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बसंत पंचमी पर बन रहे ये 4 शुभ योग बना देंगे आपकी जिंदगी, आज कर लें ये उपाय

माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन 4 शुभ योग बन रहे हैं जो आपके जीवन के लिए फलदायी हो सकते हैं। 
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बसंत पंचमी पर बन रहे ये 4 शुभ योग बना देंगे आपकी जिंदगी, आज कर लें ये उपाय

HR Breaking News (ब्यूरो) : हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी 26 जनवरी 2023 को वसंत पंचमी को यह पर्व मनाया जाएगा। इस दिन विद्या, वाणी और कला की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में सरस्वती पूजा के दिन बच्चों की शिक्षा या अक्षर ज्ञान शुरू करने की परंपरा है। बसंत पंचमी 2022 पर सरस्वती पूजा क्यों की जाती है इसके पीछे एक पौराणिक मान्यता भी है। इस साल सरस्वती पूजा कब है? जानिए पूजा का समय और महत्व…


वसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त


माघ शुक्ल पंचमी तिथि 25 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से 26 जनवरी को सुबह 10 बजकर 28 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि होने के कारण वसंत पंचमी का पर्व 26 जनवरी दिन गुरुवार को ही मनाया जाएगा। इस दिन सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।


वसंत पंचमी पर करें पूजा


वसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ पीले या सफेद वस्त्र धारण करें. उसके बाद सरस्वती पूजा का संकल्प लें।

पूजा स्थान में सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर लगानी चाहिए। मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराकर पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन या पीला रोल, पीला गुलाल, धूप, दीप, गंध अर्पित करें। मां सरस्वती को गेंदे के फूलों की माला।

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मां को पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए. इसके बाद सरस्वती वंदना और मंत्र के साथ मां सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। आप चाहें तो पूजा के दौरान सरस्वती कवच ​​का पाठ भी कर सकते हैं।


अंत में हवन कुंड बनाकर हवन साहित्य तैयार करें और “ॐ श्री सारस्वत्याय नमः स्वाहा” मंत्र का जाप करते हुए हवन करें। फिर मां सरस्वती की आरती करनी चाहिए।


वसंत पंचमी के शुभ योग


शिव योग- इस साल बसंत पंचमी से शिव योग की शुरुआत होगी। दरअसल 25 जनवरी को शाम 06:15 बजे से अगले दिन 26 जनवरी को दोपहर 03:29 बजे तक शिवयोग रहेगा।

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सिद्ध योग- वसंत पंचमी के दिन शिव योग समाप्त होते ही सिद्ध योग शुरू हो जाएगा। सिद्ध योग 26 जनवरी को दोपहर 03 बजकर 29 मिनट से अगले दिन 27 जनवरी को दोपहर 01 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।

सर्वार्थ सिद्धि योग- वसंत पंचमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग अगले दिन यानी 27 जनवरी को शाम 06:57 बजे से सुबह 07:12 बजे तक रहेगा।
रवि योग– वसंत पंचमी पर रवि योग भी बन रहा है। इस दिन रवि योग शाम 06 बजकर 57 मिनट से अगले दिन सुबह 07 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।

वसंत पंचमी पर क्या करें?


वसंत पंचमी के पर्व पर पीले और सफेद वस्त्र धारण करें। मां सरस्वती को पीले और सफेद फूल अर्पित करें। चमेली का फूल विशेष रूप से देवी सरस्वती को अर्पित करें। इस दिन विद्यार्थियों को रोते हुए पुस्तकों की पूजा करनी चाहिए। यदि आप नृत्य करते हैं या कला के किसी भी रूप में शामिल हैं, तो इस दिन देवी सरस्वती के साथ अपने वाद्य यंत्र की पूजा करें।


वसंत पंचमी पर क्या न करें?


वसंत पंचमी के दिन काले, लाल या गहरे रंग के वस्त्र न पहनें। किसी के बारे में बुरा मत बोलो। माना जाता है कि इस दिन देवी सरस्वती आपके कंठ पर विराजमान होती हैं। तो आपने जो कहा वह सच हो सकता है। इसलिए किसी के लिए अपमान या गलत शब्दों का प्रयोग न करें। साथ ही मांस और शराब के सेवन से भी परहेज करें। इस दिन विद्यार्थी मां सरस्वती के समक्ष यह संकल्प लेते हैं कि वे पूरे वर्ष कठिन अध्ययन करेंगे।

वसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा करने की विधि

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वसंत पंचमी के दिन पीले, बसंती या सफेद वस्त्र धारण करें। काले या लाल रंग के वस्त्र न पहनें। पूजा की शुरुआत पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करें। इस कार्य के लिए सूर्योदय के ढाई घंटे बाद या सूर्यास्त के ढाई घंटे बाद का उपयोग करें। मां सरस्वती को सफेद चंदन, पीले और सफेद फूल अर्पित करें। प्रसाद में शक्कर, दही का भोग लगाना चाहिए। केसर मिश्रित खीर का भोग लगाना श्रेष्ठ माना गया है। पूजा के दौरान “ॐ ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नम:” मंत्र का जाप करें।


वसंत पंचमी पर हम सरस्वती की पूजा क्यों करते हैं?


मान्यता है कि माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी वसंत पंचमी को ज्ञान और वाणी की देवी सरस्वती भगवान ब्रह्मा के मुख से अवतरित हुई थीं। यह दिन देवी सरस्वती (सरस्वती पूजा महत्व) की पूजा के लिए समर्पित है। इसके लिए हर साल वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजन किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वसंत पंचमी के दिन पूजा करने से मां सरस्वती शीघ्र प्रसन्न होती हैं।