home page

High Court ने बताया कितने साल पुराने मामले खोल सकता है इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, नोटिस मिलने वालों में दौड़ी खुशी

Income Tax News : हाई कोर्ट ने इनकम टैक्स से जुड़े मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में बताया है कि इनकम टैक्स विभाग कितने पुराने मामलों में कार्रवाई कर सकता है। हाईकोर्ट (High Court) के इस फैसले से टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिलेगी। लेकिन आपके लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि इनकम टैक्स विभाग कार्रवाई क्यों और किस कानून के तहत करता है। हम आपको बता दें कि आयकर विभाग किसी भी सर्वे, रेड या छापेमारी की कार्रवाई को आयकर अधिनियम 1961 (Income Tax Act 1961) की धाराओं के तहत अंजाम देता है। ये एक्ट कर योग्य  आय, कर देयता, अपील, दंड और अभियोजन तय करने में मददगार साबित होता है।  इसी एक्ट में इनकम टैक्स विभाग के अधिकारियों की शक्ति और कर्तव्यों को भी  परिभाषित किया गया है।  इस एक्ट में समय-समय पर संशोधन भी किए गए हैं।  
 | 
High Court ने बताया कितने साल पुराने मामले खोल सकता है इनकम टैक्स विभाग, नोटिस मिलने वालों में दौड़ी खुशी

HR Breaking News, Digital Desk -  इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) देश के वित्त मंत्रालय के तहत काम करता है। यह विभाग उन लोगों को चिन्हित करता है, जो आयकर (Income Tax) में घपला करते हैं।  मतलब कि वो लोग जिनकी कमाई और टैक्स में अंतर मिलता है या जिन लोगों पर कर टैक्स चोरी का शक होता है. या जिनके पास ब्लैक मनी होने की गुप्त सूचना मिलती है, तो ऐसे सभी तरह के मामलों में  इनकम टैक्स विभाग छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम देता है। अब सवाल है कि आयकर विभाग कितने पुराने मामले खोल सकता है। इसी को लेकर हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है। 

इस फैसले से उन टैक्सपेयर्स में खुशी की लहर दौड़ी है जिन्हें इनकम टैक्स (Income Tax notice) की तरफ से नोटिस मिल रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इनकम टैक्स के एक मामले पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला सुनाते हुए कहा कि 3 साल से पुराने और 50 लाख से कम के आयकर मामले में री-असेसमेंट नहीं हो सकता है। फैसले के मुताबिक अब इनकम टैक्स ऐसे ही कभी भी आपके इनकम टैक्स असेसमेंट के मामले को नहीं खंगाल सकता है। 10 साल पुराने मामलों को इनकम टैक्स तभी खंगाल सकता है जब टैक्सपेयर की इनकम 50 लाख या उससे ज्यादा हो।


बनाया गया था री-असेसमेंट को लेकर नया IT कानून

दरअसल, बजट 2021-22 के दौरान री-असेसमेंट को लेकर नया IT कानून बनाया गया था। जिसमें 6 साल से री-असेसमेंट समयसीमा को घटाकर 3 साल कर दिया गया था। 50 लाख से ज्यादा और सीरीयस फ्रॉड में 10 साल तक री-असेसमेंट हो सकती है। इनकम टैक्स विभाग के अधिकारी कभी भी लोगों को पुराने मामले खोलकर नोटिस भेज देते थे। ऐसे में ये उनलोगों के लिए राहत भरी खबर है जिनको इनकम टैक्स विभाग से नोटिस मिल जाता था। दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court)ने इनकम टैक्स विभाग की ओर से नोटिस भेजने की समय सीमा को ध्यान में रखते हुए धारा 148 के तहत फैसला सुनाया है। जिससे वह समय के भीतर ही मामलों को फिर से खोलने के लिए नोटिस जारी कर सकता है।

याचिकाकर्ताओं ने क्या कहा?

