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Bihar News : बिहार वालों के लिए जरूरी खबर, सरकार के आदेश से खुश हो जाएंगे जमीन मालिक

Bihar News : बिहार वालों के लिए जरूरी खबर। दरअसल आपको बता दें कि अब दाखिल-खारिज का आवेदन रद्द करना आसान नहीं होगा। विभाग ने पत्र जारी कर कहा है कि आवेदन रद्द करने से पहले कारण बताना होगा। इस अपडेट से जुड़ी पूरी डिटेल जानने के लिए खबर को पूरा पढ़े। 

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HR Breaking News, Digital Desk-  बिहार के सीतामढ़ी समेत सभी जिलों में दाखिल खारिज हमेशा से एक बहुत बड़ी समस्या रही है। इसके निदान के लिए सरकार के स्तर से न जाने कितने कदम उठाए जा चुके हैं। फिर भी यह समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।

दरअसल, समस्या के निदान के लिए माकूल कानून-नियम बना हुआ है, पर कानून का अनुपालन धरातल पर संभव नहीं हो पा रहा है। यही कारण है कि संबंधित अधिकारियों की लापरवाह कार्यशैली के चलते सूबे के लाखों किसान दाखिल खारिज के मामले को लेकर परेशान रहते हैं.

बिना रिश्वत नहीं होता काम!

गौरतलब है कि सूबे में किसी अंचल से आसानी से दाखिल खारिज करा लेना आसान काम नहीं है। राजस्व कर्मचारी बिना रिश्वत के दाखिल खारिज करते ही नहीं हैं! एक तरह से बिना चढ़ावा दाखिल-खारिज संभव ही नहीं है। यह सर्वविदित है। विभाग भी इस बात से भलीभांति वाकिफ है। यही कारण है कि आमजन को नजराना से राहत दिलाने के लिए विभाग के स्तर से कई कदम उठाए जा चुके हैं। फिर भी हालात में कोई सुधार नहीं है। लोग आर्थिक शोषण के शिकार हो ही रहे हैं।

बिना पक्ष जाने आवेदन खारिज न करें-

राजस्व विभाग के संज्ञान में यह बात सामने आई है कि राजस्व कर्मचारी समेत अन्य के द्वारा बिना किसी ठोस कारण के दाखिल-खारिज के आवेदन को रद्द कर दिया जाता है। सूबे में रद्द वाले आवेदनों की संख्या बड़ी संख्या में है। इसे विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने गंभीरता से लिया है और सभी प्रमंडलीय आयुक्त और डीएम को पत्र लिखकर इस ओर उनका ध्यान आकृष्ट कराया है। एसीएस ने लिखा है कि दाखिल खारिज आवेदनों को अस्वीकृत करने से पहले आवेदक का पक्ष जरूर सुना जाए। उसके बाद ही रद्द करने के बिंदु पर निर्णय लिया जाए।

समीक्षा में यह बात आई सामने-

अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने 8 मई को डीएम और प्रमंडलीय आयुक्त को लिखे पत्र में कहा है कि दाखिल खारिज आवेदनों की समीक्षा के क्रम में यह पता चला है कि आवेदनों पर कर्मचारियों द्वारा किसी भी प्रकार की आपत्ति लगने पर बिना आवेदक का पक्ष सुने अंचल अधिकारी आवेदन को अस्वीकृत कर देते हैं। अगर एक बार दाखिल खारिज का आवेदन अस्वीकृत हुआ तो आवेदक को डीसीएलआर के कोर्ट में अपील में जाना पड़ता है, जबकि कई बार कोई दस्तावेज छूट जाने के कारण भी आवेदन को सीधे रद्द कर दिया जाता है।

क्या है एसीएस का स्पष्ट निर्देश-

एसीएस ने कहा है कि प्राकृतिक न्याय के दृष्टिकोण से भी यह आवश्यक है कि दाखिल खारिज के आवेदन को अस्वीकृत करने से पहले संबंधित याचिकाकर्ता को आपत्ति की सूचना देते हुए उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाए। सभी आयुक्त और डीएम को सभी सीओ एवं राजस्व पदाधिकारी को यह निर्देश देने को कहा गया है कि दाखिल खारिज के आवेदन में कर्मचारी अथवा अन्य किसी माध्यम से प्राप्त आपत्ति के आधार पर अस्वीकृत की स्थिति बनती है, तब अस्वीकृत करने से पहले याचिकाकर्ता को नोटिस देते हुए आपत्ति से अवगत कराएं। साथ ही उन्हें अपना पक्ष और साक्ष्य देने का अवसर प्रदान करें। अस्वीकृति का आदेश आवेदक को बिना सूचित किए और बिना सुनवाई किए नहीं दें। साथ ही आदेश में इस सुनवाई के दौरान आवेदक द्वारा प्रस्तुत किए गए कागजात और साक्ष्य को दर्ज करें। इसके बाद ही अगर अस्वीकृत करना हो तब करें।