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Land Purchase Rules : चाहे करोड़ों दे दो, भारत के इन 5 राज्यों में बाहर के लोग नहीं खरीद सकते एक इंच भी जमीन

Restricted areas for Indian land purchase -जीवन में अपना खुद का घर खरीदने का सपना तो सभी देखते हैं। कुछ लोगों का यह सपना जल्द पूरा हो जाता है तो कुछ को सालों लग जाते हैं। घर जीवन में एक ही बार बनता है इसके लिए सालों पैसो जमा करके और बैंक से लोन (Bank loan) लेकर ही खरीदने की तैयारी की जाती है। नया घर खरीदने या बनाने के लिए खूबसूरत जगह पसंद की जाती है कई बार जब हिल स्टेश पर घूमने के लिए जाते हैं तो वहां जो शांति और सुकून मिलता है ऐसे मन करता है कि वहीं घर खरीद(buy a new house) लें। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि भारत में बहुत से ऐसे खूबसूरत राज्य है जहां पर आप करोड़ों रुपये देकर भी घर या संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं(Can't buy house property)- 

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HR Breaking News (ब्यूरो)। Non-residential land ownership restrictions in India - हर किसी का सपना होता है कि उसका अपना खुद का घर हो। कुछ लोग इस सपने को जल्दी पूरा कर लेते हैं तो कुछ लोगों को काफी समय लगता है। लेकिन कहीं नया घर बनाने या खरीदने से पहले वहां का वातावरण का अच्छा होना बहुत जरुरी है। अगर आप भी घूमनें का शौंक रखते हैं और कभी पहाड़ी इलाकों में घूमने (traveling in hilly areas) के लिए गए हैं तो जो वहां शांति और सुकून मिलता है वह कहीं नहीं मिल सकता।

 

 

एक रिसर्च में ये खुलासा हुआ है कि लोग भीड़-भाड़ वाले इलाकों को छोड़कर कहीं खुले में या फिर हिल स्टेशन (Beautiful hill station) पर शांति और सुकून वाली जगहों पर घर बनाने या खरीदने का शौंक ज्यादा रखते हैं। ऐसी जगहों पर हर किसी का अपना घर बनाने का मन करता है। लेकिन ये बात जानकर आपको हैरानी होगी। कि भारत में कुछ ऐसे खूबसूरत राज्य (beautiful state) हैं। जहां पर अगर आप करोड़ों रुपये देकर भी जमीन या घर खरीदना चाहें तो भी नहीं कर खरीद सकते हैं। आज हम आपको इस खबर में भारत की उन जगहों के नाम बताने जा रहे हैं जहां पर आप जमीन या संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं। 

भारत में ऐसी कुछ जगहें भी हैं जहां पर आपको जमीन खरीदने की अनुमति नहीं है। मेघालय (Meghalaya) से लेकर हिमाचल प्रदेश तक, जिन भी जगहों पर आपको जमीन खरीदने पर प्रतिबंध (Ban on buying land) है। लेकिन आपको यहां पर अपना घर खरीदना हैं तो यहां के कानून ने कुछ ऐसे नियम बनाएं हैं जिनका पालन करने के बाद ही आप यहां पर घर या संपत्ति खरीद सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन राज्यों में संपत्ति खरीदने पर ही प्रतिबंध (States' property buying restrictions) नहीं है बल्कि यहां के लोग किसी दूसरे राज्य के व्यक्ति को अपनी जमीन नहीं बेच सकते।  

 

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जानिये हिमाचल प्रदेश में आप जमीन खरीद सकते हैं या नहीं- 

अगर आप हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) से बाहर के हैं और इस राज्य में जमीन खरीदना चाहते हैं तो आप राज्य सरकार की इजाजत लेने के बाद यहां गैर कृषि भूमि खरीद सकते हैं। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश के टेनेंसी  (Tenancy of Himachal Pradesh) और लैंड रिफॉर्म्स रूल्स 1975 के सेक्शन 38A (3) के तहत आपको राज्य सरकार को यह बताना होता है कि आप किस मकसद से इस राज्य में जमीन खरीद रहे हैं। 

राज्य सरकार आपके मकसद को सुनती है, फिर उस पर विचार करती है, इसके बाद आपको 500 वर्ग मीटर तक की जमीन खरीदने की परमिशन दे दी जाती है। हालांकि, आप इस राज्य में कोई कृषि भूमि नहीं खरीद सकते। यानी आप यहां किसानी नहीं कर सकते।

जान लें नॉर्थ ईस्ट के राज्य में दूसरे राज्य के लाेग कैसी प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं-