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि ऐसे मामलों में जहां आय (टैक्स असेसमेंट से छूट गई आय) 50 लाख रुपये से कम है, धारा 149 (1) के खंड (ए) में तय तीन साल की सीमा की अवधि लागू होनी चाहिए। 10 साल की विस्तारित सीमा अवधि केवल तभी लागू होगी जब आय 50 लाख रुपये से अधिक हो। दूसरी ओर, आयकर अधिकारियों ने तर्क दिया कि आशीष अग्रवाल (मई, 2022) के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और बाद में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा जारी एक सर्कुलर को देखते हुए ऐसे नोटिस वैलिड हैं।
 

ट्रैवल बैक इन टाइम सिद्धांत गलत

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में प्रैक्टिस कर रहे वकील दीपक जोशी का कहना है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने माना है कि सीबीडीटी के निर्देश में निहित 'ट्रैवल बैक इन टाइम' सिद्धांत कानून की दृष्टि से गलत है। यह एक स्वागत योग्य निर्णय है, जो उन टैक्सपेयर्स की मदद करेगा जो री-असेसमेंट (Re-assessment) कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। यह उन टैक्सपेयर्स के लिए भी फायदेमंद होगा जिन्होंने रिट याचिका दायर नहीं की थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि वित्त मंत्री के भाषण और वित्त विधेयक, 2021 के प्रावधानों की व्याख्या दोनों के अनुसार, ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के लिए री-असेसमेंट की समय सीमा छह से घटाकर तीन साल कर दी गई थी।

इससे ज्यादा कमाई होने पर खुल सकता है मामला- 

 

लेकिन इसके लिए सालाना इनकम 50 लाख रुपये से अधिक होनी चाहिए। सीबीडीटी (CBDT) के मुताबिक पुराने मामलों को खोलते समय यह लिमिट लागू होगी। यानी 50 लाख रुपये के कम सालाना इनकम वाले मामलों को नहीं खोला जाएगा।


कैसे पड़ता है इनकम टैक्स का छापा?

आयकर विभाग (Income tax department) की कोशिश होती है कि छापा ऐसे वक्त मारा जाए जब व्यक्ति को उसका अंदाजा ना हो, ताकि उसे संभलने का मौका भी ना मिले। अधिकतर रेड तड़के या देर रात मारी जाती हैं, ताकि तेजी से आरोपी के घर में पहुंचा जा सके और कुछ समझ पाने से पहले उसे दबोच लिया जाए। छापा मारने वाली टीम के साथ घर की तलाशी के लिए वारंट भी होता है। जब छापा मारा जाता है तो आयकर अधिकारियों के साथ पुलिस बल और कभी-कभी तो अर्ध-सैनिक बल भी मौजूद होता है, ताकि किसी भी तरह की अनहोनी ना हो। रेड 2-3 दिनों तक चल सकती है और इस दौरान घर या दफ्तर में मौजूद लोग बिना आयकर अधिकारियों की इजाजत के बाहर नहीं जा सकते। आयकर अधिकारी रेड मारते जाते हैं और से तमाम चीजें अपने कब्जे में लेते जाते हैं।

चाह कर भी क्या जब्त नहीं कर सकते हैं अधिकारी?

अगर यह छापा किसी दुकान या शोरूम में मारा गया है तो वहां बेचने के लिए रखे गए सामान को जब्त नहीं किया जा सकता, सिर्फ उन्हें दस्तावेजों में नोट किया जा सकता है। हां कुछ सूरतों में उस सामान से जुड़े कागजात जब्त किए जा सकते हैं। अगर दुकान या घर से भारी मात्रा में कैश या सोना या और कुछ मिलता है, जिसका लेखा-जोखा व्यक्ति के पास हो यानी उसने आईटीआर (ITR) में सब दिखाया हो, वह सामान जब्त नहीं किया जा सकता।

छापा पड़ने पर क्या हैं अधिकार?

सबसे पहले तो आप छापा मारने आए अधिकारियों से वारंट दिखाने और साथ ही पहचान पत्र दिखाने को कह सकते हैं। वहीं अगर छापा मारने आई टीम घर की महिलाओं की तलाशी लेना चाहे तो ऐसा सिर्फ महिला कर्मी ही कर सकती है। अगर सभी पुरुष हैं तो वह चाहकर भी घर की महिला की तलाशी नहीं ले सकते, भले ही अधिकारियों को महिला के कपड़ों में कुछ छुपे होने का शक हो। आयकर अधिकारी आपको खाना खाने या बच्चों को उनके स्कूल बैग चेक करने के बाद स्कूल जाने से नहीं रोक सकते हैं।
 

News Hub