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लोन लेते वक्त अपनाएं ये फॉर्मूला, EMI नहीं बनेगी बोझ

EMI Tricks : लोन की ईएमआई (Loan EMI) अक्सर लोग पर भारी बोझ बन जाती है। ईएमआई भरने के दबाव में लोग सेविंग भी नहीं कर पाते हैं। लेकिन आज हम आपको अपनी इस खबर में लोन लेने के कुछ फॉर्मूले के बारे में बताने जा रहे है जिनसे आपका ईएमआई भरना आसान हो जाएगा। आइए खबर में जानते है इसके बारे में पूरी जानकारी।
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HR Breaking News (ब्यूरो) : ये तो आप जानते ही है कि कार, दुकान और मकान बैंक सभी के लिए लोन मुहैया कराते हैं। लोन के लिए क्रेडिट स्कोर (Good Credit Score) बहुत मायने रखत है। अगर आपका क्रेडिट स्कोर बेहतरीन है, तो बैंक आपको तुरंत लोन देने के लिए तैयार हो जाते हैं। लेकिन लोन लेने के बाद आपको उसे चुकाना भी होता है।


लोन लेने के बाद आप हर महीने EMI के रूप में लोन चुकाते हैं। EMI आपके कर्ज की राशि पर निर्भर करेगी। आप जितना लंबे समय के लिए लोन लेंगे आपको उतना अधिक ब्याज चुकाना होगा। अक्सर बड़े लोन की EMI  लंबे समय तक चुकानी पड़ती है। इसलिए लोन हमेशा अपनी कमाई को कैलकुलेट (how to calculate home loan EMI) करने ही लेना चाहिए।।।ताकी आप आसानी से हर महीने उसकी EMI भर सकें। 


अपने खर्च का लगाएं पूरा हिसाब-किताब


आप हर महीने EMI के रूप में कितनी राशि का भुगतान कर सकते हैं, इसका अनुमान लगाने के लिए सबसे पहले अपने खर्चों का कैलकुलेशन (calculation of expenses) कर लें। अगर किराये के घर में रहते हैं, तो उसका रेंट, राशन, बच्चों की स्कूल फीस और कुछ इमरजेंसी के लिए अतिरिक्त पैसे को मिलाकर अपना बजट तैयार कर लें। इसके बाद जो आपके पास पैसे बचेंगे उससे ये अनुमान लगाना आसान हो जाएगा कि आप कितनी EMI भर पाएंगे। इस बात का खास ध्यान रखें कि लोन उतना ही लें, जिसकी EMI आप आसानी से भर सकें।


जान लें इनकम के मुकाबले कितनी होनी चाहिए EMI?


बता दें कि किसी भी व्यक्ति की कमाई का कितना हिस्सा EMI में जाना चाहिए इसका अनुमान आप डेट टू इनकम (debt to income) रेश्यो कैलकुलेट करके भी लगा सकते हैं। इसे पता चल जाएगा कि इनकम का कितना फीसदी हिस्सा लोन चुकाने पर खर्च होता है। आमतौर माना जाता है कि किसी का भी डेट टू इनकम रेश्यो 35 से 40 फीसदी तक ही होना चाहिए। मान लीजिए अगर आपकी महीने की कमाई 40 हजार रुपये है, तो EMI 14,000 से 16,000 रुपये के बीच होनी चाहिए। हालांकि, अपने हिसाब से इसमें बदलाव कर सकते हैं। 


बचत से न करें समझौता


ईएमआई की राशि (EMI amount) को कम करने के लिए लोन के चुकाने की अवधि को आगे बढ़ाने से बचना चाहिए। इससे कर्ज की लागत बढ़ जाती है और आपको अधिक ब्याज चुकाना पड़ता है। लोन की EMI तय करते वक्त आपको अपनी सेविंग को भी ध्यान रखना चाहिए। अगर आप पहले से किसी SIP में पैसे डाल रहे हैं, तो उसे बंद ना करें। क्योंकि वो एक सेविंग का अहम जरिया है। इन सभी बातों को ध्यान में रखकर अगर आप लोन लेते हैं, तो आसानी से हर महीने उसकी EMI भर पाएंगे।


लोन लेते वक्त सेविंग से किसी भी तरह का समझौता नहीं करें। खास तौर पर अगर आप अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए सेविंग (saving during paying EMI) में कुछ पैसे डाल रहे हैं, तो उसे किसी भी हालत में बंद नहीं करें। अगर आप तमाम खर्च को कैलकुलेट करने के बाद बचने वाली राशि के हिसाब से लोन लेते हैं, तो आप आसानी उसकी EMI भर पाएंगे और कर्ज को चुका देंगे। लोन लेने से पहले ब्याज दर की तुलना अन्य बैंकों से जरूर कर लें।