Success Story: यूपी की बेटी ने लंदन में की पढ़ाई, MBA के बाद छोड़ा लाखों का पैकेज, अब इस खेती से कमा रही लाखों
HR Breaking News, Digital Desk- Success Story: यूपी की एक लड़की ने लंदन में पढ़ाई करने का बाद देश आकर इजराइल तकनीक के जरिए हाइड्रोपोनिक फार्मिंग (Hydroponic Farming) करके लाखों रुपये कमा रही हैं. दरअसल, कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली नकदी फसलों की तरफ नई पीढ़ी का लगाव बढ़ रहा है. इसी कड़ी में इटावा जिले के फूफई गांव की रहने वाली 25 वर्षीय पूर्वी मिश्रा (Poorvi Mishra) की चर्चा इन दिनों सफल किसान के तौर पर होने लगी है. पढ़िए पूर्वी मिश्रा की पूरी सक्सेस स्टोरी..
डिजिटल प्लेटफॉर्म से बातचीत में पूर्वी मिश्रा ने बताया कि साल 2012 में लंदन (यूके) से एमबीए करने के बाद हीरो कंपनी की मार्केटिंग का काम संभाला था. कोरोना कॉल में जब लॉकडाउन लगा तो सभी व्यापार प्रभावित हुए. तभी मेरे दिमाग में यह हाइड्रोपोनिक फार्मिंग का आइडिया आया.
इसके बाद वह अपने घर अपने गांव फूफई आ गई थीं. यहीं पर कुछ नया करने की ठानी और उन्होंने अपनी पढ़ाई का सही उपयोग अपने गांव में किया. पूर्वी ने बताया कि स्वास्थ्य और पोषण दोनों का महत्व जन-जन ने समझा. उसी समय मैंने हाइड्रोपोनिक खेती करने का मन बना लिया था. इसके लिए अपने गांव में ऑटोमेटिक फार्म बैक टू रूट्स तैयार किया और बिना मिट्टी वाली खेती करने लगी.
बिना मिट्टी वाली इजराइल तकनीक से खेती-
पूर्वी ने बताया कि मेरा एक फार्महाउस इटावा शहर में हैं, जहां हाइड्रोपोनिक तरीके से 5 हजार स्क्वायर फीट में मौसमी सब्जियां उगाई जाती हैं. कई सब्जियां तो ऐसी हैं जो विदेशी हैं और विशेष मौसम में ही उगाई जा सकती हैं. इसकी सबसे खास बात ये हैं कि इन सब्जियों को उगाने में मिट्टी, खाद और केमिकल का किसी भी तरह का प्रयोग नहीं किया जा रहा है.
MBA के बाद छोड़ा लाखों का पैकेज-
बता दें कि जहां एक तरफ घाटे का सौदा बन चुकी खेती से युवाओं का मोह भंग हो रहा है. वहीं विदेश से एमबीए और बीटेक डिग्री हासिल करने वाली पूर्वी मिश्रा ने लाखों का पैकेज छोड़कर अपने गांव में नई तकनीक के माध्यम से हाईटेक खेती कर रही हैं.
उन्होंने बताया कि इन्हें केवल बैक्टीरिया रहित आरओ वाटर से तैयार किया जाता है. इन सब्जियों में सलेट्यूस में रोमानी, बटर हेड, ग्रीक ओक, रेड ओक, लोकरसि, बोक चॉय, बेसिल, ब्रोकली, रेड कैप्सिकम, येलो कैप्सिकम, चेरी टोमाटो, सहित कई और विदेशी सब्जियां शामिल हैं. वहीं हरी पत्तियों की सब्जियों में पालक,मेथी, धनियां, गोभी, बंद गोभी सहित कई मौसमी सब्जियों को उगाया जाता है. पूर्वी बताती हैं कि इस खेती में मिट्टी का कोई प्रयोग नहीं होता और केवल पानी और नारियल का स्क्रैप प्रयोग होता है. इसको लोग सॉइलेस फॉर्मिंग भी बोलते हैं. इसमें एनएफटी टेबल लगाई गई है जिसमें पानी का फ्लो होता है. फिर वह पानी वापस जाकर दोबारा से रीसायकल होता है. इस तकनीक से उगने वाली सब्जियों का सेवन करने से इम्युनिटी भी मजबूत होती है.
इटावा में खेती ही सबसे बड़ा रोजगार है. यहां आलू की पैदावार भी अधिक होती है. साथ ही गेहूं, धान, सरसों की भी अच्छी पैदावार होती है. जिले में कई किसान ऐसे हैं, जो पॉलीहाउस में वैज्ञानिक विधि से विभिन्न प्रकार की खेती कर रहे हैं. पूर्वी मिश्रा ने बताया कि हाइड्रोपोनिक पद्धति की खेती कर जो सब्जियां उगती हैं. उसमें और आम सब्जियों में काफी अंतर होता है. इन ऑर्गेनिक सब्जियों की मार्केट में अच्छी डिमांड है. मार्केटिंग से इन सब्जियों की अच्छी डिमांड होने लगी है और अब धीरे- धीरे मुनाफा हो रहा है.
हरी पत्तेदार सब्जियों के कई फायदे-
वह आगे बताती हैं कि उनकी सब्जियां रेस्टोरेंट और होटल में सप्लाई हो रही हैं. पास के शहर आगरा और कानपुर में भी इसकी सप्लाई होती है. इससे उन्हें ठीक-ठाक मुनाफा हो रहा है. धीरे-धीरे वह इसे और बड़े स्तर पर बढ़ाने की कोशिश में हैं. पूर्वी मिश्रा ने बताया कि हरी पत्तेदार सब्जियों में मौजूद मिनरल्स, विटामिन व अन्य पोषक तत्व मिलते हैं. इससे शरीर में फायबर भी जाता है और वसा भी कम होती है.
इन सब्जी में फायबर प्रचूर मात्रा में पाया जाता है. हरी सब्जी जैसे पालक, मैथी, ब्रोकली, सरसों, अजवाइन के पत्ते, मूली के पत्ते, गाजर के पत्ते, सहजन के फली, फूल व पत्ते, बथुआ, चोलई, सुआ को आहार में शामिल करें. हरी पत्तेदार सब्जी को कई तरह से का सकते हैं. उन्होंने कहा कि मेरा उद्देश्य महिला किसान के रूप में जिले के लोगों को स्वास्थ्यवर्धक फल और सब्जियां सस्ते दामों पर घर बैठे उपलब्ध कराना है.