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richest Village : ये है भारत देश का सबसे अमीर गांव, 305 परिवारों में से 80 प्रतिशत परिवार करोड़पति

Richest Village of India - जब गांव या किसान का नाम आता है तो लोगों की आंखों के सामने मिट्टी के घर और दूर दूर तक हरे-भरे खेत ही नजर आते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताएंगे। जो भारत देश का सबसे अमीर गांव हैं। इस गांव के 305 परिवारों में से 80 फीसदी परिवार करोड़पति हैं और बाकि बचे लोगों की सालाना आय 10 लाख रुपये से ज्यादा है। आइए नीचे खबर में जानते हैं - 

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richest Village : ये है भारत देश का सबसे अमीर गांव, 305 परिवारों में से 80 प्रतिशत परिवार करोड़पति

HR Breaking News (ब्यूरो)। भारत में एक गांव ऐसा भी है, जिसे करोड़पतियों का गांव कहा जाता है। दरअसल, इस गांव की कुल आबादी 1250 लोगों से कुछ ही ज्‍यादा है। वहीं, गांव में 305 परिवार रहते हैं। इनमें से 80 परिवार करोड़पति हैं। वहीं, 50 परिवारों की सालाना आय 10 लाख रुपये से ज्‍यादा है।


 हम महाराष्ट्र (Maharashtra) के अहमदनगर जिले के हिवरे बाजार गांव की बात कर रहे हैं। इसे आज भारत का सबसे अमीर गांव भी कहा जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि इस गांव के लोग या तो खानदानी अमीर (Village of millionaires) होंगे या कारोबारी होंगे। लेकिन, मजेदार बात ये है कि गांव के लोगों की आमदनी का मुख्‍य स्रोत खेती है। यहां के लोगों ने एकसाथ मिलकर कृषि पर जोर दिया और गांव की जीडीपी बढ़ा ली।

हिवरे बाजार (Hiware bazar) गांव में एक समय ऐसा भी था, जब ज्‍यादातर लोगों के सामने भुखमरी के हालात थे। गांव में हर तरफ गरीबी ने पैर पसार रखे थे। लिहाजा, गांव के लोग रोजी-रोटी की तलाश में हिवरे बाजार से शहरों का रुख करने लगे थे। खराब हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1990 में यहां के 90 फीसदी परिवार गरीब थे। 


दरअसल, इस गांव पर 80 और 90 के दशक में भयंकर सूखे की मार पड़ी। स्थिति इतनी खराब हो गई कि पीने तक के लिए पानी नहीं बचा था। उस समय गांव में 93 कुएं थे। भूजल स्‍तर भी 110 फीट नीचे तक चला गया था। कुछ लोग अपने परिवारों के साथ गांव से पलायन कर गए। फिर इस गांव के लोगों ने अपनी किस्मत खुद चमकाने का फैसला किया।

लोगों ने मिल-जुलकर बदली गांव की तस्‍वीर


सूखे से निपटने के लिए 1990 में एक समिति ज्वाइंट फॉरेस्ट मैनेजमेंट कमेटी बनाई गई। इसके तहत गांव में कुएं खोदने और पेड़ लगाने का काम श्रमदान के जरिए चलाया गया। महाराष्‍ट्र रोजगार गारंटी योजना के तहत इस काम को फंड दिया गया। इसके बाद 1994-95 में आदर्श ग्राम योजना आने के बाद इस काम को रफ्तार मिल गई। इसके बाद समिति ने हिवरे गांव में ज्‍यादा पानी की जरूरत वाली फसलों की बुआई पर पाबंदी लगा दी। लोगों की मेहनत और एकजुटता का नतीजा है कि अब गांव में 300 से ज्‍यादा कुएं हैं। वहीं, ट्यूबवेल खत्‍म होने के कारण भूजल स्‍तर ऊपर उठकर 30 फीट पर आ गया है।


सब्‍जी की पैदावार से कर रहे हैं मोटी कमाई


गांव के सभी परिवारों की आय खेती से ही होती है। गांव के लोग सब्जी उगाकर हर साल मोटी कमाई करते हैं। यही नहीं, इनकी आमदनी में हर साल बढ़ोतरी भी हो रही है। हिवरे बाजार गांव की प्रति व्यक्ति आय देश के शीर्ष 10 फीसदी ग्रामीण क्षेत्रों की औसत आय 890 रुपये प्रति माह की दोगुनी है। गांव के लोगों की औसत आय बीते 20 साल में 20 गुना से ज्‍यादा हो गई है। हिवरे गांव के लोगों की एकजुटता के कारण गरीबी खत्म हो गई। इससे लोगों ने शहरों की ओर पलायन करना बंद कर दिया। अब लोग हिवरे बाजार गांव में ही रुककर खेती करते हैं। गांव छोड़कर गए लोग भी अब लौट आए हैं।


सरपंच की अक्‍लमंदी ने बदल दी तस्‍वीर


हिवरे बाजार गांव के सरपंच पोपट राव पवार देश के उन चंद लोगों में गिने जाते हैं, जिनकी वजह से गांव की दशा-दिशा बदल गई। हिवरे बाजार गांव के आसपास के लोग भी उनसे सीख लेकर खेती में नए प्रयोग कर रहे हैं। इससे उनकी भी आमदनी में बढ़ोतरी हो रही है। बता दें कि 1970 के दशक में हिवरे बाजार गांव हिंद केसरी पहलवानों के लिए पहचाना जाता था। बाद में हालात बिगड़े और बदतर चले गए। लेकिन, अब फिर से हालात बदल गए हैं। सरपंच पोपट राव के मुताबिक, गांव के लोगों के लिए 7 सूत्र हैं। यहां के सूत्र और पंचायत के लिए रूपरेखा गांव के लोग ही तैयार करते हैं।


प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ में की तारीफ


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिवरे बाजार गांव की तारीफ कर चुके हैं। पीएम मोदी ने 24 अप्रैल 2020 को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में हिवरे बाजार गांव की तारीफ करते हुए कहा कि पानी का मूल्य वही जानते हैं, जिन्होंने इसकी कमी के कारण तकलीफ झेली है। ऐसी जगह पर पानी को लेकर संवेदनशीलता भी होती है। ऐसी जगहों के लोगों में कुछ बेहतर करने की इच्‍छा भी होती है। उन्‍होंने कहा कि महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के हिवरे बाजार ग्राम पंचायत ने पानी की समस्या से निपटने के लिए क्रॉपिंग पैटर्न को बदला। पानी ज्यादा उपयोग करने वाली फसलों को छोड़ने का फैसला किया।


गांव में मच्‍छर ढूंढने पर दिया जाता है इनाम


हिवरे बाजार गांव में करोड़पति तो दर्जनों हैं, लेकिन मच्छर एक भी नहीं मिलता है। सरपंच पोपट राव कहते हैं कि यहां मच्छर ढूंढने वाले को 400 रुपये इनाम दिया जाता है। उन्‍होंने बताया कि हमने गांव की तस्‍वीर बदलने के लिए एक एनजीओ के साथ मिलकर पांच साल की योजना बनाई थी। इसी के तहत गांव में कुएं खोदने, पेड़ लगाने और शौचालय बनाने का काम करना था। लोग इस कदर जुनून के साथ इस काम में जुटे कि पांच साल का काम महज दो साल में ही पूरा कर डाला था।