Property Rights : पति भी कर सकता है पत्नी की प्रॉपर्टी में दावा, जानिये क्या कहता है कानून
Property rights of husband : आए दिन कोर्ट कचेरी में पति-पत्नी के बीच लड़ाई झगड़े के कई मामले सामने आते हैं। ऐसे में आमतौर पर देखा जाता है कि पत्नी अपने पति की प्रॉपर्टी में अधिकार (husband rights on wif property) और हिस्से का दावा करती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पति भी अपनी पत्नी की प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी का दावा कर सकता है। जी हां, कानून में सिर्फ पत्नी ही नहीं पति को भी संपत्ति में हिस्सा पाने का अधिकार दिया गया है।

HR Breaking News - (husband property rights)। आमतौर पर जब भी पति पत्नी के बीच लड़ाई-झगड़ा बढ़ जाता है तो ऐसे में पत्नी कोर्ट में जाकर अपने गुजारे भत्ते और प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी का दावा करती हैं। कोर्ट में भी अक्सर पत्नी के पक्ष में ही फैसला सुनाया जाता है। आमतौर पर अधिकतर लोग इस बात से अनजान होते हैं कि पति भी अपनी पत्नी की प्रॉपर्टी (Property rights for husband) पर कोर्ट में जाकर दावा कर सकता है और उसमें बराबर की हिस्सेदारी भी हासिल कर सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं कानून के इस प्रावधान के बारे में।
प्रॉपर्टी में पति और पत्नी के अधिकार-
पति और पत्नी दोनों के पास ही अपनी प्रॉपर्टी (Property Knowledge) पर स्वतंत्र अधिकारी होता है। अगर पति अपनी संपत्ति पत्नी के नाम से खरीदता है, तो ऐसे में उस संपत्ति पर पूरा अधिकार सिर्फ उसकी पत्नी का ही होगा। इस स्थिति में इस प्रॉपर्टी पर पति का कोई हक नहीं होता है।
अगर पति इस संपत्ति (sampatti ke adhikar) को बेचने के बारे में विचार करता है तो ऐसे में इसके लिए पत्नी की सहमति को लेना काफी ज्यादा जरूरी है। इसके विपरीत, अगर पति और पत्नी दोनों के ही नाम पर कोई प्रॉपर्टी को खरीदा गया है तो इसमें दोनों का ही बराबर का हक होगा।
तलाक के समय पर होंगे ये अधिकार-
जब भी पति और पत्नी के बीच तलाक (Divorce ke baad pati ke adhikar) की स्थिति बन जाती है तो ऐसे में पति और पत्नी दोनों के पास ही अलग-अलग अधिकार होते हें। अगर पत्नी जॉब या फिर व्यवसाय कर रही हैं तो ऐसे में स्थिति और भी ज्यादा जटिल हो जाती है। तलाक के बाद पत्नी पति की संपत्ति में हक (court decision on property rights) को नहीं जता सकता है और न ही वो उस संपत्ति को पूरी तरह से कब्जे में ले सकती है। संयुक्त संपत्ति पर दोनों के ही बराबर के अधिकार होते हैं इसे कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से भी विभाजित किया जा सकता है।
पति का पत्नी की प्रॉपर्टी में अधिकार-
पत्नी की प्रॉपर्टी में पति (husband property rights) के भी बराबर के ही अधिकार होते हैं, लेकिन पत्नी के मुकाबले पति के पास सीमित अधिकार होते हैं। अगर पति पत्नी की संपत्ति का यूज करना चाहता है और इसके बाद इसे बेचने के बारे में सोच रहा है तो उसे पत्नी की सहमति लेनी होगी। इसके अलावा पति अपनी संपत्ति का हिस्सा पत्नी (Wife's property rights) को बेच सकता है। इस संदर्भ में, भारतीय कानून पति और पत्नी को अलग-अलग पक्षकार मानता है।
पत्नी की पैतिृक संपत्ति में पति के अधिकार-
अगर पत्नी को संपत्ति उनके पूर्वजों (ancestral property rules) से मिली है तो इस परिस्थिति में पति उस संपत्ति में सीधा अधिकार नहीं ले सकता है। हांलाकि अगर यह संपत्ति पत्नी के नाम पर आ गई है तो इस परिस्थिति में पति इस पर अधिकार जता सकता है, लेकिन शर्त ये हैं कि इसके लिए पत्नी (wife ki ancestral property me husband ke rights) ने भी सहमति दी हो। पति इस प्रॉपर्टी का यूज या फिर बिक्री जब ही कर सकता है जब पत्नी इसके लिए सहमत हो जाए। पत्नी की सहमति के बिना इस प्रॉपर्टी की ब्रिकी करना गैर कानूनी है।
भारतीय कानून में सपष्ट है प्रावधान-
संपत्ति से जुड़े विवादों का समाधान करने के लिए भारतीय कानून में कई नियमों को बनाया गया है। पति और पत्नी (wife's property rights) दोनों को समान दर्जा और अधिकार दिए गए हैं। संयुक्त संपत्ति के मामले में दोनों को बराबर का अधिकार होता है और संपत्ति की बिक्री या उपयोग के लिए सहमति अनिवार्य होती है। इसके अलावा अगर पति कोई कमाई नहीं करता है और पत्नी की आय है तो ऐसे में तलाक होने की स्थिति में पति भी पत्नी (husband wife property rights) से गुजारे भत्ते की मांग कर सकता है।