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Success Story : दादी की उम्र में शुरू किया बिजनेस, अब है करोड़ों का टर्नओवर, कई लोगों को दी रहीं रोजगार

Success Story in hindi : बिजनेस करने के लिए सिर्फ पैसा ही नही बल्कि कड़ी मेहनत की भी जरूरत होती है, ऐसे में हम आपको एक सफल बिजनेसमैन नवलबेन चौधरी के बारे में बताने जा रहे है जिसने 62 साल की उम्र में शुरू किया बिजनेस और आज है करोड़ों का टर्नओवर।

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Success Story : दादी की उम्र में शुरू किया बिजनेस, अब है करोड़ों का टर्नओवर, कई लोगों को दी रहीं रोजगार

HR Breaking News (नई दिल्ली)। बिजनेस में सफल (successful in business) होने के लिए जरूरी नहीं है कि व्यक्ति बहुत पढ़ा-लिखा हो, क्योंकि यहां आपके आइडिया की वैल्यू है. देश में ऐसे कई बिजनेसमैन रहे हैं जिन्होंने ज्यादा पढ़ाई नहीं की, कुछ ने तो स्कूल का मुंह तक नहीं देखा फिर भी बिजनेस में बुलंदियों तक पहुंचे हैं. इसी लिस्ट में नाम आता है एक महिला उद्यमी का, जिसने छोटे-से गांव में रहने के बावजूद अपने दम पर लाखों का कारोबार खड़ा कर लिया. हैरानी की बात है कि यह महिला उद्यमी कभी स्कूल तक नहीं गई.

गुजरात से आने वाली नवलबेन चौधरी(Navalben Chaudhary), एक ऐसी महिला हैं जो अपनी व्यावसायिक सूझबूझ से प्रति वर्ष लाखों रुपये कमाती हैं. रिटायरमेंट की उम्र(retirement age) के बाद भी नवलबेन एक प्रॉफिटेबल फर्म चला रही हैं और कई लोगों को रोजगार भी दे रही हैं.
 

 

 

62 साल की उम्र में शुरू किया बिजनेस


गुजरात के बनासकांठा जिले की नवलबेन ने 62 साल की उम्र में दूध बेचने का व्यवसाय शुरू किया. हैरानी की बात है कि यह वह उम्र है जब लोग रिटायरमेंट लेकर काम करना छोड़ देते हैं, लेकिन नवलबेन अपने दूध के व्यवसाय(milk business) से प्रति माह लाखों रुपये कमा रही हैं.

 

 

सालाना 1 करोड़ रुपये की सेल


हालांकि, बनासकांठा जिले के नगला गांव की रहने वाली नवलबेन के लिए डेयरी उद्योग की शुरुआत (Beginning of dairy industry) करना इतना आसान नहीं था. लेकिन तमाम चुनौतियों से पार पाते हुए उन्होंने यह कर दिखाया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नवलबेन ने साल 2020 और 2021 में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा का दूध बेचा. इससे वह महीने में 3.5 लाख रुपये से ज्यादा कमा रही हैं.


नवलबेन पिछले 5 साल से यह बिजनेस चला रही हैं और सालाना 1 करोड़ रुपये से ज्यादा का दूध बेच रही हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 2021 में नवलबेन में 45 गाय और 80 से अधिक भैंसे मौजूद थीं, जो आसपास के कई गांवों की दूध की जरूरतों को पूरा करती थीं.

गुजरात में नवलबेन ने अपनी उपलब्धियों के चलते जिले में 3 बार सर्वश्रेष्ठ ‘पशुपालक’ पुरस्कार जीता. इसके अलावा, उन्हें 3 बार “लक्ष्मी” पुरस्कार भी मिल चुका है.