नार्थ ईस्ट (North East) में कई ऐसे राज्य हैं, जहां बाहरी लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं। अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम, मेघालय, सिक्किम और मणिपुर ऐसे ही राज्य हैं। यहां तक कि नार्थ ईस्ट के निवासी भी एक-दूसरे के राज्‍य में जमीन नहीं खरीद सकते हैं।

वहीं, नागालैंड (Nagaland) को भी कश्मीर जैसा विशेष प्रावधान मिला हुआ है। 1963 में राज्य बनने के साथ ही विशेष अधिकार के रूप में आर्टिकल 371 (A) का प्रावधान मिला था। इसमें ऐसे कई मामले में जिसमे दखल नहीं दिया जा सकता है। 

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सिक्किम में आप नहीं खरीद सकती हैं प्रॉपर्टी-


सिक्किम (Sikkim) में केवल सिक्किम के निवासी ही जमीन खरीद सकते हैं। भारत के संविधान का अनुच्छेद 371 ए फ, जो सिक्किम को विशेष प्रावधान प्रदान करता है, उसके अनुसार, बाहरी लोगों को शामिल भूमि या संपत्ति की बिक्री और खरीद पर प्रतिबंध लगाता है। इस राज्य के जनजातीय क्षेत्रों में केवल आदिवासी ही भूमि और संपत्ति खरीद सकते हैं।


अरुणाचल प्रदेश में आप नहीं खरीद सकती हैं प्रॉपर्टी-


अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) मशहूर पर्यटन स्थलों में से एक है। इस स्थान पर भी प्रॉपर्टी खरीदने की अनुमति नहीं है। यहां पर कृषि भूमि को सरकारी अप्रूवल के बाद ही जमीन को ट्रांसफर किया जाता है। इन जगहों के अलावा मिजोरम, मेघालय, जम्मू-कश्मीर और मणिपुर भी ऐसे ही राज्य हैं जहां प्रॉपर्टी खरीदने से संबंधित कई कानून और नियम हैं। यहां तक कि नॉर्थ ईस्ट के निवासी भी एक-दूसरे के राज्य में जमीन नहीं खरीद सकते हैं। 

मणिपुर में चाहकर भी नहीं खरीद सकते प्रॉपर्टी- 

मणिपुर (Manipur ban on buying land) की खूबसूरती पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं यहां पर हर साल बड़ी संख्या में लोग घूमने के लिए आते हैं। अगर आप भी हर साल घूमने के लिए लोग मणिपुर भी जाना पसंद करते हैं। ऐसे में मणिपुर की खूबसूतरी को देखकर वहां पर जमीन या घर खरीदने का मन करता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी। कि पर दूसरे राज्य के लोग जमीन या घर नहीं खरीद सकते हैं। यहां पर बाहरी लोगों को जमीन खरीदने सरकार ने प्रतिबंध लगाया है। अनुच्छेद 371B के तहत सिर्फ मणिपुर के लोग जमीन खरीद और बेच सकते हैं। ऐसा सिर्फ भारत के इस राज्य में ही नहीं है बल्कि ऐसे बहु़त से राज्य है जहां पर जमीन की खरीद-फरोख्त कोई बाहरी व्यक्ति नहीं कर सकता। 

 मेघालय में प्रॉपर्टी क्यों नहीं खरीद सकते दूसरे राज्य के लोग- 

मेघालय (Meghalaya) प्रकृर्ति की खूबसूरती से घिरी हुआ है। मेघायल को बादलों का घर बोला जाता है यहां पर सबसे ज्याद बारिश होती है और चेरापुंजी, पूर्वोत्तर भारत का सर्वाधिक प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण, मेघालय में स्थित है। मेघालय में पर्यटन के मुताबिक घूमने और रहने के लिए बहुत सारी जगह है। लेकिन यहां की प्रकृर्ति की खूबसूरती को देखकर लोगों का यहां पर बसने का मन करता है। लेकिन वो चाहकर भी ऐसा नहीं कर सकते हैं। दरअसल, यहां  मेघालय में संविधान के विशेष प्रावधान के तहत किसी बाहरी व्यक्ति को जमीन की खरीद फरोखत करने पर रोक लगाई गई है। 

जमीन खरीदने से पहले इन 6 बातों का जरूर ध्यान रखें - 

जमीन के टाइटल की जांच


जमीन खरीदते वक्त उसके टाइटल की जांच सबसे जरूरी चीज है. आपको इस बात की जांच करनी है कि जो शख्स आपको जमीन बेच रहा है, वही प्रॉपर्टी का असली मालिक है और उसके पास ही सारे अधिकार हैं. जमीन के दस्तावेज काफी जटिल होते हैं. बेहतर है कि इन दस्तावेजों की जांच आप किसी वकील (एडवोकेट) से करवाएं ताकि सेल्स डीड और प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदों की जांच करवाकर वेंडर के टाइटल कन्फर्म होने का सर्टिफिकेट हासिल किया जा सके. कम से कम पिछले 30 वर्षों के लिए टाइटल का पता जरूर लगाएं.

