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सरकारी कर्मचारियों को नहीं कर सकते इतने दिन सस्पेंड, Supreme Court ने सुनाया अहम फैसला

Supreme Court - अगर आप सरकारी कर्मचारी है तो ये खबर आपके लिए जाननी जरूरी है। दरसअल सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक अहम फैसला दिया गया है। 2011 में निलंबित हुए सरकार कर्मचारी के मामले में कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है।  सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि सरकारी कर्मचारियों को कितने दिन से ज्यादा सस्पेंड नहीं रखा जा सकता है।  कोर्ट की ओर से आए इस फैसले को विस्तार से जानने के लिए खबर को पूरा पढ़े। 
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सरकारी कर्मचारियों को नहीं कर सकते इतने दिन सस्पेंड, Supreme Court ने दिया अहम फैसला

HR Breaking News, Digital Desk-   निलंबित हुए कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बड़ी  राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को उसके खिलाफ आरोप पत्र के अभाव में 90 दिन यानी 3 महीने से अधिक समय के लिए निलंबित नहीं रखा जा सकता क्योंकि ऐसे व्यक्ति को समाज के आक्षेपों और विभाग के उपहास का सामना करना पड़ता है।

 

 

न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की खंडपीठ ने लंबे समय तक सरकारी कर्मचारी को निलंबित रखने की प्रवृत्ति की आलोचना की और कहा कि निलंबन, विशेष रूप से आरोपों के निर्धारण की अवधि में, अस्थायी होता है और इसकी अवधि भी कम होनी चाहिए। न्यायाधीशों ने कहा कि यदि यह अनिश्चितकाल के लिये हो या फिर इसका नवीनीकरण ठोस वजह पर आधारित नहीं हो तो यह दंडात्मक स्वरूप ले लेता है।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसी स्थिति में हम निर्देश देते हैं कि निलंबन आदेश तीन महीने से अधिक नहीं होना चाहिए यदि इस दौरान आरोपी अधिकारी या कर्मचारी को आरोप पत्र नहीं दिया जाता है और यदि आरोप पत्र दिया जाता है तो निलंबन की अवधि बढाने के लिये विस्तृत आदेश दिया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने  ने रक्षा विभाग के संपदा अधिकारी अजय कुमार चौधरी की अपील पर यह फैसला दिया। चौधरी को कश्मीर में करीब चार एकड़ भूमि के इस्तेमाल के लिये गलत अनापत्ति प्रमाण पत्र देने के आरोप में 2011 में निलंबित किया गया था। न्यायालय ने कहा कि इस फैसले के आधार पर यह अधिकारी अपने निलंबन को चुनौती दे सकता है।

न्यायालय ने कहा कि जहां तक इस मामले के तथ्यों का सवाल है तो अपीलकर्ता को आरोप पत्र दिया जा चुका है और इसलिए यह निर्देश हो सकता है बहुत अधिक प्रासंगिक नहीं हो। लेकिन यदि अपीलकर्ता को अपने सतत् निलंबन को कानून के तहत किसी तरीके से चुनौती देने की सलाह मिलती है तो प्रतिवादी की यह कार्रवाई न्यायिक समीक्षा के दायरे में होगी।

 कर्मचारियों को लेकर हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला


हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कर्मचारियों से जुड़ा एक महत्वपूर्ण फैसला (High Court's decision regarding employees) दिया था। हाई कोर्ट ने अपने फैसल में कहा है कि किसी कर्मचारी को 3 महीने से ज्यादा समय तक निलंबित नहीं रखा जा सकता। 
इस आदेश के साथ ही हाई कोर्ट ने पुलिस इंस्पेक्टर के निलंबन पर रोक लगा दी थी। गौरतलब है कि प्रयागराज के थाना हंडिया में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर केशव वर्मा को इस साल 11 अप्रैल को निलंबित कर दिया गया था और 3 महीने बीत जाने के बाद भी उसे कोई भी विभागीय चार्जशीट नहीं दी गई थी।


ये था पूरा मामला


इस मामले के अनुसार जब याची बतौर पुलिस इंस्पेक्टर  थाना प्रभारी कल्याणपुर, जनपद फतेहपुर में तैनात थे तो उसने प्राथमिकी में नामित अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन, अपहृत युवती की बरामदगी के उनकी आरे से सार्थक प्रयास नहीं किए।  लड़की की बरामदगी न हो पाने पर हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई थी और बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर प्रयागराज पुलिस महानिरीक्षक को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से तलब किया था। और इस वजह से याची को प्रयागराज में तैनाती के दौरान निलंबित कर दिया गया था।