक्रटरी (cabinet secretary) का लुटियंस जोन के बंगले का किराया जाहिर तौर पर उनकी सैलरी से ज्यादा है। ऐसे में सरकारी कर्मचारियों को ज्यादा फायदा होता है।