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Success Story : बचपन में नही था IAS का मतलब भी पता, जब जाना तो हुई आईएएस बनने की धुन सवार

Success Story Of Nitishwar Kumar : जब किसी चीज की धुन सवार हो जाए तो व्यक्ति उसे हासिल करने के लिए क्या कुछ नही कर गुजरता, ऐसा ही एक उदाहरण स्थापित किया है नीतीश्‍वर कुमार ने। बचपन में उन्हे आईएएस का मतलब भी नही पता था लेकिन जब उन्हे इस पद के महत्व बारे मे पता चला तो उन्होने आइएएस बनने की ठान ली। और सफलता हासिल कर ही दम लिया। आइए जानते है इनकी सफलता का सफर...

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HR Breaking News (ब्यूरो) : आमतौर पर  बचपन में हर बच्चे से कहा जाता है कि अगर वे अच्छे से पढ़ाई करेंगे तो बड़े होकर कलेक्टर, पुलिस या डॉक्टर बन सकते हैं. मासूम बच्चों को तो इन पदों की अहमियत भी ठीक से पता नहीं होती, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्य की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने बचपन में ही आईएएस बनने का सपना देखा और उसे पूरा किया. हर हाल में कुछ बेहतर कर गुजरने का जुनून आपको मंजिल तक पहुंचा ही देगा, यह आईएएस अधिकारी नीतीश्‍वर कुमार (IAS Nitishwar Kumar) की यह कहानी आपको यही सीख देती है...

नीतीश्‍वर (IAS Nitishwar Kumar) ने 7वीं कक्षा में पहली बार जनरल स्टडी के सब्जेक्ट में आईएएस शब्‍द सुना, जिसका शिक्षक ने फुलफॉर्म भारतीय प्रशासनिक सेवा बताया. घर आकर नीतीश्वर ने अपने पिता से इसका मतलब पूछा, "ये आईएएस क्या होता है?" उन्होंने बेटे को बताया कि जिले में जो कलेक्टर होता है, वह आईएएस होता है. जब उन्होंने इस पद की गरिमा को समझा तो बस यहीं से उन पर आईएएस बनने की ऐसी धुन सवार हुई कि यह शब्‍द उनके लिए एक जुनून और कलेक्‍टर बनना उनका सपना (IAS success story) बन गया. इस तरह नीतीश्‍वर ने 1996 में आईएएस बनकर अपनी मंजिल हासिल कर ही ली. 


घर वालों का सपना था कि बेटा इंजीनियरिंग करें


नीतीश्‍वर कुमार (Nitishwar Kumar) का बिहार के बेतिया के रहने वाले हैं. उनके पिता पोस्‍ट ऑफिस में काम करते थे. नीतीश्‍वर ने 10वीं तक की पढ़ाई ख्रिस्त राजा हाईस्कूल से की. आगे की पढ़ाई के लिए साइंस कॉलेज पटना चले गए, जहां उन्होंने साइंस से 12वीं की पढ़ाई की. उनके घर वाले चाहते थे कि नीतीश्वर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करें, लेकिन उन्‍होंने ऐसा नहीं किया. इस तरह वह आगे की पढ़ाई करने दिल्‍ली आ गए.


दिल्ली में खूब लिए कॉलेज लाइफ के मजे


नीतीश्‍वर कुमार ने दिल्‍ली के रामजस कॉलेज में बीए इकोनॉमी ऑनर्स से पढ़ाई की. इस दौरान वह क्‍लासिकल कंसर्ट, म्‍यूजिक थियेटर आदि में भी हिस्सा लेने लगे, बचपन में म्यूजिक सीखने की बात पर उन्हें पिता से उन्‍हें डांट पड़ी थी. तब से मन में दबी इच्‍छा दिल्ली आकर पूरा करने का मौका मिला. इसके बाद उन्‍होंने दिल्‍ली स्‍कूल ऑफ इकोनॉमिक्‍स से मास्‍टर्स की पढ़ाई की और इस दौरान सिविल सेवा की तैयारी (Nitishwar Kumar success story in hindi) भी करने लगे.


सिर्फ कुछ नंबरों से रह गया मेंस


इसी बीच उन्हें आईआईएमटी गाजियाबाद (IIMT Ghaziabad) में पढ़ाने का मौका भी मिला. उस समय  वह करीब 18,000 रुपये सैलरी के तौर पर पाते थे, जिससे अब घरवालों से पैसे नहीं लेने पड़ते थे. उन्होंने दिसंबर 1992 में यूपीएससी का फॉर्म भरा और पहली ही बार में प्री निकाल लिया, लेकिन मेंस में कुछ नंबर्स से सिलेक्शन नहीं हुआ. नीतीश्वर को निराशा तो हुई, लेकिन उन्होंने 20 हजार महीने की जॉब छोड़ने का फैसला लिया. दरअसल, कॉलेज में पढ़ाने के कारण वह पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पा रहे थे.

पहले निकाला आईईएस फिर आईएएस का एग्जाम 


उनका तीन से चार महीने की अथक मेहनत के चलते साल 1995 में यूपीएससी परीक्षा (upsc exam) में इंडियन इकोनॉमिक सर्विसेज के लिए  सिलेक्शन गया, लेकिन वह आईएएस बनना चाहते थे. उनकी जॉइनिंग के लिए अभी समय था तो उन्होंने फिर यूपीएससी प्री परीक्षा दी और जॉइनिंग के बाद मेंस. साल 1996 में आईईएस की ट्रेनिंग के लिए मुंबई गए थे. इसी दौरान उनका यूपीएससी का रिजल्ट आ गया. 

ऐसे पता चला अपना रिजल्ट 


आईएएस नीतीश्वर कुमार (IAS Nitishwar Kumar) ने बताया, " पीसीओ से दिल्ली के हॉस्टल में रह रहे दोस्तों को फोन किया गया. जब गार्ड ने दोस्तों से बात कराई आवाज आई,रिजल्ट आ गया, आईएएस हो गए हो, ऑल इंडिया रैंक 36 हैं. मुझे यह जानकर बेहद खुशी हुई" 


आईएएस नीतीश्वर कुमार कहते हैं, "उसी समय घर पर फोन किया, लेकिन किसी ने उठाया नहीं, जिसके बाद पड़ोसी के नंबर पर फोन किया और उन्हें यह मैसेज देने को कहा कि कि माताजी को बता दीजिएगा कि मैं कलेक्टर हो गया." 

नीतीश्वर कुमार 1996 बैच के यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी (IAS officer) हैं. उनकी पहली पोस्टिंग आजमगढ़ में बतौर एसडीएम हुई थी. वर्तमान में वह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार के रूप में तैनात हैं.