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Bhandashah Jain Temple : 40 हजार किलो घी के इस्तेमाल से बनाया गया था ये मंदिर, वजह जान उड़ जाएंगे होश

Bhandashah Jain Temple: आपको बता दें कि भारत में एक ऐसा मंदिर भी हैं जिसके निर्माण में पानी का इस्तेमाल नहीं किया गया बल्कि 40 हजार किलो घी मिलाया गया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस ऐतिहासिक मंदिर को देखने के लिए आज भी हजारों की संख्या में लोग आते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...
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Bhandashah Jain Temple : 40 हजार किलो घी के इस्तेमाल से बनाया गया था ये मंदिर, वजह जान उड़ जाएंगे होश

HR Breaking News (नई दिल्ली)। Bhandashah Jain Temple: आमतौर पर जब किसी जगह पर कोई निर्माण कार्य होता है तो वहां पहले नींव भरी जाती है. पत्थर कंक्रीट मिश्रण वगैरह डालकर पानी मिलाकर नींव भरने का कार्य पूरा किया जाता है. लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर है जिसकी नींव में पानी नहीं मिलाया गया. बल्कि चालीस हजार किलोग्राम घी का इस्तेमाल हुआ. इस ऐतिहासिक मंदिर को देखने के लिए हर साल हजारों की संख्या में लोग आते हैं. भारत से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग इस मंदिर को देखने आते हैं. 

40 हजार किलो घी हुआ इस्तेमाल -
राजस्थान के बीकानेर में भांडाशाह जैन मंदिर काफी प्रसिद्ध है. इस मंदिर की सबसे खास बात जो है वह है इसकी नींव से जुड़ा हुआ इसका किस्सा. बताया जाता है कि इस मंदिर की नींव भरने के लिए लगभग 40 हजार किलोग्राम घी का इस्तेमाल हुआ था. इस मंदिर को देखने के लिए रोजाना बड़ी मात्रा में भारत के अन्य जगहों से पर्यटक आते हैं. इस मंदिर की भव्यता को देखने के बाद यहां आने वाले पर्यटक तस्वीर खींचे बिना नहीं रह पाते. इसके साथ ही विदेशों से भी इस मंदिर को देखने के लिए लोगों का सिलसिला लगा रहता है.

500 साल पुराना है -
इस मंदिर का इतिहास करीब 5 शताब्दी पुराना बताया जाता है. 1468 में भांडा शाह नाम के व्यापारी ने इसे बनवाना शुरू किया था. भांडा शाह के गुजर जाने के बाद बचे हुए मंदिर का निर्माण उनकी पुत्री ने 1541 में पूरा करवाया. भांडाशाह जैन द्वारा निर्माण करवाने के चलते इसका नाम भांडाशाह पड़ गया. 

इस मंदिर का इतिहास करीब 5 शताब्दी पुराना बताया जाता है. 1468 में भांडा शाह नाम के व्यापारी ने इसे बनवाना शुरू किया था. भांडा शाह के गुजर जाने के बाद बचे हुए मंदिर का निर्माण उनकी पुत्री ने 1541 में पूरा करवाया. भांडा शाह जैन द्वारा निर्माण करवाने के चलते इसका नाम भांडाशाह पड़ गया. 
 

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