सब-रजिस्ट्रार के दफ्तर में खोज


अधिग्रहण किए जाने वाले भूमि के संबंध में लेनदेन (कर्मों के माध्यम से स्वामित्व में परिवर्तन) और एन्कंब्रन्स (कानूनी बकाया) की खोज आपको सब रिजस्ट्रार के दफ्तर में करनी होगी. इसकी प्रक्रिया हर राज्य में अलग-अलग है.

जमीन खरीद के लिए पब्लिक नोटिस


प्रॉपर्टी खरीदने से पहले स्थानीय अखबारों में खरीदी जाने वाली प्रस्तावित भूमि पर किसी भी दावे को आमंत्रित करने के लिए पब्लिक नोटिस देना चाहिए. इससे यह पता लग जाता है कि जमीन पर किसी थर्ड पार्टी के अधिकार तो नहीं हैं.

पावर ऑफ अटॉर्नी

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जमीन मालिक की ओर से पावर ऑफ अटॉर्नी (POA) के जरिए भी बेची जाती है. पावर ऑफ अटॉर्नी की अच्छी तरह से जांच करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वही प्रॉपर्टी बेची जा रही है जिसे आपको खरीदना है. ऐसा भी होता है जब कुछ समय के भीतर कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करना जरूरी होता है. इसमें देरी नहीं होनी चाहिए इससे लागत बढ़ती है. ऐसी स्थितियों से बचने के लिए, आप किसी और को अपनी ओर से हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत कर सकते हैं.

दस्तावेजों का वेरिफिकेशन


भूमि लेनदेन से जुड़े असली टाइटल दस्तावेज सही हैं या नहीं. सौदे से पहले इस बात की जांच जरूर कर लेनी चाहिए. ऐसा करने से आपको पता चल जाएगा कि विक्रेता ने ओरिजनल के साथ कोई थर्ड पार्टी राइट्स नहीं बनाए हैं. सौदा पूरा होने के बाद इन ओरिजनल दस्तावेजों को जरूर ले लें.

जमीन खरीद के लिए अप्रूवल और परमिशन


खरीदी जाने वाली प्रॉपर्टी/जमीन में पहले से ही ढांचे या इमारतें हैं, तो यह जांच करें कि अनुमोदित योजनाएं, आवश्यक अनुमतियां और एनओसी सही हैं या नहीं.

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प्रॉपर्टी खरीदने से पहले चेक करें ये डॉक्यूमेंट- 

 प्रॉपर्टी खरीदने से पहले विक्रेता के टाइटल और ओनरशिप का वेरिफिकेशन करना बेहद जरूरी है।


चेनल डाक्यूमेंट: चेनल डाक्यूमेंट को भी चेक करना बेहर जरूरी है. चैनल डाक्यूमेंट का मतलब होता है X ने Y को बेची, Y ने Z को बेची. इस दौरान जो भी डील बनती है उसमें सबका विचारनाम बनता है. यानी किसको कहां से मिली इन सबका हवाला होना चाहिए।


 

एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट: यह सर्टिफिकेट आपको बताता है कि जिस प्रॉपर्टी को खरीद रहे हैं उस पर कोई मोर्टगेज, बैंक लोन या कोई टैक्स तो बकाया नहीं है. इसके अलावा कोई पेनाल्टी तो नहीं है इसकी जानकारी मिलती है. इसके अलावा रजिस्ट्रार के ऑफिस जाकर आप फॉर्म नंबर 22 भरकर जानकारी जुटा सकते हैं।


ऑक्यूपॅन्सि सर्टिफिकेट: अऑक्यूपॅन्सि सर्टिफिकेट एक अहम दस्तावेज है, जिसे बिल्डर से जरूर लेना चाहिए. अगर वह इसे नहीं देता तो खरीददारों को यह अधिकार है कि वह डिवेलपर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करें।


पजेशन लेटर: डिवेलपर खरीददार के हक में पजेशन लेटर जारी करता है, जिसमें प्रॉपर्टी पर कब्जे की तारीख लिखी होती है. होम लोन पाने के लिए इस दस्तावेज की असली कॉपी को पेश करना जरूरी होता है. जब तक ओसी हासिल नहीं किया जाएगा, तब तक पोजेशन लेटर अकेले प्रॉपर्टी पर कब्जे के लिए काफी नहीं माना जा सकता।