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UP Vidhan Sabha : इतिहास बन जाएगी 1928 में बनी यूपी की इमारत

UP Vidhan Sabha update : राजधानी लखनऊ को जल्द ही नए विधान भवन की सौगात मिलने वाली है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने नए विधानभवन के निर्माण का फैसला किया है...  

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UP Vidhan Sabha : इतिहास बन जाएगी 1928 में बनी यूपी की इमारत

HR Breaking News, Digital Desk- राजधानी लखनऊ में आने वाले समय में विधान भवन की तस्वीर बदली हुई होगी. अभी तक जो विधान भवन अहम प्रस्ताव, चर्चा, बजट, सदस्यों के शोर शराबे, हंगामे आदि का गवाह बनता आया है, वह सभी यहां ना होकर दूसरे स्थान पर होंगे. दरअसल प्रदेश को जल्द ही नए विधानसभा की सौगात मिलेगी. देश के नए संसद भवन (सेंट्रल विस्‍टा) की तर्ज पर इसका भव्य निर्माण कराया जाएगा।

18वीं विधानसभा का सत्र आयोजित करने का लक्ष्य-
सरकार का लक्ष्य है कि 18वीं विधानसभा के कम से कम एक सत्र का आयोजन नये भवन में हो. इसके लिए अब तेजी से काम शुरू होगा. नया विधान भवन ईको फ्रेंडली, भूकंपरोधी सहित कई आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा. इसकी डिजाइन बेहद खास होगी और भवन को इस तरह तैयार किया जाएगा कि पूरे देश में इसकी मिसाल दी जाए.

बजट में टोकन राशि की व्यवस्था-
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने इसकी घोषणा की. बजट सत्र को लेकर सदन की कार्यवाही स्थगित करने से पहले बताया गया कि सरकार ने नये भवन के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 के आम बजट में टोकन के तौर पर 50 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है.

जमीन को लेकर जल्द किया जाएगा निर्णय-
दरअसल मौजूदा विधान भवन काफी पुराना है. समय के मुताबिक बढ़ती जरूरतों के मुताबिक स्थान कम होने और आसपास बढ़ते यातायात के दबाव को देखते हुए सरकार ने नये भवन का निर्णय किया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसकी घोषणा पहले भी कर चुके हैं. बताया जा रहा है कि जल्द ही नये भवन के लिए स्थान चिह्नित कर लिया जाएगा. वर्ष 2027 के पहले नये भवन का निर्माण पूरा करने की कोशिश की जाएगी.

उत्तर प्रदेश विधान भवन का इतिहास-
लखनऊ को 1922 में इलाहाबाद की जगह राजधानी का दर्जा दे दिया गया. जब अंग्रेजों ने लखनऊ को राजधानी बनाने का फैसला किया तब इस इमारत की जरूरत महसूस हुई. तत्कालीन यूपी के गर्वनर स्पेंसर हारकोर्ट बटलर ने विधान भवन की नींव रखी थी. इस पूरी इमारत को बनाने में 21 लाख रुपये की लागत आई थी.

15 दिसंबर 1922 को इस भव्य इमारत का निर्माण शुरू किया गया था और सात साल में बनकर तैयार हो गई थी. 21 फरवरी 1928 में यह इमारत पूरी तरह बनकर तैयार हुई थी. पहले यह भवन काउंसिल हाउस के नाम से जाना जाता था लेकिन 1937 में जाकर इसका नाम तब्दील किया गया. इसका निर्माण कलकत्ता की मेसर्स मार्टिन एंड कंपनी द्वारा किया गया. मुख्य आर्किटेक्ट सर स्विनोन जैकब और हीरा सिंह थे.

विधान भवन की अहम बातें-
विधान भवन यूरोपियन और अवधी शैली का मिश्रण है. यह भवन अर्दचक्राकार में मुख्य रूप से दो मंजिलों में मीरजापुर चुनार के भूरे रंग के बलुआ पत्थरों के ब्लाक से निर्मित है.

अर्धचक्र के बीच में गौथिक शैली का गुंबद है, जिसके शीर्ष पर आकर्षक छतरी है. इस गुमंद के चारों ओर सजावट के तौर पर रोमन शैली में बड़े आकार की पत्थर की मूर्तियां बनी हुई है. भवन के बाहरी भाग के पोर्टिको के ऊपर संगमरमर से प्रदेश का राज्य चिन्ह अंकित है.

भवन के अंदर अनेक हाल और दीर्घाएं हैं. यह सभी जयपुर और आगरा से लाए गए पत्थरों से बनायी गयी हैं. ऊपर मंजिल पर जाने के लिए मुख्य द्वार पर दाहिने और बाएं सुंदर शैली में संगमरमर निर्मित गोलाकार सीढ़ियां बनी हैं. इन सीढ़ियों की दीवारों पर विशिष्ट प्रकार की पेन्टिंग बाद में करायी गयी है.

गुबंद के नीचे अष्टकोणीय चेंबर अर्थात मुख्य हाल बना है. इसकी वास्तुकला अत्यंत आकर्षक है. इसे पच्चीकारी शैली में बनाया गया है. हॉल की गुंबदीय आकार की छत में जालियां तथा नृत्य करते हुए आठ मोरों की सुंदर आकृतियां बनी हैं. इसी चेंबर में विधानभवन की बैठकें होती हैं. सदस्यों के लिए चेम्बर के दोनों तरफ एक-एक बड़ी लाबी है।

विधान परिषद की बैठकों और कार्यालयों कक्षों के लिए अलग चेंबर का प्रस्ताव जुलाई 1935 में हुआ. इसके निर्माण का काम मेसर्स फोर्ड एंड मैकडॉनाल्ड को सौंपा गया. मुख्य वास्तविद एएम मार्टीमर की देखरेख में इसके निर्माण का काम 1937 में पूरा हुआ. इसमें फिलहाल 100 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है.