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Gautam Adani : अब बिकने जा रहा है 23 साल पहले अडानी का भाग्य बदलने वाला ब्रांड, इसी से जुटाई थी दौलत

Gautam Adani : आपको बता दें कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद से ही गौतम अडानी और उनका अडानी ग्रुप परेशानियों में घिरा है. इन्हीं में से एक अडानी ग्रुप की लिस्टेड कंपनी अडानी विल्मर है, जो Fortune ब्रांड की मालिक है. इस कंपनी के शेयर प्राइस ऊपर आने का नाम ही नहीं ले रहे हैं...
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HR Breaking News, Digital Desk- 23 साल पहले यानी 21वीं सदी शुरुआत में कुछ ऐसा हुआ जिसने गौतम अडानी की किस्मत को पूरी तरह बदल दिया. कोर सेक्टर में काम करने वाला एक औद्योगिक घराना आम लोगों के घरों का हिस्सा बन गया. उस काम ने अडानी ग्रुप को एक ‘नेशनल ब्रांड’ और गौतम अडानी की पहचान ‘नेशनल एंटरप्रेन्योर’ के तौर पर करवाई.

ये सब हुआ Fortune ब्रांड की वजह से, जो आज भी देश में पैकेज्ड ऑयल का मार्केट लीडर है और एफएमसीजी सेक्टर के सबसे बड़े ब्रांड्स में से एक. गौतम अडानी का भाग्य बदलने वाला ये ब्रांड अब बिकने की कगार पर है.

जी हां, हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद से ही गौतम अडानी और उनका अडानी ग्रुप परेशानियों में घिरा है. इन्हीं में से एक अडानी ग्रुप की लिस्टेड कंपनी अडानी विल्मर है, जो Fortune ब्रांड की मालिक है. इस कंपनी के शेयर प्राइस ऊपर आने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. साल 2023 की शुरुआत से अब तक इसकी शेयर प्राइस वैल्ये 48.52% गिर चुकी है, जबकि इसके शेयर की वैल्यू बीते एक साल में 54.46% तक नीचे आ चुकी है.

ऐसे हुई Fortune की शुरुआत-

फॉर्च्यून कुकिंग ऑयल भारत में सन् 2000 में लॉन्च हुआ था. ये अडानी विल्मर का ब्रांड था, जो अडानी ग्रुप और सिंगापुर के विल्मर ग्रुप की 50-50 हिस्सेदारी वाली एक जॉइंट वेंचर कंपनी थी. मौजूदा समय में अडानी विल्मर में अडानी ग्रुप के पास 43.97 प्रतिशत हिस्सेदारी है. कंपनी इसे बेचने के लिए कई मल्टीनेशनल एफएमसीजी कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है.

भारत में जब फॉर्च्यून ब्रांड लॉन्च हुआ. तब कुकिंग ऑयल के 3 ही ब्रांड पॉपुलर होते थे. ये ब्रांड ‘स्वीकार’, ‘धारा’ और ‘जेमिनी’ थे. जबकि दो प्रीमियम ब्रांड ‘सनड्रॉप’ और ‘सफोला’ भी मौजूद थे. फॉर्च्यून ने खुद को एक मिड-रेंज ब्रांड के तौर पर स्थापित करना शुरू किया, जिसने अफॉर्डेबल कीमत में अच्छी क्वालिटी के तेल का दावा किया. वहीं लोगों को बताया कि उसका तेल सामान्य ऑयल के मुकाबले काफी लाइट है. इसलिए कंपनी ने अपनी टैगलाइन भी ‘थोड़ा और चलेगा’ रखी.

Fortune बना घर-घर की पहचान-

भारत जैसे प्राइस सेंसिटिव मार्केट में फॉर्च्यून ने पहले तो खुद को काफी प्राइस कॉम्पिटीटिव रखा. साथ ही कंपनी ने अपने बिजनेस को ‘सोयाबीन ऑयल’ पर फोकस रखा. उस समय अधिकतर पैकेज्ड ऑयल कंपनियां सनफ्लॉवर ऑयल को बेचने पर फोकस करती थी, लेकिन अडानी ग्रुप ने सोयाबीन तेल पर ही ध्णन दिया. इससे उसे मार्केट बेस बड़ा करने में मदद मिली और उसकी लागत कम हुई.

इसके अलावा कंपनी ने कई साल तक मार्केट में एग्रेसिव कैंपेनिंग की. इसका फायदा उसे मार्केट शेयर बढ़ाने में मिला. इतना ही नहीं अडानी ग्रुप पोर्ट बिजनेस में पहले से था. ऐसे में पोर्ट के पास ऑयल रिफाइनरी होने, साथ ही प्रोडक्शन को आउट सोर्स ना करके उसने लागत में बड़ी बचत की. नई टेक्नोलॉजी को लाने से ऑयल की अजीब स्मैल को दूर करने में उससे मदद मिली और इसका फायदा ये हुआ की फॉर्च्यून देखते ही देखते देश का नंबर-1 कुकिंग ऑयल ब्रांड बन गया.

फॉर्च्यून ने एक और काम किया. उसने लगातार अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को बढ़ाया. पहले सोयाबीन तेल, फिर सूरजमुखी, सरसों, मूंगफली और कॉटनसीड तेल को सेम ब्रांड नाम से लॉन्च किया. इसके चलते उसे देश में अलग-अलग राज्यों की ऑयल च्वॉइस को पूरा करने और नेशनल ब्रांड बनने में मदद मिली.

जब Fortune को मुंह की खानी पड़ी-

फॉर्च्यून ने देश में सबसे ज्यादा बिकने वाले नारियल तेल ब्रांड ‘पैराशूट’ को टक्कर देने का प्लान बनाया. उसने ‘Fortune Naturelle’ की शुरुआत की. कंपनी को इस सेगमेंट में 8-10 प्रतिशत मार्केट हिस्सेदारी हासिल होने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. अब ये कंपनी की पूरी फॉर्च्यून रेंज से ही बाहर हो चुका है.

वहीं बाद में कंपनी ने ‘लाइटर’ कुकिंग ऑयल Fortune Plus की रेंज भी लॉन्च की. लेकिन इसे भी खास सक्सेस नहीं मिली, उल्टा ये कंपनी के ओरिजिनल ब्रांड नेम ‘फॉर्च्यून’ के लिए परेशानी बन गया. आज फॉर्च्यून ब्रांड ऑयल से आगे बढ़कर आटा, चावल, दाल, बेसन इत्यादि कैटेगरी में भी मौजूद है.