home page

IAS Success Story : 16 फ्रैक्चर और 8 बार सर्जरी होने पर भी नहीं मानी हार, आखिर कार बन गई IAS अफसर

Success Story : उम्मुल खेर (Ummul Kher) के लिए यूपीएससी की तैयारी करना बिल्कुल आसान नहीं था, क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक हालत बहुत ज्यादा खराब थी. इस वजह से उम्मुल ने बहुत छोटी उम्र में ही ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया. ट्यूशन पढ़ाकर जो भी पैसे आते, उससे वह अपने स्कूल की फीस दिया करती थीं. उन्होंने 10वीं क्लास में 91 परसेंट और फिर 12वीं क्लास में 89 परसेंट अंक हासिल किए थे।

 | 

HR Breaking News, Digital Desk - यूपीएससी की परीक्षा के बारे में कहा जाता है कि सच्ची लगन और कड़ी मेहनत के साथ इस परीक्षा की तैयारी की जाए तो सफलता जरूर हासिल होती है. इस कथन की सबसे बड़ी उदाहरण बंद कर सामने आई हैं 2017 में आईएएस बनी उम्मुल खेर. IAS अफसर उम्मुल खेर की कहानी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणादायक है. आइए उनके आईएएस बनने के सफर पर एक नजर डालते हैं.
उम्मुल बचपन से ही निःशक्त (Disable) थीं, लेकिन उन्होंने कभी भी इसे अपनी सफलता (Success) में रुकावट नहीं बनने दिया और यूपीएससी परीक्षा (UPSC Exam) पास कर पहले ही प्रयास में आईएएस ऑफिसर (IAS Officer) बनीं. आइये जानते हैं कि क्या रही उम्मुल के संघर्ष की कहानी.


उम्मुल खेर (Ummul Kher) बोन फ्रेजाइल डिसऑर्डर नाम की खतरनाक बीमारी से पीड़ित हैं, जिसके चलते शरीर की हड्डिया कमजोर हो जाती हैं. बोन फ्रेजाइल डिसऑर्डर (Bone Fragile Disorder) की वजह से कई बार उनकी हड्डियां टूट भी जाती थीं. उन्होंने अपनी लाइफ में इस बीमारी की वजह से अभी तक कुल 16 फ्रैक्चर और 8 सर्जरियों को झेला है।


उम्मुल खेर का जन्म राजस्थान के पाली मारवाड़ में एक गरीब परिवार में हुआ था. परिवार में तीन भाई-बहन और मां-पापा थे. जब उम्मुल बहुत छोटी थीं तब उनके पिता गुजर-बसर के लिए दिल्ली आ गए थे और उनका परिवार निजामुद्दीन इलाके में स्थित झुग्गी झोपड़ी में रहने लगा. उनके पिता रेहड़ी लगाकर कपड़े बेचा करते थे, लेकिन कमाई इतनी नहीं होती थी. एक समय तो उम्मुल के परिवार के सामने बड़ी मुसीबत आ गई, जब सरकारी आदेश के बाद निजामुद्दीन की झुग्गियों को तोड़ दिया गया और फिर उनका परिवार त्रिलोकपुरी की झुग्गियों में शिफ्ट हो गया।

उम्मुल खेर (Ummul Kher) के लिए यूपीएससी की तैयारी करना बिल्कुल आसान नहीं था, क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक हालत बहुत ज्यादा खराब थी. इस वजह से उम्मुल ने बहुत छोटी उम्र में ही ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया. ट्यूशन पढ़ाकर जो भी पैसे आते, उससे वह अपने स्कूल की फीस दिया करती थीं. उन्होंने 10वीं क्लास में 91 परसेंट और फिर 12वीं क्लास में 89 परसेंट अंक हासिल किए थे।


दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद उम्मुल ने जेएनयू के इंटरनेशनल स्टडीज स्कूल से एमए किया और फिर इसी यूनिवर्सिटी में एमफिल/पीएचडी कोर्स में एडमिशन ले लिया. इसके साथ ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी भी शुरू कर दी. आज उम्मुल के संघर्ष की कहानी उन जैसे हजारों लोगों के लिए के लिए प्रेरणा है।