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Success Story : एक घटना में चला गया हाथ, फिर भी नहीं मानी हार, IAS बनकर पेश की मिसाल

 IAS Success Story : आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से आईएएस अखिला बीएस के बारे में बताने जा रहे है, 11 सितंबर 2000 को एक बस दुर्घटना में अखिला बीएस में बुरी तरह से घायल हो गई थीं। इस दुर्घटना में उन्होंने अपना दाहिना हाथ खो दिया था। उन्हें ठीक करने के लिए जर्मनी के विशेषज्ञों से भी बातचीत की गई थी, लेकिन उन्हें ठीक नहीं किया जा सका। फिर भी हार न मानकर कड़ी मेहनत से हासिल की आईएएस की कुर्सी....

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HR Breaking News, Digital Desk - यूपीएससी को भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। इस परीक्षा को पास करने के लिए कड़ी मेहनत और लगन की जरूरत होती है। इसी कड़ी मेहनत के दम पर हाई स्कूल के पूर्व प्रिंसिपल की बेटी ने यूपीएससी की परीक्षा(upsc exam) पास कर आईएएस बनी।
आईएएस अखिला बीएस (IAS Akhila BS) ने यूपीएससी के लिए अपनी दिव्यांगता को अपनी सफलता के आड़े नहीं आने दिया। दरअसल, आईएएस अखिला ने एक दुर्घटना में अपना दाहिना हाथ खो दिया था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास कर समाज के लिए एक प्रेरणा बनकर उभरीं।

 

दुर्घटना में खोया दाहिना हाथ


आईएएस अखिला बीएस 11 सितंबर 2000 को एक बस दुर्घटना में बुरी तरह से घायल हो गई थीं। इस दुर्घटना में उन्होंने अपना दाहिना हाथ खो दिया था। उन्हें ठीक करने के लिए जर्मनी के विशेषज्ञों से भी बातचीत की गई थी, लेकिन उन्हें ठीक नहीं किया जा सका।

आखिला इस दुर्घटना के बाद भी हार नहीं मानी। उन्होंने अपने दूसरे हाथ से लिखना शुरू किया और अपनी जिंदगी को वापस से पटरी पर लेकर आईं। इसी दिव्यांगता को उन्होंने अपना हथियार बनाकर यूपीएससी की परीक्षा पास की।


पास की यूपीएससी


अखिला बीएस पढ़ाई में काफी होशियार थीं। उन्होंने बोर्ड परीक्षा सर्वोच्च ग्रेड के साथ पास की। आईआईटी मद्रास से इंटीग्रेटेड एमए की डिग्री हासिल करने के बाद वह 2019 में यूपीएससी की तैयारी में जुट गईं। यूपीएससी के पहले दो प्रयासों में उन्होंने प्रीलिम्स परीक्षा पास की, लेकिन मेन्स पास नहीं कर पाई थीं।

2020 और 2021 में दो बार लगातार फेल होने के बावजूद उन्होंने 2022 में एक बार फिर यूपीएससी की परीक्षा दी। इस बार अखिला ने 760वीं रैंक के साथ आईएएस बन गईं। एक इंटरव्यू में आईएएस अखिला ने बताया कि उन्हें आईएएस का सपना उनके शिक्षक ने दिखाया था। इसकी तैयारी के लिए उन्होंने एक साल तक बेंगलूरू में कोचिंग भी ली थी।
 

परिवार ने किया सपोर्ट


आईएएस अखिला ने बताया कि उनके इस सफर में उनके माता-पिता और परिवार ने बहुत सपोर्ट किया है। उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य केवल आईआईएस बनना था। परीक्षा के दौरान लगातार लिखना अखिला के लिए एक बड़ी चुनौती थी। इन चुनौतियों को पार करते हुए अखिला ने अपने सपनों को पूरा किया।