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Employees Update : देश के करोड़ों कर्मचारियों का बढेगा PF और ओवरटाइम

देश के करोड़ों कर्मचारियों के लिए खुशखबरी। दरअसल कर्मचारियों का जल्द ही पीएफ और ओवरटाइम बढ़ने वाला है। आइए नीचे खबर में जानते है इससे जुड़ा लेटस्ट अपडेट। 

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HR Breaking  News, Digital Desk- हफ्ते में 3 दिन छुट्टी, ओवरटाइम (Overtime) और बढ़ा हुआ पीएफ (PF)... आखिर कब लागू होंगे नए लेबर कोड्स (New Labour Codes)? नए श्रम कानून लागू होने का इंतजार बढ़ता ही जा रहा है। अगले साल के आखिर तक कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। उसके बाद साल 2024 में आम चुनाव होने हैं। ऐसे में भारत सरकार (Bharat Sarkar) के सामने लेबर कोड्स को लागू करने के लिए जरूरी समय तेजी से घट रहा है।

कम से कम आधा दर्जन एक्सपर्ट्स ने इकनॉमिक टाइम्स से यह बात कही है। इन लेबर कोड्स को लागू करना एक महत्वपूर्ण लेबर रिफॉर्म (Labour Reform) होगा। सरकार नहीं चाहती की इनका हाल भी कृषि कानूनों के जैसा ही हो। एक टॉप लेवल के सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि सरकार ने वेट एंड वॉच (Wait & Watch) की रणनीति अपनाई है, क्योंकि न तो नियोक्ता और न ही ट्रेड यूनियन लेबर कोड्स के लिए उत्सुक हैं।

अप्रैल 2023 है आखिरी मौका-


अगले वित्त वर्ष की शुरुआत को ये कोड्स लागू करने के लिए उपयुक्त समय माना जा रहा है। क्योंकि ये कोड सैलरी स्ट्रक्चर को प्रभावित करेंगे। एक्सपर्ट्स ने कहा कि अप्रैल 2023 देश में अगले साल आम चुनाव से पहले लेबर कोड्स को लागू करने का आखिरी मौका है। अधिकारी ने ईटी को बताया, 'सरकार इस बात से आशंकित है कि ये कोड्स उल्टे पड़ सकते हैं, जैसा कि कृषि कानूनों के मामले में हुआ था। इसलिए उसने वेट एंड वॉच की नीति अपनाई हुई है, जब तक कि सभी हितधारकों का स्पष्ट समर्थन नहीं मिल जाए।'


चरणबद्ध तरीके से हो सकते हैं लागू-


सरकार ने साल 2019 और 2020 में चार लेबर कोड्स पास किये थे। पहले कहा जा रहा था कि सरकार इन चार नए लेबर कोड्स को चरणबद्ध तरीके से लागू कर सकती है। पहले वेतन से जुड़े कोड और सामाजिक सुरक्षा से जुड़े कोड को लागू किया जा सकता है। इसके बाद बचे हुए दो कोड्स को लागू किया जा सकता है। इनमें एक औद्योगिक संबंधों से जुड़ा कोड और दूसरा काम विशेष से जुड़ी सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यस्थल की दशाओं (OSH) पर है। माना जा रहा है कि नए लेबर कोड्स लोगू होने से कर्मचारियों को काफी फायदा होने वाला है।

प्रधानमंत्री ने बतायी समय की जरूरत-


सरकार कर्मचारियों को काम का बेहतर माहौल देने के पक्ष में है। पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि वर्क फ्रॉम होम इकोसिस्टम, फ्लेक्सिबल वर्क प्लेसेज और फ्लेक्सिबल वर्किंग आवर्स भविष्य की जरूरतें हैं। पीएम ने कहा, "बदलते हुए समय के साथ जिस तरह जॉब की प्रकृति बदल रही है, वो आप भी देख रहे हैं। दुनिया तेजी से बदल रही है और इसका लाभ लेने के लिये हमें भी उसी गति से तैयार होना होगा।"

ये हैं चार लेबर कोड्स-


सरकार द्वारा लागू की जा रही चार श्रम संहिताओं में वेतन/मजदूरी संहिता, औद्योगिक संबंधों पर संहिता, काम विशेष से जुड़ी सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यस्थल की दशाओं (OSH) पर संहिता और सामाजिक व व्यावसायिक सुरक्षा संहिता शामिल हैं। गौरतलब है कि श्रम मंत्रालय ने श्रम कानूनों (Labour Laws) में सुधार के लिए 44 तरह के पुराने श्रम कानूनों को चार वृहद संहिताओं में समाहित किया है। ऐसा माना जा रहा है कि इन लेबर कोड्स के लागू होने से कर्मचारियों को काफी फायदा होगा।


हफ्ते में तीन दिन ऑफ-


नए लेबर कोड्स लागू होने के बाद कर्मचारियों के हफ्ते में काम के दिन घट जाएंगे। नए नियम से कर्मचारियों के हफ्ते में काम के दिन पांच से घटकर चार रह सकते हैं। अर्थात कर्मचारियों को हफ्ते में तीन दिन छुट्टी मिलेगी। लेकिन कर्मचारियों के रोजाना के काम के घंटे बढ़ जाएंगे। नियम के अनुसार एक हफ्ते में 48 घंटे काम करना होगा। इसका मतलब है कि एक वर्किंग डे में 12 घंटे काम करना होगा।

ओवरटाइम भी मिलेगा-


नियम के अनुसार, एक कर्मचारी को हफ्ते में 48 घंटे काम करना होगा। हफ्ते में चार वर्किंग डे के हिसाब से एक दिन में 12 घंटे काम करना होगा। अब अगर किसी कर्मचारी से हफ्ते में 12 घंटे से अधिक काम कराया जाता है, तो उसे ओवर टाइम दिया जाएगा। लेकिन कर्मचारी 3 महीने में 125 घंटे से ज्यादा ओवरटाइम पर भी काम नहीं कर सकते। नए लेबर कोड्स के अनुसार, किसी भी कर्मचारी से लगातार 5 घंटे से अधिक काम नहीं करवाया जा सकता है। लगातार 5 घंटे काम करने के बाद कर्मचारी को आधे घंटे का ब्रेक देना होगा।


पीएफ में जाएगा ज्यादा पैसा-


नए वेज रूल से कर्मचारी की सीटीसी में भी काफी बदलाव आने वाले हैं। नए वेज रूल के तहत सारे भत्ते कुल सैलरी के 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकते। इसके चलते कर्मचारी की बेसिक सैलरी में बढ़ोतरी होगी। वर्तमान में कंपनियां सीटीसी का 25-30 फीसदी हिस्सा ही बेसिक सैलरी में रखती हैं। ऐसे में सभी तरह के अलाउंस 70 से 75 फीसदी तक होते हैं। इन अलाउंस के कारण कर्मचारियों के खाते में अधिक सैलरी आती है, क्योंकि तमाम तरह के डिडक्शन बेसिक सैलरी पर होते हैं। बेसिक सैलरी बढ़ने से कर्मचारी की इन हैंड सैलरी या टेक होम सैलरी कम हो जाएगी। लेकिन ग्रेच्युटी, पेंशन और कर्मचारी व कंपनी दोनों का ही पीएफ में योगदान बढ़ जाएगा। इसका मतलब है कि कर्मचारी की बचत बढ़ जाएगी।